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सारागढ़ी का युद्ध 21 सिख बनाम 10000 अफ़ग़ान

सारागढ़ी का युद्ध 21 सिख बनाम 10000 अफ़ग़ान

यह महान कहानी है Battle of Saragarhi की, जब 21 बहादुर सैनिकों ने 10,000 दुश्मनों का मुकाबला किया. आपने बहुचर्चित हॉलीवुड फिल्म 300 तो जरुर देखी होगी. नहीं देखी तो हम कहानी बता देते हैं. यह फिल्म एक एतिहासिक घटना पर आधारित है, जब थर्मोपयले के युद्ध में स्पार्टा के राजा लियोनाइडस ने अपने 300 बहादुर स्पार्टन सैनिकों के साथ पर्शिया की भारी सेना का बहादुरी से मुकाबला किया. 300 फिल्म काफी हिट रही और इसके स्पेशल इफ़ेक्ट तो जबर्दस्त हैं. दुनिया को छोड़िये, हमारे भारतीय वीर भी कुछ कम नहीं. हमारे भारतीय इतिहास में भी एक ऐसी ही महान दास्तान छुपी है.

यह कहानी है सन 1897 में हुए सारागढ़ी युद्ध की, जब 21 बहादुर भारतीय सैनिकों ने 10,000 अफगान पश्तूनों से जबर्दस्त मुकाबला किया था. इस विषय पर 2017 में ही एक फिल्म Battle of Saragarhi भी रिलीज़ होने वाली है. फिल्म के डायरेक्टर राजकुमार संतोषी हैं और मुख्य भूमिकाओं में रणदीप हूडा और साउथ के एक्टर विक्रमजीत वर्क हैं. अक्षय कुमार की आने वाली फिल्म केसरी भी सारागढ़ी युद्ध पर आधारित है.

बैटल ऑफ़ सारागढ़ी :

12 सितम्बर 1897 को सारागढ़ी नामक स्थान पर यह युद्ध लड़ा गया था. यह स्थान आजकल आधुनिक पाकिस्तान में है. उस दिन का घटनाक्रम कुछ इस प्रकार है. 10000 अफ़ग़ान पश्तूनों ने तत्कालीन भारतीय आर्मी पोस्ट सारागढ़ी पर आक्रमण कर दिया.

सारागढ़ी किले पर बनी आर्मी पोस्ट पर ब्रिटिश इंडियन आर्मी की 36वीं सिख बटालियन के 21 सिख सिपाही तैनात थे. अफगानों को लगा कि इस छोटी सी पोस्ट को जीतना काफी आसान होगा. पर ऐसा समझना उनकी भारी भूल साबित हुई. उन्हें नहीं पता था कि जाबांज सिख किस मिट्टी के बने हुए थे. उन बहादुरों ने भागने के बजाय अपनी आखिरी सांस तक लड़ने का फैसला किया. जब गोलियां खत्म हो गयी तो तलवारों से युद्ध हुआ. ऐसा घमासान युद्ध हुआ कि उसकी मिसालें आज तक दी जाती हैं.

इतिहासकार मानते हैं कि यह इतिहास का महानतम युद्ध है, जब योद्धा आमने सामने की लड़ाई में आखिरी साँस तक अद्भुत वीरता से लड़े. मानव इतिहास में ऐसा कोई दूसरा उदाहरण नहीं है, जब ऐसा भयंकर मुकाबला हुआ हो. इतिहास में सारागढ़ी युद्ध थर्मोपयले के युद्ध के ही समकक्ष माना है.

अंत में 21 के 21 सिख सैनिक वीरगति को प्राप्त हुए, लेकिन 600 से अधिक अफगानों को मौत के घाट उतारकर. अफ़ग़ान जीत तो गए लेकिन उनका भारी नुकसान भी हुआ था. इस युद्ध के दो दिन बाद ब्रिटिश आर्मी ने आक्रमण करके पुनः इस पोस्ट पर कब्जा कर लिया.

उन महान भारतीय सैनिकों को मरणोपरांत ब्रिटिश साम्राज्य की तरफ से बहादुरी का सर्वोच्च पुरस्कार Indian Order of Merit प्रदान किया गया. यह पुरस्कार आज के परमवीर चक्र के बराबर होता है. 12 सितम्बर को Saragarhi Day घोषित किया गया और यह आज भी हर वर्ष ब्रिटेन, इंग्लैंड में मनाया जाता है. भारत में सिख रेजीमेंट इसे रेजीमेंटल बैटल आनर्स डे के रूप में मनाती है

बड़े दुःख की बात है कि हमारे इतिहास में मुगलों के आक्रमण और अत्याचारों की कहानी तो खूब पढाई जाती है, लेकिन सारागढ़ी युद्ध की बहादुरी की इस गाथा को कोई स्थान नहीं दिया गया. ठीक ऐसे ही दोनों विश्व युद्ध में दुनिया भर में मारे गये भारतीय जवानों की बहादुरी की दास्ताँ भी भुला दी गयी है.

इन्टरनेट के ज़माने में आज ये सब जानकारी एक क्लिक पर उपलब्ध है, जरुरत है कि हम भारतीय अपना इतिहास जानें, अपनी जड़ों से जुड़ें और खुद पर गर्व करना सीखें. इस विषय और अधिक जानकारी के लिए आप यह किताब The Battle of Saragarhi : The Last Stand of 36th Sikh Regiment भी खरीद सकते हैं.

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