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10 घातक मार्शल आर्ट्स तकनीकें

10 घातक मार्शल आर्ट्स तकनीकें

मार्शल आर्ट ऐसी विधा है जिससे कई प्राचीन सभ्यताओं ने अपनी सीमाओं की रक्षा की है। दुःख इस बात का है की आधुनिक युग में हमारी नौजवान पीढ़ी इस बेहतरीन कला से विमुख हो गयी है। आज हम बात करने वाले हैं दुनिया की 9 सबसे घातक मार्शल आर्ट तकनीकों का। इनमें से कुछ तकनीकें तो अब दुर्लभ सी हो चलीं हैं। जो विधा जीवित है उसे भी आधुनिक पैतरे मिला के हाइब्रिड बना दिया गया है।

मार्शल आर्ट के प्रत्येक स्टाइल की अपनी कुछ विशेष टेक्निक्स होती है जो आत्मरक्षा के समय अलग अलग प्रकार से प्रयोग होती है | अब सवाल यह उठता है की कौन सी मार्शल आर्ट बेस्ट है तो यह हालात और परिस्थिति के ऊपर डिपेंड करता है और लगभग प्रत्येक मार्शल गुरु का कथन है की “यह सब आपके अभ्यास और समर्पण पर निर्भर है”. तो चलिए जानतें हैं इनके बारे में

10 ताइक्वांडो

यह कला मूल रूप से कोरिया से निकली है और करीब 5,000 साल पुरानी मानी जाती है और यह भी कह सकते है की कोरिया और ताईक्वांडो साथ साथ ही विकसित हुए है |ताईक्वान्डो को इसकी तेज और घुमती हुई ऊँची किक की वजह से दुनिया की सबसे घातक मार्शल आर्ट में माना जाता है, और ताईक्वान्डो का अर्थ है किक और पंच (Tai का मतलब पैर और kwan का अर्थ मुट्ठी) | यह दुनिया का पहला ऐसा मार्शल आर्ट है जिसे ओलिंपिक में जगह मिली हुई है | ताईक्वान्डो के अभ्यासकर्ता में मजबूती, स्टैमिना, स्पीड, बैलेंस और फ्लेक्सीब्लिटी जैसे गुण माने जाते है |

9. आइकिडो (Aikido)

आइकिडो एक बहुत ही प्रभावी और बेहतरीन मार्शल आर्ट माना जाता है और यह अन्य मार्शल आर्ट की तरह ज्यादा पुराना या परम्परागत भी नहीं है | ऐकिड़ो की उत्पत्ति और विकास मास्टर ‘Morihei Ueshiba’ ने की थी | एकिदो में लड़ाई किसी को पीटकर या मारकर नहीं बल्कि हराकर जीती जाती है और इसके ऐकिड़ो फाइटर अपनी सुरक्षा का और इस बात का ध्यान रखता है की विरोधी को भी ज्यादा चोट ना लगे |
अगर देखा जाए तो ऐकिड़ो सभी जापानी मार्शल आर्ट में सबसे ज्यादा पेचीदी है और इसे सिखने के लिए एकाग्रता और अभ्यास की आवश्यकता पढ़ती है और जूजूत्सु की तरह ही इसमें भी विरोधी को उसके ही दांव से चित्त किया जाता है तथा विरोधी के गुस्से और आक्रामकता का उसके ही विरुद्ध प्रयोग किया जाता है | इसे दुनिया का सबसे शांतिपूर्ण मार्शल आर्ट माना जाता है लेकिन इसका मतलब यह नहीं की यह घातक नहीं है |

8. जूजीत्सू (Jujutsu)

जुसुत्सू, जापान की एक प्राचीन युद्ध कला है जिसका प्रयोग समुराई अपने हथियारहीन होने की दशा में करते थे | अन्य कलाओं के विपरीत जूजूत्सु में अपने प्रतिद्वंदी को पकड़ना, दूर फैकना और उसे काबू में करना है | जूजूत्सु एक विशेष मार्शल आर्ट्स इसीलिए भी है क्योकि इसमें अपने प्रतिद्वंदी के गुस्से और उसकी आक्रामकता का उसी के खिलाफ प्रयोग किया जाता है और जूजूत्सु के अधिकतर मूव्स भी विरोधी को दूर फेकने और उन्हें काबू में करने के लिए ही बनाए गए है | जूजूत्सु, उत्तरी अमेरिका में सबसे ज्यादा लोकप्रिय है |

7. निनजितसु

निन्जुत्सू मशाल आर्ट सिखने वाले को ‘निंजा’ कहते है और कई फिल्म्स में आपने इनको देखा भी होगा | कुछ समय पहले तक यह दुनिया की सबसे रहस्यमयी मार्शल आर्ट्स में से एक थी | निंजा मार्शल आर्ट को जापानी इतिहास में हत्यारे और गुरिल्ला योद्धा सीखते थे और यही इसकी सबसे बड़ी काबिलियत भी है, ऐसा कहा जाता है की घने जंगली और सुनसान जगहों पर निन्जुत्सू ट्रेनिंग कुख्यात हत्यारों और गुरिल्ला योद्धाओ को दी जाती थी जो अँधेरे में छुप कर अचानक हमला करके दुश्मनों का काम तमाम कर देते थे |

वास्तव में अन्य मार्शल की विपरीत निन्जुत्सू में हाथ पैरो के अलावा छुपे हुए हथियारों जैसे तलवार, छोटे चाकू, फैकने वाले हथियार और कुछ तरह के केमिकल का प्रयोग भी सिखाया जाता है और इसमें आमने सामने की लड़ाई की जगह छुप कर अथवा धोखे से लड़ाई करना सिखाया जाता है, इस कला में दुश्मन को पता नहीं होता की आप कैसे, किधर से और किस तरह से लड़ाई करोगे और इसीलिए इसे दुनिया की सबसे घातक और रहस्यमयी युद्ध कला माना जाता है | जापान के पुराने इलाको में तो आज भी लोग इन्हें स्पिरिट (आत्मा) योद्धा कहते है | अगर देखा जाए तो यह आज कमांडोज की तरह है |

6. विंग चुन (Wing Chun)

विंग चुन लगभग 17वी शताब्दी में तेजी से लोकप्रिय हुआ और लगभग सभी विंग चुन के जानकार एक कहानी के प्रति सहमत है की विंग चुन मार्शल आर्ट का सबसे पहले एक बौद्ध भिक्षुणी नग मुई ने अविष्कार किया था और इस मार्शल आर्ट के सभी रक्षात्मक और आक्रामक स्टाइल इन्होने पशु, पक्षी और किट पतंगों से प्रेरित हो कर लिए थे जैसे बाज, शेर, भालू तथा इस कहानी के ऊपर इसलिए भी सबसे ज्यादा विश्वास किया जाता है क्योकि यही कहानी ‘इप मैन’ ने ‘ब्रुस ली’ को भी सुनाई थी |

आज के समय में विंग चुन के फाइटर्स दुनिया के सबसे जाने-माने फाइटर्स है और विंग चुन की विशेषता यह भी की यह एक ही समय में अटैक और डिफेन्स दोनों सिखाता है और नजदीकी लडाइयो में बहुत जानलेवा भी है |

5. कराटे

भारत में मार्शल आर्ट के लिए अगर कोई सबसे ज्यादा प्रयोग किये जाने वाला शब्द है तो वो है ‘कराटे’ |कराटे एक जापानी शब्द है जिसका अर्थ है ‘खाली हाथ’ और वास्तव में कराटे है एक ऐसा मार्शल आर्ट है जिसमे कोई हथियार प्रयोग नहीं किया जाता और कहा जाता है की कराटे की शुरुआत 1300 साल पहले हुई थी लेकिन मॉडर्न कराटे के पितामह ‘Anko Itosu’ माने जाते है जिन्होंने साल 1908 में कराटे के ऊपर एक पुस्तक “10 Precepts of Karate” लिखी थी |

कराटे में हाथ और पैर को ही तलवार को चाकू की तरह प्रयोग किया जाता है और इसे बेस्ट सेल्फ डिफेंसिव भी माना गया है |

 

4. कुंग फु

अगर कहा जाए की आज के समय का सबसे फेमस मार्शल आर्ट शब्द ‘कुंग फु’ है तो कोई गलत नहीं है | कुंग फु एक चाइनीज मार्शल आर्ट है जिसका सरल शब्दों में अर्थ होता है ‘अपने से बड़े व शक्तिशाली पर विजय प्राप्त करना’ और अगर हम इसके मूल में जाए तो हम पाते है की चीन में इस कला का पादुर्भाव एक भारतीय राजकुमार ‘बोधिधर्मन’ ने किया था जिसका नाम आज भी सभी चीनवासी आदर के साथ लेते है, चीनियों ने इस कला को अपनाया और इसका विकास किया लेकिन हम भारतीयों का दुर्भाग्य है की हमने भारत में इस कला का दमन ही कर दिया |

सैकड़ो सालो तक यह युद्ध कला चीनी बोद्ध मठो में सिखाई जाती रही और ‘शाओलिन टेम्पल’ इस विद्या का प्रमुख केंद्र रहा और आज यह पूरी दुनिया में फेमस है और लगभग हर देश में यह सिखाई जाती है | इस कला में मुख्यतः ध्यान और बैलेंस का बड़ा ही महत्व है और यह श्रेष्ठ डिफेन्स आर्ट भी मानी जाती है |

3. मुय थाई – किकबॉक्सिंग

मुएय थाई, थाईलैंड का राष्ट्रिय खेल है और यह दुनिया के सबसे घातक मार्शल आर्ट में भी शामिल है, कुछ लोग इसे आठ अंगो का मार्शल आर्ट भी कहते है जिसमे कोहनी, मुट्ठी, घुटने और पैरो की पिंडलियाँ शामिल है | यह एक रफ़ टफ मार्शल आर्ट माना जाता है और थाईलैंड में पुराने जमाने में राजा के सभी सिपह्सलाह्कार यह मार्शल आर्ट ही सीखते थे और इसे दुनिया की सबसे अधिक घातक और तुरंत जान लेने वाली मार्शल आर्ट भी कहते है क्योकि इसमें शारीर के सबसे मजबूत अंगो का वार सबसे नाजुक अंगो पर किया जाता है | इसकी उपयोगिता इस बात से भी जाहिर होती है की अधिकतर मिक्स मार्शल आर्ट के खिलाडी लड़ाई के दौरान मुय थाई टेक्निक्स का ही प्रयोग करते है |

2. करव मागा (Krav Maga)

करव मागा, दुनिया के सबसे बेहतरीन और श्रेष्ठ सेल्फ डिफेन्स टेक्निक्स में से एक है और इसका अविष्कार लमी लीचटेनफील्ड (Imi Lichtenfeld) ने किया था जो दुनिया के बेहतरीन रेसलर, बॉक्सर और जिमनास्ट थे | लमी लीचटेनफील्ड ने करव मागा को क्यों बनाया इसकी भी बड़ी ही दिलचस्प कहानी है, साल 1930 के आसपास चेकोस्लोवाकिया देश में बहुत से यहूदी विरोधी ग्रुप थे जिनसे वहाँ का यहूदी समाज बुरी तरह से आतंकित था और उन्ही यहूदियों में से एक थे ‘लमी लीचटेनफील्ड’ | लमी लीचटेनफील्ड ने अपने परिवार और मित्रो को सुरक्षित रखने के लिए एक यहूदियों का ग्रुप बनाया जो यहूदी समुदाय को बचाने के लिए वहाँ की गलियों में पहरा देने लगे और यही से जन्म हुआ ‘करव मागा’ का जो बना ही गलियों, सडको की लड़ाई के लिए था और जिसकी वजह से यहूदी अपने विरोधियो से हमेशा ही एक कदम आगे रहे है |

करव मागा को खतरों को तुरंत बेअसर करने के लिए ही बनाया गया है और आज के समय के लिए यह श्रेष्ठ कला है | करव मागा के मूव्स बहुत ही रोमांचकारी नहीं होते लेकिन बहुत ही क्रूर, हिंसक और बुरे होते है और तभी कहा जाता है की अगर यह मूव्स अच्छा तो इसका मतलब है की यह करव मागा नहीं है |

करव मागा को बस, ट्रेन, गली, सड़क, पार्क या कही भी तुरंत लड़ाई होने की दशा में जीत के लिए ही बनाया गया है और अपने आसपास हर वस्तु को हथियार की तरह प्रयोग करने सिखाये जाते है जिसमे एक ही समय में रक्षा और हमला दोनों शामिल होते है |
करव मागा इजराइल का राष्ट्रीय मार्शल आर्ट है और इसे इस्राइली सेनाये और पुलिस प्रयोग करती है |

1. कलारिपयाट्टू

“कलारी ही कुंग फु की जनक है” – बोधि धर्मा और शाओलिन टेम्पल

दुनिया की सर्वश्रेष्ठ 10 मार्शल आर्ट में हमने जानबूझ कर कलारी को शामिल किया है जिसके बहुत गहरे और जरुरी मायने है | चीन और जापान में हर कोई जानता है की सभी मार्शल आर्ट की जनक सिर्फ एक ही है और वो है कलारी और बोधि धर्मन ने ही चीन को कुंग फु का ज्ञान दिया था तो इसका अर्थ यह है की भारत में यह विद्या पहले से ही मौजूद थी और चीन से ही यह विद्या जापान गयी और कराटे कहलाई | लेकिन अगर हम इसकी जड़ो में जाये तो पाते है की इस विद्या के जनक भगवान् परशुराम माने जाते है जिन्होंने बाद में ऋषि अगत्स्य को भी यह विद्या सिखाई तथा कई प्राचीन ग्रंथो में भी इस कला का उल्लेख है |

कलारी का अर्थ होता है युद्ध का मैदान और इसीलिए इस मार्शल आर्ट के बारे में यह कहा जाता है की यह किसी भी स्थिति में खेल नहीं है और न सिर्फ आत्मरक्षा की विधि है अपितु यह तो एक गंभीर युद्ध कला है जो सिर्फ जीत और जीत के लिए बनी है |
इस कला की घातकता आप सिर्फ इसी बात से समझ सकते है की इसमें शरीर के 108 मर्म स्थानों का विवरण है जिसमे किसी को भी क्षणभर में पंगु बनाया जा सकता है, बेहोश किया जा सकता है और मारा भी जा सकता है और इसके अलावा इसमें विष प्रयोग, हथियार चलाना, निशस्त्र लड़ना शामिल है और प्राचीन ग्रंथो में कई मारक तंत्र प्रयोगों का भी उल्लेख है जो इसे दुनियां की सबसे घातक और मारक युद्ध कला बनाते है |

सबसे बड़ा दुःख तो इस बात का है की वर्तमान में यह विद्या लगभग लुप्त होने के कगार पर है और केरल के ही कुछ हिस्सों तक सिमट कर रह गयी है और बड़े ही शर्म की बात है की हमने परशुराम को भगवान् तो माना लेकिन उनके द्वारा बनायी गयी दुनिया की सबसे प्राचीनतम युद्ध कला को भुला दिया | अब समय है की हम पुनः जाग्रत हो और इस कला को पुनः दुनिया की सर्वश्रेष्ठ कला के रूप में स्थापित करे |

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