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अगर ये न हुआ होता, तो बन जाता काला ताज महल

अगर ये न हुआ होता, तो बन जाता काला ताज महल

भारत के उत्तर प्रदेश में स्थित आगरा के ताज महल से दुनिया वाकिफ है. सफ़ेद संगमरमर की यह कृति संसार भर में प्रसिद्ध है. जिसे मुग़ल बादशाह शाहजहाँ ने अपनी पत्नी अर्जुमंद बानो बेगम, जिन्हें मुमताज़ महल भी कहा जाता था, की याद में बनवाया था. मगर ऐसे बहुत कम ही लोग होंगे जो शाहजहाँ के एक और काले संगमरमर पत्थर के ताजमहल के बारे में जानते होंगे. जी हाँ दुनिया में सफ़ेद ताजमहल के अलावा एक और ताजमहल था. जिसका जिक्र शाहजहाँ ने अपने वसियत में कर रखा था. आज हम आपको उसी काले ताजमहल के बारे बतायेंगे जो सिर्फ कल्पना में ही रहा. जिसे शाहजहाँ के पुत्र औरंगजेब ने नहीं बनने दिया.

काला ताज महल

मुग़ल बादशाह शाहजहाँ के वसियत के मुताबिक काले संगमर्मर पत्थरों का एक काल्पनिक मकबरा जिसे काले ताजमहल के नाम से जाना जाता है. जिसके बारे में कहा जाता है कि यह उत्तर प्रदेश के यमुना नदी की दूसरी तरफ मौजूदा ताज महल के ठीकपीछे बनाया जाना था. जिसका जिक्र शाहजहाँ ने अपनी तीसरी बीवी मुमताज़ महल से अपने लिए की थी.

औरंगजेब की चतुराई से नहीं बन सका काला ताजमहल

जैसा की दुनिया जानती है औरंगज़ेब स्वभाव से बहुत ही क्रूर और चालक शासक रहा. जिसने अपने पिता की आखरी इच्छा को भी पूरा नहीं किया. वैसे भी बाप-बेटों के रिश्तों का अंदाजा सभी को था. 22 जनवरी 1666 के दिन शाहजहाँ की मौत हो गयी. जिसके शव को दफनाने के लिए तेजी से काम चल रहा था. लेकिन मामला उसे कहां दफन किया जाए, इसे लेकर बड़ी उलझन थी.

ताज महल या ममी महल पुस्तक के मुताबिक शाहजहां ने वसीयत की थी कि उसे ताज के ठीक पीछे मेहताब बाग में दफन किया जाए. वसियत और शाही रिवाज के मुताबिक औरंगजेब को ताज के पीछे एक और ब़डी इमारत का निर्माण करवाना था और ये कोशिश भी करनी थी कि उसके वालिद का मकबरा उसकी मां से किसी तरह कम न रहे. औरंगजेब के लिए यह एक मुश्किल की घड़ी थी. औरंगजेब वसियत के मुताबिक कुछ भी नहीं करना चाहता था.

दुश्मनों के हमले में लगातार ल़डाई से शाही खजाना खाली हो गया था. उसने वसियत की शर्तों से बचने के लिए बड़ी चतुराई से एक रास्ता निकाल लिया. औरंगजेब मकबरे बनाने को फिजूल खर्ची मानता था. धर्म संकट में फसे औरंगज़ेब ने इस मामले में इस्लामिक कायदों का हवाला देते हुए शाही उलेमाओं से राय ली; कि क्या अगर बाप ऎसी कोई वसीयत करे जो इस्लाम की रोशनी में सही न हो तो क्या उसे मानना चाहिए ?

राय देते हुए उलेमाओं ने वसीयत की बात को गलत बताया जिसमे औरंगज़ेब ने अपने तर्क उसके बाप को उसकी मां यानी मुमताज महल से कमाल दर्जे की मुहब्बत थी कह शाहजहाँ का मक़बरा मुमताज़ के मकबरे के नज़दीक बना डाला शाहजहाँ को भी वहीं दफ़नाया गया. जिसके वजह से काले ताज महल का निर्माण सिर्फ कल्पना में ही रह गया.

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