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अब्राहम लिंकन के पुनर्जन्म का रहस्य

अब्राहम लिंकन के पुनर्जन्म का रहस्य

विश्व की अधिकतर संस्कृतियों में पुनर्जन्म जैसी संकल्पना आज भी अस्तित्व में हैं . पुनर्जन्म क्रम- चक्र का नियम है. कहते है, अगर आप पूर्वजन्म में जो कुछ भले बुरे कर्म करते हैं उन कर्मों के फल उसी जन्म में नहीं मिलते और हमारा पुनर्जन्म होता है, पूर्व जन्म के कर्मानुसार इस जन्म में शुभ-अशुभ फल प्राप्त होते है.

आज के इस वैज्ञानिक युग में यह संकल्पना बे-बुनियाद, खोखली समझी जाती है, बुद्धिजीवी लोग इस संकल्पना का विरोध करते है. पुनर्जन्म है या नहीं हम इस विवाद में ना पड़कर आगे बढ़ते है .

महान अमेरिकी राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन के बारे में हम सभी जानते है . आज भी दुनिया में उनके संघर्षपूर्ण जीवन की मिसाल कायम है . परंतु इस महान व्यक्तित्व का अंत दुर्भाग्यपूर्ण था. १५ अप्रैल १८६५ को उनकी निर्मम हत्या कर दी गयी थी . १९५० में भारतीय संत श्री परमहंस योगानंदजी ने उनके भाषण के दौरान अब्राहम लिंकन के पुनर्जन्म की कहानी सुनायी थी और लोगों ने जब इस बात की सत्यता परखनी चाही तब लोग सच जानकर दंग रह गये.

संत श्री परमहंस योगानंद जी के अनुसार :

अब्राहम लिंकन पूर्वजन्म में हिमालय के निवासी योगी थे , जाति और धर्म का समूल उच्चाटन उनकी जिंदगी का मकसद था किंतु यह मकसद पूरा होने से पहले ही उनकी मौत हो गयी और इसी कारण पूर्वजन्म का अधूरा कार्य पूरा करने के लिये उनका अब्राहम लिंकन के रूप में पुनर्जन्म हुआ.

अब्राहम लिंकन के रूप में उन्होने महान कार्य किये और अपने पूर्वजन्म का अधूरा कार्य पूरा करने की ओर बढ़ रहे थे परंतु अकस्मात मृत्यू की वजह से उनका ध्येय अधुरा रह गया . बचा हुआ कार्य खत्म करने के लिये उनका चार्ल्स लिंडबर्ग के रूप में पुनर्जन्म हुआ. चार्ल्स लिंडबर्ग प्रसिद्ध अमेरिकी पायलट, संशोधक, लेखक, शास्त्रज्ञ, सैन्य अधिकारी, पर्यावरणवादी और समाजवादी व्यक्ति थे.

चार्ल्स लिंडबर्ग अचानक रातोरात प्रसिद्धी के शिखर पर पहुंच गये थे, क्योंकि वह पहले व्यक्ति थे जिन्होंने अमेरिका से पेरिस तक बिना रुके विमान चलाया था. तकरीबन ५८०० किमी की दूरी उन्होने ३३ घंटे और ३० मिनिट में तय की थी. इस महाकाय पराक्रम से वो यकायक प्रसिद्ध हो गये. उनके इस पराक्रम को मद्दे नजर रखते अमेरिकी सेना ने ‘मेडल ऑफ ऑनर’ इस सर्वोत्तम पदवी से उन्हे नवाजा.

अब्राहम लिंकन ने काफी कष्ट झेले,उन्हे अपने कार्यो के फल प्राप्त नही हुए, इसी कारण उनका चार्ल्स लिंडबर्ग के रूप में जन्म हुआ और उन्हे अपने पूर्वजन्म के कर्मों के फल मिले और लोगों से उन्हे प्यार दुलार मिला. जब लोगों ने योगानंद जी के वक्तव्य की सत्यता परखनी चाही तो उन्हे अब्राहम लिंकन और चार्ल्स लिंडबर्ग के जीवन में काफी समानतायें दिखी .  इस व्हिडियो में अब्राहम लिंकन और चार्ल्स लिंडबर्ग के जीवन की समानतायें और पुनर्जन्म की सत्यता प्रदर्शित की गई है. चार्ल्स लिंडबर्ग विमान के साथ पुनर्जन्म जैसी बात पर विश्वास कर पाना कठिन है परंतु ऐसी किसी घटना से कभी न सुलझने वाले सवाल पैदा होते है और एक अजीब सी बेचैनी महसूस होती है.

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