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75% ख़राब कैसे हुआ लिवर? कैसे मैंटेन किया अपने आपको अमिताभ ने?

75% ख़राब कैसे हुआ लिवर? कैसे मैंटेन किया अपने आपको अमिताभ ने?

 अमिताभ बच्चन ने मंगलवार तड़के अपने ब्लॉग पर गहरी थकान होने की बात लिखी। उन्होंने बताया कि डॉक्टरों की टीम चेकअप के लिए मुंबई से आ रही है। वो एक बार फिर मुझे हार्ड वर्क के लिए तैयार करेंगे। इसके बाद मीडिया में उनकी तबीयत खराब होने की चर्चा शुरू हो गई। दोपहर तक तीन डॉक्टर्स की टीम जोधपुर पहुंच गई। डॉक्टर्स ने चेकअप के बाद उन्हें फिट करार दिया। बिग बी फिल्म ‘ठग्स ऑफ हिन्दोस्तां’ शूटिंग के सिलसिले में 10 दिन से जोधपुर में हैं। वैसे, अमिताभ का लिवर 75 परसेंट खराब हो चुका है। ये बात उन्होंने खुद बताई थी।

सिर्फ 25 परसेंट लिवर पर जिंदा हैं अमिताभ…

अमिताभ बच्चन खुद इस बात का खुलासा कर चुके हैं कि उनका 75 पर्सेंट लीवर खराब हो चुका है। अब वे सिर्फ 25 पर्सेंट लीवर पर ही जिंदा हैं। 2015 में हेल्थ मिनिस्ट्री के एक प्रोग्राम में अमिताभ ने कहा था, “मुझे हेपेटाइटिस बी (Hepatitis B) की बीमारी है। इसका पता मुझे साल 2000 में तब लगा, जब मैं रेग्युलर चेकअप के लिए गया था। डॉक्टरों ने बताया कि मेरा 75 पर्सेंट लीवर काम नहीं कर रहा है।” बता दें कि हेल्थ मिनिस्ट्री ने उन्हें ‘हेपेटाइटिस बी के खिलाफ’ एक कैंपेन का ब्रांड एंबेसडर बनाया है।

अमिताभ को कैसे हुई ये बीमारी?

अमिताभ के मुताबिक, ”कुली फिल्म की शूटिंग के दौरान वे घायल हुए थे, तब इलाज के लिए जरूरी खून की कमी पूरी करने के लिए करीब 200 लोगों ने ब्लड डोनेट किया था। उन्हीं में से किसी एक शख्स को हेपेटाइटिस बी की बीमारी थी, जो ब्लड लेने के दौरान उनमें भी आ गई।”

60 दिन अस्पताल में रहे थे बिग बी…

अमिताभ बच्चन ने अपने करियर में कई यादगार फिल्में दी हैं, लेकिन फिल्म ‘कुली’ उनके लिए सबसे ज्यादा यादगार रहेगी। यही वो फिल्म है जिसकी शूटिंग के दौरान अमिताभ अति आत्मविश्वास के कारण मौत के मुंह में गए थे और फिर उसी आत्मविश्वास के कारण ही वो जिंदगी की जंग जीत पाए थे। इसी फिल्म ने ‘महाभारत’ में दुर्योधन के किरदार में नजर आ चुके एक्टर पुनीत इस्सर को रियल लाइफ में भी विलेन बना दिया था। अमिताभ के शरीर से खून की एक बूंद भी नहीं निकली थी, लेकिन जब 3 दिन बाद डॉक्टरों ने ऑपरेशन के लिए उनका पेट चीरा तो हालत देखकर सभी हैरान थे। बिग बी को 60 दिन तक अस्पताल में रहना पड़ा था।

इस सीन में घायल हुए थे अमिताभ…

– बेंगलुरु में ‘कुली’ की शूटिंग चल रही थी। 24 जुलाई, 1982 को फिल्म के एक एक्शन सीन में पुनीत इस्सर अमिताभ के मामा को मारते हैं, तभी अमिताभ मामा को बचाने के लिए मैदान में कूद पड़ते हैं। 
– एक्शन डायरेक्टर के अनुसार आखिरी फाइट सीन में पुनीत का घूंसा अमिताभ के मुंह पर लगना था, जिससे वो टेबल पर लुढ़कते हुए गिरते हैं, ये सीन डुप्लीकेट से फिल्माया जाना था, लेकिन अमिताभ इसे खुद करने पर जोर दे रहे थे, ताकि सीन रियल लगे।
– प्लान के मुताबिक सीन हुआ, अमिताभ मुंह पर घूंसा पड़ते ही स्टील की टेबल पर गिरे और लुढ़कते हुए दूसरी ओर जा गिरे। सीन बिल्कुल रियल लगा, सभी तालियां बजा रहे थे। अमिताभ भी मुस्कुराए, लेकिन तभी उनके पेट में हल्का दर्द शुरू हुआ। दर्द के कारण वो कुछ देर गार्डन में टहले। अमिताभ ने बताया कि टेबल का कोना उनके पेट में बुरी तरह चुभा है। अमिताभ सहित सभी को ये चोट मामूली लग रही थी, क्योंकि खून की एक बूंद भी नहीं निकली थी। अमिताभ होटल में आराम करने चले गए, लेकिन दर्द कम नहीं हुआ।

शरीर में फैल गया था जहर, खून भी हो गया था पतला

– 28 जुलाई यानी ऑपरेशन के एक दिन बाद अमिताभ को निमोनिया भी हो गया। उनके शरीर में जहर फैलता जा रहा था, खून पतला हो रहा था। ब्लड डेंसिटी को सुधारने के लिए बैंगलौर में सेल्स मौजूद नहीं थे, जिन्हें मुंबई से मंगवाया गया। 
– खून में सेल्स मिलाने के बाद अमिताभ की स्थिति 4 दिनों में पहली बार कुछ सुधरी थी, लेकिन अगले ही दिन फिर उनकी हालत खराब हो गई और उन्हें जैसे-तैसे उन्हें संभाला गया। मीटिंग कर डॉक्टर्स ने तय किया कि अमिताभ को मुंबई ले जाना ही सही होगा, वहां बेहतर इलाज की सुविधा थी।
– फाइनली, एयरबस के जरिए अमिताभ को मुंबई ले जाना तय हुआ। स्टेचर पर लेटे अमिताभ को क्रेन की मदद से एयरबस में शिफ्ट किया गया। रात 11 बजे बैंगलौर से निकली एयरबस 31 जुलाई की सुबह करीब 5 बजे मुंबई पहुंची। 
– उन्हें ब्रीच कैंडी हॉस्पिटल की दूसरी मंजिल पर स्पेशल विजिलेंस वॉर्ड में रखा गया। 1 अगस्त की सुबह तक उनकी हालत में काफी सुधार था।

डॉक्टर्स ने पहली बार कहा, दवा नहीं दुआ की जरूरत…

– 2 अगस्त को अचानक अमिताभ की कंडीशन फिर बिगड़ गई। शरीर में लगातार जहर फैल रहा था। डॉक्टर्स के मुताबिक, दोबारा ऑपरेशन करना जरूरी हो गया था। 
– 3 घंटे तक ऑपरेशन चला और डॉक्टर्स ने पहली बार कहा कि अमिताभ की हालत नाजुक है। उन्हें दवाओं के साथ दुआओं की भी जरूरत है। इसी के साथ देशभर में अपने चहेते स्टार के लिए लोगों ने प्रार्थनाएं करनी शुरू कर दीं। 
– तमाम मंदिरों और धार्मिक स्थलों में लोग अमिताभ की सलामती की दुआ मांगने के लिए उमड़ पड़े।

जब डॉक्टर्स बोले- कोई चमत्कार ही बचा सकता है

– 13 अगस्त को डॉक्टर्स ने तीसरा ऑपरेशन किया। 14 अगस्त को जारी मेडिकल बुलेटिन में कहा गया कि अमिताभ की स्थिति में कोई खास सुधार नहीं है। डॉक्टर्स को उनके पेट में फोड़ा होने की शंका हुई। लंदन से एक्सपर्ट्स बुलाए गए। 
– एक और जहां डॉक्टर्स का कहना था कि अमिताभ का इलाज सही दिशा में चल रहा था तो वहीं वे यह भी कह रहे थे कि उन्हें दुआओं की जरूरत है। कोई चमत्कार ही उन्हें बचा सकता है।
– जिस दिन से अमिताभ बच्चन को मुंबई लाया गया था, तब से ब्रीच कैंडी अस्पताल के बाहर हजारों प्रशंसकों की भीड़ लगी रहती थी। 
– जया खुद जब प्रार्थना करने सिद्धि विनायक मंदिर गई तो देखकर हैरान रह गई कि वहां पहले से ही हजारों लोग अमिताभ की सलामती की दुआ मांग रहे हैं, जिन्हें काबू में करने के लिए भारी मात्रा में पुलिसबल तैनात था। 
– देशभर में कई जगह हवन हुए। यहां तक कि साउथ की एक एक्ट्रेस ने उज्जैन में अमिताभ की सलामती के लिए महामृत्युंजय जाप तक करवाया था।

24 सितंबर को मिली थी अस्पताल से छुट्टी, कहा था- खत्म हुई मौत से लड़ाई

– 16 अगस्त को अमिताभ की सेहत में सुधार हुआ। वो खाने-पीने लगे और कुछ कदम चले भी। लोगों की दुआएं असर दिखा रही थीं, लेकिन अभी भी उन्हें लंबे समय तक अस्पताल में रहना था। लगातार उनकी सेहत में सुधार हुआ। 
– 24 सितंबर के दिन आखिरकार अमिताभ को ब्रीच कैंडी अस्पताल से छुट्टी मिल गई। लोगों की बेकाबू भीड़ उनका इंतजार कर रही थी। ठीक होने पर अपने प्रशंसकों का धन्यवाद देते हुए अमिताभ ने कहा था, ‘जिंदगी और मौत के बीच यह एक भयावह अग्नि परीक्षा थी। दो महीने का अस्पताल प्रवास और मौत से लड़ाई खत्म हो चुकी है। अब मैं मौत पर विजय पाकर अपने घर प्रतीक्षा लौट रहा हूं।’ 
– घर पहुंचकर उन्होंने हाथ हिलाकर अपने शुभचिंतकों का शुक्रिया अदा किया। इस वास्तविक सीन को ही फिल्म ‘कुली’ के अंतिम सीन के तौर पर इस्तेमाल किया गया था।

कौन बना अमिताभ के लिए बैसाखी

– अमिताभ के मुताबिक, अस्पताल से बाहर आने के बाद चलने के लिए उन्हें किसी सहारे या बैसाखी की जरूरत थी, तब जया ने ही उन्हें सहारा और हिम्मत दी। उनके चेहरे पर संवेदना का भाव नहीं था।” 
– “मैं तो शारीरिक और मानसिक रूप से टूट चुका था, लेकिन जया मजबूती से खड़ी थीं। 7 जनवरी, 1983 को डॉक्टर्स ने मुझे ठीक घोषित कर दिया, लेकिन काम की इजाजत नहीं मिली। इसी साल अगस्त में डॉक्टर्स ने कहा कि आप थोड़ा काम भी कर सकते हैं। इसके बाद मैंने अपना काम और शूटिंग दोबारा से शुरू किया।”

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