आखिर किसने बनायीं समुद्र के नीचे मिली 14 हज़ार साल पुरानी संरचना ?
तीन दशक पूर्व, एक जापानी (Japanese) गोताखोर ने जापानी द्वीपसमूह के दक्षिण-पश्चिम तट, योनागुनी (Yonaguni) के नज़दीक पत्थरों का एक विशाल भवन देखा। वैज्ञानिकों ने निर्धारित किया कि यह संरचना मानव निर्मित है और यह 14, 000 वर्ष से भी पूर्व में बनाया गया था—एक निष्कर्ष जिसने कई लोगों को असामान्य (paranormal) वर्णन ढ़ूंढ़ने की तरफ प्रेरित किया।
इस विशाल संरचना को सबसे पहले दौरा गोताखोर (tour diver) किहाचिरो अराटेक (Kihachiro Aratake) ने ढ़ूंढ़ा था, मेगालिथिक (megalithic) पत्थरों (megalithic stone) से निर्मित यह संरचना, इसमें से सबसे बड़ी संरचना, पिरामीड की तरह लगता है और दो फुटबाल मैदान के बराबर है।
जल-मग्न खंडहर, जो कि सतह से करीब 60 से 100 फीट नीचे स्थित हैं, उसे इतिहास में सबसे बड़ा जलमग्न पुरात्विक खोजों में से एक माना जाता है।
स्थान पर मौजूद ज्यमिती प्रतिमान (geometric patterns) के आधार पर, वैज्ञानिकों ने निष्कर्ष निकाला कि यह निर्माण प्राकृतिक नहीं है। जबकि संरचना में कई सारे राइट एंगल मौजूद हैं, यहां स्पष्ट आयातकार प्रणाली भी है, जो सीढ़ियों तक पहुंचते हैं।
अंडरवर्ल्ड (Underworld) किताब के लेखक, ग्राहम हैंकोक (Graham Hancock) के अनुसार, सभ्यता की रहस्यमयी उत्पत्ति, संरचना, जिसे वे एक समारोह कॉम्प्लेक्स (ceremonial complex) के रुप में मानते हैं, इसका निर्माण सोच के उस पैमाने का इस्तेमाल कर के बनाया गया है, जो हमारी जानकारी के सभी पाषाण युग सभ्यताओं से परे हैं। उनके अनुसार, संभवतः इस संरचना का निर्माण पिछले हिम युग के पिघलने से पूर्व बनाया गया था, एक निष्कर्ष में इस संरचना को 14,000 वर्ष पूर्व का बताया जाता है।
यह देखते हुए कि मानव जाति इतनी जल्दी इस तरह की संरचना की कल्पना करने में असमर्थ थे (इसलिए ऐसा माना गया कि इसका निर्माण मानव द्वारा नहीं किया गया), कुछ वैज्ञानिकों ने अलौकिक बुद्धिमत्ता की दिशा में कुछ सिद्धांत बनाये ।
जिस स्थान पर ये खंडर पाए गए हैं उसका इतिहास देखने पर, पता चला कि वहां कभी अनगिनत अद्भुत घटनाएं घटी थीं।
प्राचीन जापानी इतिहास के अनुसार, जापान के दक्षिण क्षेत्र में लंबे समय से किवदंतियों का विषय रहा है, जो बताते हैं कि जल में रहने वाले आग उगलने वाले ड्रैगन पानी से निकलकर उड़ते थे और नावों को पलट देते थे, जो नाविकों के जल में दफन होने का कारण बनते थे। महासागर के उस क्षेत्र को ड्रैगन्स ट्राएंगल (Dragon’s Triangle) नाम दिया गया, इसके अलावा डेविल सी (Devil’s Sea) के नाम से भी जाना जाता है।
आधुनिक काल में, इस क्षेत्र को यूएफओ (UFO) गतिविधियों का एक बड़ा हिस्सा माना जाता है।
आश्चर्यजनक रुप से, पानी के इस विशाल भाग का पृथ्वी के सटीक विपरीत दिशा में एक समकक्ष है, बिल्कुल उसी अक्षांस (latitude) पर—और बेशक वह बर्मुडा ट्राएंगल है, जिसे यूएफओ और असामान्य गतिविधियों का बड़ा हिस्सा माना जाता है।
पानी के दोनों क्षेत्रों को धोखा देने वाला माना जाता है, जहां चुंबकीय घटनाएं परकारों और उपकरणों के निष्क्रिय होने का कारण होती हैं, और सच में हज़ारों नाव और हवाई जहाज़ इस क्षेत्र में गलती से प्रवेश कर गए और गायब हो गए, यहां तक कि बिना किसी संकट संकेत द्वारा जानकारी दिए और बिना किसी सुराग़ के।
समानताएं यहीं खत्म नहीं होती हैं, जैसा कि ड्रैगेन्स ट्राएंगल के किनारों पर पाए गए खंडहरों की तरह ही क्यूबा के तट पर महासागर के नीचे भी खंडहर पाए गए, बिल्कुल बर्मुडा ट्राएंगल के किनारे पर, सीढ़ीदार और पीरामीड की संरचना के साथ। पूर्वी अटलांटिक और प्रशांत महासागर में योनागुनी की खंडहरों के बीच कोई संबंध हो सकता है?
कुछ पैरानॉर्मल विशेषज्ञों ने इस संभावना पर विचार किया है कि हो सकता है त्रिकोण एलियनों के रहने की तरफ इशारा करते हों, जो हो सकता धरती पर हज़ारों सालों तक रहे हों।
तथ्यों को देखते हुए ऐसा माना गया कि इस संरचना का निर्माण 14 हज़ार साल पूर्व इसके जलमग्न होने से पहले किया गया होगा और उस समय में पाषाण युग के मानव ऐसी संरचना के निर्माण की कल्पना नहीं कर सकते, तो फिर किसने किया होगा इन संरचनाओं का निर्माण? क्या यह मात्र एक संयोग है कि खंडहर रहस्यमयी समुद्र के दोनों तरफ बरमुडा और ड्रैगन ट्राएंगल पर स्थित है?
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