विश्व भर की राजनैतिक ताकतों के बीच अंदर ही अंदर द्वंद चल रहा है ! जिसके समीकरण 1950 के दौर में अमेरिका और रूस के बीच चल रहे शीत युद्ध से कहीं ज्यादा पेचीदा और चिंता जनक है। इस बेहद ही तनावपूर्ण वैश्विक वस्तु स्थिति को देखते हुए तीसरे विश्व युद्ध की आशंका हर जनमानस के मन में घर कर गयी है और आज जिस शोध का हम खुलासा करने जा रहें हैं उससे इस भयावह संभावना को और भी बल मिलने वाला है ।
ये खुलासा किया है एक बेहद प्रतिष्ठित और प्रख्यात अमेरिक की कोलराडो यूनिवर्सिटी में कंप्यूटर साइंस पढ़ाने वाले साइंटिस्ट एरोन क्लॉसेट ने। उन्होंने वर्तमान वैश्विक समीकरणों के आधार पर डाटा या जानकारी एकत्रित की। जब उसका Statistical Analysis या सांख्यिकीय विश्लेषण किया गया तो ये साबित हो गया की मानव जाति आपस में युद्ध कर अपने अस्तित्व को समाप्त करने के बेहद करीब पहुँच गयी है।
क्लॉसेट ने जब प्रथम व द्वितीय विश्वयुद्ध और सन 1823 से 2003 के बीच हुए छोटे बड़े सभी अंतराष्ट्रीय युद्धों के दौरान बनते बिगड़ते अंतराष्ट्रीय संबंधो से मिले डाटा का अध्यन किया तो उनके सामने चौंका देने वाली संभावनाएं आयीं जो इशारा कर रहीं थी की मानव जाति उस खतरनाक कालखंड में प्रवेश कर चुकी हैं जहाँ ये कहना गलता नहीं होगा की हमारी सभ्यता अब उधार के समय पे ही चल रही है।
क्लॉसेट के इस Statistical Analysis के मुताबिक दूसरे विश्व युद्ध से जो की हो चूका है मात्र 100 से 140 वर्ष बाद तीसरे विश्वयुद्ध होने की वैज्ञानिक भविष्यवाणी है।यानी की तीसरा विश्व युद्ध सन 2045 से 2085 के बीच कभी भी संभव है। स्वयं क्लॉसेट का कहना है की उनकी ये स्टडी बहुत Genrous या उदार है। वर्तमान वैश्विक वस्तुस्थिति को देखते हुए दी गयी समय सीमा 50 प्रतिशत से भी अधिक कम हो सकती है। ध्यान रहे दो सबसे बड़े वैश्विक द्वंद World War I और World War II के बीच महज़ 30 वर्षों का फासला था। जब एरॉन क्लॉसेट ने दोनों विश्वयुद्धों और पिछले 200 वर्षों में हुए हर अंतराष्ट्रीय युद्ध के दौरान पैदा होने वाली खास किस्म की Pre War Conditions और Pre War Warning Signs या युद्ध पूर्व युद्ध होने के लक्षणों का अध्यन किया। तो उन्हें पता चला की हम खतरे की रेखा पार कर चुकें है। वर्तमान स्थिति में हम इन वार्निंग Signs को लगातार कई दशकों से महसूस कर रहें है और ये गुबार बहुत ही जल्द तीसरे विश्वयुद्ध के रूप में सचमुच घटित हो सकता है।
वहीँ हम प्रथम व द्वितीय विश्व युद्ध के दौर की तकीनीकी उपलब्धियों से कहीं ज्यादा सक्षम हो चुके हैं। यहाँ हम बताना चाहेंगे की World War II के दौरान एक दौर ऐसा भी आया था की कोई सिविलियन या आम नागरिक भी दुश्मन देश की बमबारी का कभी भी शिकार हो सकता था। पोस्ट वर्ल्ड वॉर II सभी देशों में सेटेलाइट के जरिये कम्युनिकेशन व मारक क्षमता विकसित करने की होड़ मच गयी। ताकि वे दुश्मन देश पर सटीक वॉर कर सकें जिससे Collateral Damage या आम जन मानस को होने वाली क्षति कम से कम हो l आज इसी का नतीजा है की हर देश आज सैकड़ों सेटेलाइट की मारक क्षमता की जद में आ गया है। और पालक झपकते ही सर्जिकल स्ट्राइक या जनरल डिस्ट्रक्शन दोनों मात्र एक ट्रिगर बटन के दबने से संभव हैं। और इसी वजह होने वाला ये तीसरा विश्व युद्ध बहुत अलग और अत्यधिक प्रलयंकारी हो सकता है।
एरोन क्लॉसेट का मानना है तीसरे विश्व युद्ध से पृथ्वी पर से मानव सभ्यता पूरी तरह ख़तम नहीं होगी क्योंकि आज भी ऐसे राजनेता और राष्ट्र बचें है जो परमाणु हमला करने के पक्ष में नहीं हैं और शायद इसी वजह से बचे रहेंगे। लेकिन इससे भी एक कदम आगे जा एरोन क्लॉसेट की Statistical Study ने ये संकेत दिए हैं की वह प्रलयंकारी युद्ध जो एक दिन मानव सभ्यता और संभवतः पृथ्वी पर से जीवन तक को ख़त्म कर देगा हमसे 383 वर्षों से 11,489 वर्ष ही दूर है। अगर इस समयावधि का औसत या मीडियन निकला जाये तो होतें हैं 1339 वर्ष। 13 सदियाँ बहुत लम्बा अंतराल है , जिस गति से हम पानी ईंधन और पर्यावरण का दोहन और दूषण कर रहें हैं हमें नहीं लगता की उस वक़्त तक पृथ्वी की हवा साँस लेने लायक रहेगी या नहीं। हो सकता है मानव जाति उस प्रलयंकारी युद्ध से पहले ही लुप्त हो जाए। या हो सकता है मानव जाति एक बार फिर Evolve हो क्रमागत उन्नति हो ,इस बार मानव चेतना की चेतन हो जाइये जाग जाइये अपनी पृथ्वी को बचाइए सही नेतृत्व को चुनिए एक ज़िम्मेदार नागरिक बन जाइये किसी देश या धर्म के नहीं पृथ्वी के ज़िम्मेदार नागरिक बन जाईये।
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