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सफलता की भूख बढ़ा देगी इन कंपनियों के शुरुवात की कहानी

सफलता की भूख बढ़ा देगी इन कंपनियों के शुरुवात की कहानी

हमारे दैनिक इस्‍तेमाल में कई ऐसे नाम हमारे सामने आते हैं, जो हमारी दिनचर्या का हिस्‍सा बन चुके हैं। इनमें से कई नामों से हम लगभग रोजाना ही रूबरू होते हैं। इनको हम इस्‍तेमाल तो कर लेते हैं, लेकिन कभी ये नहीं सोचा क‍ि इनकी शुरुआत आखिर कहां से हुई। क्‍या आप जानते हैं कि इनमें से कई प्रोडक्‍ट तो ऐसे हैं, जिनके ओरिजिन की कहानी बेहद दिलचस्‍प है। आइए आपको बताएं इन प्रोडक्‍ट्स की उत्‍पत्ति की चौंकाने वाली कहानी।

ऐसे हुई NASCAR की उत्‍पत्ति

यह निर्विवाद है कि नासकार की उत्‍पत्ति को अमेरिका में प्रोहिबिशन के दिनों में पता लगाया जा सकता है। वहीं कुछ लोग ऐसा भी मानते हैं कि ये एक शहरी कथा है। वैसे काफी हद तक ये सही भी है। अमेरिका में प्रोहिबिशन के शुरुआती दिनों में ‘मून शाइन’ रनर्स (अवैध रूप से व्हिस्‍की बांटने वाले लड़के) अधिकारियों के पास तक पहुंचने के लिए पागलों की तरह ड्राइव करते थे। इस ड्राइव को जल्‍द ही पुलिस ने भी बदमाशों को पकड़ने और अपनी प्रतिष्‍ठा के तौर पर अपना लिया। अब ये कोई भी नहीं जानता कि वास्‍तव में इस ड्राइव में ड्राइवर्स के बीच आपस में प्रतिस्‍पर्धा कहां से आई, लेकिन जल्‍द ही मून शाइन रनर्स लोगों के बीच चर्चा का विषय बन गए। 1948 में इनमें से एक ड्राइवर बिल फ्रांस (बिग बिल) ने ड्राइवर्स, कार मालिकों और मैकेनिक्‍स को इकट्ठा किया। इन सबको नेशनल एसोसिएशन फॉर स्‍टॉक कार ऑटो रेसिंग (NASCAR) की स्‍थापना को लेकर बुलाया गया।

पेप्‍सी की देन है फैंटा कोल्‍डड्रिंक

हम बात कर रहे हैं कोका-कोला की ओर से बनाई गई बबली, फ़‍िज़ी ऑरेंज ड्रिंक ‘फैन्‍टा’ की। बता दें कि ये ड्रिंक यूरोप, एशिया के कई हिस्‍सों, अफ्रीका और लैटिन अमेरिका में काफी प्रसिद्ध है। वहीं क्‍या आप जानते हैं कि फैन्‍टा की उत्‍पत्ति नाज़ी जर्मनी से हुई है। ये बात है 7दिसंबर 1941 की। पर्ल हारबर WWII को यूएस तक ले आए। पर्ल हारबर ने कोका-कोला को ये दूसरा रूप देने में काफी अहम योगदान दिया। अमेरिकी धरती पर हमले के बाद कोका कोला ने जर्मनी को अपना गोपनीय सिरप भेजना बंद कर दिया। इस मतलब ये निकला कि जर्मनी में कोका कोला के प्रमुख मैक्‍स कीथ अब ज्‍यादा लंबे समय तक दुनिया की फेवरेट फ़िज़ी पेय को नहीं बना सकते थे। ऐसे में अब उनके शेयर भी जल्दी से घटले लगे। अब मैक्‍स ने इस बात का संकल्‍प लिया कि वह भी इसी क्रम में कुछ और अच्‍छा मार्केट में लाकर दिखाएंगे। इसका परिणाम फैंटा के रूप में सामने आया। ये ड्रिंक देख्‍ाते ही देखते पूरे नाज़ी जर्मनी में फेमस हो गई। इसके बाद जब झगड़ा खत्‍म हुआ, तो फैंटा के प्रोडक्‍शन को रोक दिया गया और कुछ दिनों बाद इसे कुछ बदलावों के साथ पेपसी की प्रतिस्‍पर्धा में उतारा गया।

कोका-कोला के नाम में कोकीन का क्‍या काम

इसे पढ़कर आप भी चौंक जाएंगे कि दुनिया की सबसे पसंदीदा ड्रिंक का नाम कहां से आया। कोक को सुपर सीक्रेट फॉर्मुला है इसका जिम्‍मेदार। कोक की उत्‍पत्ति का फॉर्मुला दो मुख्‍य इंग्रिडियंट्स से मिलकर बना है, जो इस पेय को बेहतरीन स्‍वाद देता है। कोका हैं पत्तियां और कोला है अखरोट। जी हां, यहां उन्‍हीं पत्तियों की बात की जा रही है जिससे कोकीन तैयार की जाती है। कोक में बहुत कम मात्रा में ही सही, लेकिन कोकीन मिलाई जाती है। पुराने समय में कोकीन का इस्‍तेमाल दवा के रूप में भी किया जाता था। ऐसे में अब जानकार शायद आपको भी ज्‍यादा ताज्‍जुब नहीं होगा कि कोकीन की थोड़ी सी मात्रा वाली कोक का नाम ‘कोक’ कैसे पड़ा।

यहां से आया जिल्‍दजियान

आवेदिस जिल्‍दजियान इस पूरी दुनिया में म्‍यूजिक ब्रांड का काफी जाना-माना नाम है। वहीं आपमें से कितने लोग ये जानते होंगे कि ये विख्‍यात म्‍यूजिक का ये इंस्‍ट्रूमेंट कभी जंग का सबसे प्रसिद्ध हथियार हुआ करता था। दरअसल 17वीं शताब्‍दी में अरमेनियम आल्‍केमिस्‍ट का नाम था आवेदिस। कांस्‍य को सोने में बदलने की बोली में आवेदिस ने चांदी, तांबा और पीतल के साथ टिन को मिलाया और इस मिश्र धातु को एक पतली डिस्क का रूप देने के लिए उसे बहुत देर तक पीटा। इससे तैयार हुई डिस्‍क से काफी तेज ध्‍वनि में आवाज हुई। ये तेज आवाज निकालने के साथ-साथ उठाने में भी काफी हल्‍का था। आवेदिस जानते थे कि शासकों की आर्मी इस डिस्‍क का इस्‍तेमाल धमकी देने के हथियार के रूप में कर सकती है। आवेदिस अपनी इस खोज को तुर्क साम्राज्य के शासक सुल्‍तान ओसमन ।। के पास ले गए। यहां से इसे नाम मिला जिल्‍दजियान का। कई शताब्दियों के बाद आवेदिस की सन्‍तानों ने गुप्त रूप से रक्षा की प्राचीन तकनीक का इस्‍तेमाल प्रसिद्ध झांझ बनाने में किया, जो उनकी शक्ति और ध्वनि की स्पष्टता के लिए जाना जाने लगा।

यहां से आया कॉर्नफ्लैक्‍स

1900 की शुरुआत में सैक्‍सुअल प्रॉब्‍लम्‍स लोगों की सबसे बड़ी समस्‍या बन चुकी थी। कई लोग इस बात पर पूरी तरह से विश्‍वास करने लगे थे कि मानसिक और शारीरिक समस्‍याओं के चलते इसका सामना करना पड़ता था। उस समय जॉन कैलॉग काफी कुशल फीजिशियन और न्‍यूट्रीनिस्‍ट हुआ करते थे। कैलॉग इस बात पर विश्‍वास करते थे कि लोगों को अपनी सैक्‍सुअल प्रॉब्‍लम्‍स पर नियंत्रण रखने के लिए ज्‍यादा से ज्‍यादा अनाज का सेवन करना चाहिए। ऐसे में इन्‍होंने अपने भाई विल के साथ मिलकर कैलॉग कॉर्नफ्लैक्‍स बनाया।

सैक्‍सुअल प्रॉब्‍लम्‍स से ही अविष्‍कार हुआ ग्राहम क्रैकर्स का

ग्राहम क्रैकर्स, सिल्‍वेस्‍टर ग्राहम की ओर से बनाया गया एक प्रमुख आहार है। आपको सुनकर शायद आश्‍चर्य होगा कि सिल्‍वेस्‍टर ने भी इस प्रोडक्‍ट का अविष्‍कार सैक्‍सुअल समस्‍याओं पर नियंत्रण पाने के उद्देश्‍य से किया। जॉन कैलॉग की तरह सिल्‍वेस्‍टर ग्राहम ने भी लोगों से मांस को छोड़कर अखरोट और अनाज से बने इस आहार को खाने को कहा। ग्राहम कैकर्स की असली रेसेपी को ब्‍लैंड बिस्‍किट कहते थे। ये बिना छने आटे से तैयार किया जाता था। इसके बाद क्रैकर्स में कई बदलाव किए गए और आखिर में अब इसका वर्तमान रूप हम सबके सामने है।

गोलियों के घाव के लिए होता था सेनेट्री नैप्‍किंस का इस्‍तेमाल

सेनेट्री नैपकिन कोटेक्‍स आज के नहीं, बल्कि पहले वर्ल्‍ड वॉर के समय से चलते आ रहे हैं। 1914 में पेपर सप्‍लायर किमबर्ली क्‍लार्क ने एक बेहद यूनीक प्रोडक्‍ट विकसित किया। ये प्रोडक्‍ट एक तरह की खास लकड़ी से बना था। इस लकड़ी को ‘सेलूकॉटन’ के नाम से जानते हैं। इस सेलूकॉटन में रुई की तुलना में 5 गुना ज्‍यादा सोखने की क्षमता थी और इसकी कीमत भी आधी थी। इस सेलूकॉटन का इस्‍तेमाल वहले वर्ल्‍ड वॉर के दौरान किया गया। सैनिकों के घावों से बहने वाले खून को सोखने के लिए। वॉर के बाद क्‍लार्क ने इस सेलूकॉटन को और ज्‍यादा मॉडीफाई करके इसे सेनेट्री नैपकिन का रूप दे दिया। उस समय से अब तक महिलाएं सामान्‍य रुई की जगह अब सेनेट्री नैपकिन्‍स का ही इस्‍तेमाल कर रही हैं।

हॉलीवुड की जगह पहले था ये…

1850 के मध्‍य में जब इसकी स्‍थापना हुई, उस समय तक ये लॉस एंजेलिस से सिर्फ एक बाहर का एक क्षेत्र था। यहां की भूमि और यहां की जलवायु कृषि के लिए बेहद उम्‍दा थी। इतनी उम्‍दा थी कि यहां साल भर तक कृषि की जा सकती थी। इसके बाद 1900 की शुरुआत में मूवी मेकर्स की नजर इस क्षेत्र पर पड़ी। उनको भी इन्‍हीं कारणों से ये क्षेत्र काफी पसंद आया। उसके बाद 1911 का ये वो समय था जब नेस्‍टर कंपनी ने यहां अपना पहला फ‍िल्‍म स्‍टूडियो खोला।

रेड बुल का राज है बेहद खतरनाक

आप में से ज्‍यादा से ज्‍यादा लोग रेड बुल को घर में इस्‍तेमाल करते होंगे। क्‍या आप जानते हैं कि दुनिया की सबसे पसंदीदा ये एनर्जी ड्रिंक में कुछ कंकाल भी मिले हुए हैं। नहीं, हम बात नहीं कर रहे कि रेड बुल में सांड के शुक्राणु मिले होते हैं, लेकिन इसमें कुछ मात्रा में सामान्‍य तौर पर अमीनो एसिड जरूर मिला होता है, जो गाए के पित्‍त में पाया जाता है। डाइट्रिक (इन्‍होंने रेड बुल का अविष्‍कार किया) को थाईलैंड में बेचा जाने वाला एक कायाकल्‍प सिरप मिला। इसको क्रेटिंग डेंग के नाम से जानते थे। डाइट्रिक ने पाया कि ये टॉनिक उनके जेटलेग के उपचार में काफी फायदेमंद साबित हुआ। उन्‍होंने तुरंत इसके आइडिया का इस्‍तेमाल किया। इन्‍होंने इस सिरप को एक ड्रिंक में मिलाकर असली रेसिपी का अविष्‍कार किया। रेड बुल के खास तत्‍व टॉरीन, कैफीन और आर्टीफीशियल शुगर बने। ग्रीक भाषा में सांड के यूरिन को टॉरीन कहते हैं। इसके अलावा टॉरीन का इस्‍तेमाल मीट और कुछ डेयरी प्रोडक्‍ट्स में भी किया जाता है।

Lululemon के बारे में तो जरूर सुना होगा आपने

प्रसिद्ध कंपनियों की सूची में Lululemon ने हाल ही में एंट्री की है। इसके CEO चिप विलसन अपने ब्‍लॉग में इसकी उत्‍पत्ति के बारे में लिखते हैं। वह लिखते हैं कि कैसे महिलाओं की लाइफस्‍टाइल को बदलने और जन्‍म दर को कम करने में बीते कुछ दशकों में Lululemon ने अपना खास योगदान दिया है। विल्‍सन ने बताया कि lululemon का गठन महिलाओं के शैक्षिक स्‍तर, स्‍तन कैंसर, योग/एथलीट्स और उनके पोशाकों के तरीकों पर काम करने के मद्देनजर किया गया। उन्‍होंने बताया कि कई महिलाएं तनाव से मुक्‍त होने के लिए धूम्रपान तक करने लगती हैं। इसे भी इन्‍होंने उचित ठहराया, जो आगे चलकर स्‍तर कैंसर का कारण बन जाता है। विल्‍सन कहते हैं कि वो अच्‍छी तरह से जानते हैं कि कैसे सुर्खियों में आना है, फ‍िर भले ही वो गलत कारणों से ही क्‍यों न हो।

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