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अमेरिका का सबसे खतरनाक नॉन-न्यूक्लियर बम,’मदर ऑफ़ आल बम’ जहाँ गिरे वहां 1.5 मील का गड्ढा

अमेरिका का सबसे खतरनाक नॉन-न्यूक्लियर बम,’मदर ऑफ़ आल बम’ जहाँ गिरे वहां 1.5 मील का गड्ढा

मदर ऑफ ऑल बम विध्वंसक ताकत के मामले में दुनिया का सबसे बड़ा गैर परमाणु बम है. अमेरिका ने 2003 में एमओएबी, यानी मदर ऑफ ऑल बम बनाया था. तब इराक की लड़ाई चल रही थी. अमेरिकी विशेषज्ञों ने इसे महज 9 हफ्तों में तैयार किया था. उस वक्त ऐसे सिर्फ 15 बम बनाए गए थे.

पहला टेस्ट फायर 11 मार्च 2003 को फ्लोरिडा में किया गया था. उसके बाद इसका कभी भी इस्तेमाल नहीं किया गया. गुरुवार को पहली बार अमेरिका ने इसका प्रयोग किया है. हालांकि अमेरिका इससे पहले ईरान पर एमओएबी से हमले की तैयारी कर चुका था. अफगानिस्तान में नंगरहार प्रांत के अचिन जिले में बम ब्लास्ट के बाद इसका धुआं 30-35 किमी दूर तक देखा गया. पाकिस्तान का पेशावर यहां से सिर्फ 100 किमी दूर है. 

एमओएबी की खासियत

– एक बम की कीमत 103 करोड़ रुपए है 
– वजन: 10 हजार किलो 
– लंबाई: 9 मीटर
– चौड़ाई: 1 मीटर 
– कीमत: 103 करोड़ रुपए 
– विस्फोटक: 11 टन एच-6, टीएनटी और एल्युमीनियम 
– रेंज: गिरनेवाली जगह पर 1.5 मील तक सब तबाह.
– इसका आकार इतना बड़ा है कि इसे फाइटर प्लेन के बदले सी-130 कार्गो विमान से गिराया जाता है. 
– इसका कवर एल्युमीनियम का बना होता है. इस कारण ब्लास्ट के बाद ज्यादा नुकसान पहुंचता है. 

कैसे काम करता है एमओएबी

– असली नाम – जीबीयू-43/बी, एमओएबी (मैसिव ऑर्डनेंस एयर ब्लास्ट बम)
– इस बम में एक ग्रिड होता है जो फोल्ड हो जाता है. ताकि इसका साइज छोटा हो जाए और इसे विमान में रख सकें. 
– यह एक पैलेट के जरिए काम करता है, पैलेट को पैराशूट के जरिए नीचे खींचा जाता है जिससे बम विमान से बाहर आता है. 
– फिर पैलेट बम से अलग होता है ताकि बम टारगेट पर गिरे. इस बम का नियंत्रण सैटेलाइट से किया जाता है. 
– यह जमीन से 1.8 मीटर ऊपर ब्लास्ट होता है. हवा में ब्लास्ट करते हैं ताकि तबाही ज्यादा हो. 

अमेरिका को जवाब देने के लिए रूस ने बनाया था ‘फादर ऑफ ऑल बम’ 

अमेरिका को जवाब देने के लिए रूस ने एमओएबी से 4 गुना ताकतवर बम बनाया था. इसे फॉदर ऑफ ऑल बम कहा गया. इसका प्रयोग नहीं हुआ है. अफगानिस्तान में अमेरिकी सेना की कार्रवाई को 16 साल पूरे हो रहे हैं. और अब वे देश से निकल रहे हैं. जहां ये बम गिराया गया उस नंगरहार प्रांत में पश्तून रहते हैं. आबादी करीब 1 लाख है. अफीम की सबसे ज्यादा पैदावार होती है. 1980 में रूस-अफगान युद्ध के वक्त अमेरिका समर्थित मुजाहिदीनों का गढ़ था. 

आईएसआईएस को रोकने के लिए यह हमला जरूरी हो गया 

अफगानिस्तान में यूएस फोर्स के कमांडर जनरल जॉन निकलसन ने कहा कि अफगानिस्तान में पैठ बना चुके आईएसआईएस के आतंकी आईईडी, बंकर और सुरंगों के जरिए अपनी सुरक्षा मजबूत करने की कोशिश में लगे हुए हैं. इसलिए इस हमले की जरूरत गई थी. इससे आतंकियों को कमजोर करने और वहां हमारी सुरक्षा को मजबूत करने में मदद मिलेगी.

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