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देश के दुश्मनों हो जाओ सावधान, आ गयी है रोबो आर्मी

देश के दुश्मनों हो जाओ सावधान, आ गयी है रोबो आर्मी

वर्ष 2010 में आई फिल्म में रोबोट फिल्म की कहानी में एक मशीन को सेना में शामिल करने से माना कर दिया जाता है.  मगर वास्तविकता ये है कि वर्तमान में बढ़ती तकनीक का असर हर जगह देखा जा रहा है.सऊदी जैसे देश में तो रोबोट को नागरिकता तक दे दी गयी है. रोबोट का इस्तेमाल आजकल हर जगह किया जा रहा है. तो फिर युद्ध का मैदान कैसे अछूता रह सकता है. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) अब यह तकनीक रणभूमि में भी लाने वाली है.

कृत्रिम बुद्धिमत्ता के विकसित रूप ने अब युद्ध के मैदान में बदलाव करने की तैयारी कर ली है. जी हां, भविष्य में ये आधुनिक रोबोट्स सैनिकों की तरह आपकों लड़ाई के मैदान में दुश्मन के छक्के छुड़ाते नज़र आएंगे. खासतौर पर रोबोट आर्मी का.

कई संस्थाओं के विरोध के बावजूद कई विकसित देश रोबोट आर्मी के गठन को अहमियत दे रहे हैं. मानव रहित मशीनी युद्ध के क्षेत्र में अमेरिका, रूस, इसराइल, चीन और जर्मनी ने बहुत तरक्की की है. रक्षा के क्षेत्र में ब्रिटेन और फ्रांस भी किसी न किसी रूप में रोबोट तकनीक का इस्तेमाल कर रहे हैं.

बात भारत की करे तो भारत भी इस मामले में पीछे नहीं है. मानव रहित युद्ध की क्षमता हासिल करने के लिए भारत रोबोट सैनिक विकसित करने के प्रोजेक्ट पर काम कर रहा है.भारत का प्रतिरक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) एक ऐसे रोबोट आर्मी को तैयार करने में जुटा है जिसमे शामिल प्रत्येक रोबोट की बुद्धि का स्तर काफी ऊंचा हो.

आपको बता दें कि भविष्य में होने वाले युद्धों पर एआई का बहुत ही बड़ा असर देखने को मिलेगा. हालांकि यह विषय दुनिया के तमाम नीति निर्माताओं, वकीलों और सैन्य अधिकारियों के लिए चिंता का विषय बना हुआ है.किसी भी सेना में एआई का प्रयोग आपूर्ति प्रबंधन, डाटा एनालिसिस, ख़ुफ़िया जानकारी जुटाना, साइबर ऑपरेशन और हथियारों का स्वायत्त सिस्टम जैसे पांच मुख्य कामों में किया जा सकता हैं. पूरी दुनिया में फिलहाल हथियारों की होड़ मची हुई हैं. हर देश अपनी सुरक्षा व्यवस्था को तकनीक से लेस करने में जुटा हुआ है.

इस होड़ को और भी भयानक रूप देने के लिये रोबोट सेना एक अहम किरदार निभाएगी. सभी देशों ने उन्नत तकनीक पर आधारित इस परियोजना पर काम करना शुरू कर दिया है. हालांकि आपूर्ति और डाटा एनालिसिस में एआई का प्रयोग कोई ज़्यादा नुकसानदायक नहीं होगा, क्योंकि असैन्य क्षेत्रों में पहले ही इन पर काफ़ी काम हो चुका है. लेकिन अन्य विभागों में मशीनों का प्रयोग काफी खतरनाक साबित हो सकता है.

कई विशेषज्ञों का कहना हैं कि साइबर हमलों को रोकने या फिर उन्हें शुरू करने के लिए मशीनी सैनिकों का प्रयोग काफ़ी तेज़ी से ज़रूरी होता जा रहा है. गौरतलब है कि एआई के ज़रिए साइबर हमलों को आसानी से पकड़ा जा सकता है. मशीनी तकनीक पर आधारित होने से यह सैन्य बल आने वाले समय में काफी तबाही मचा सकते हैं.

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