परग्रहियों से जुड़े 5 ऐसे साक्ष्य जिन्हें झुठलाया नहीं जा सकता
लगभग हर किसी ने रात को आसमान में उड़ने वाली अजीब चीज़ों की कहानियां सुना होगी और फुटेज भी देखा होगा। जबकि कुछ लोग यह भी कहते हैं कि अज्ञात उड़ान वस्तुएं (Unidentified Flying Objects) (UFO) दरअसल दूसरी दुनिया से आने वाले एलियन्स हैं, तो दूसरे इसे मनघडत कहानियां मानते हैं।
जुलाई 2 को वर्ल्ड यूएफओ डे (World UFO Day) मनाया जाता है, और हमें लगता है कि कुछ उदाहरण यह सिद्ध करने के लिए ठीक होंगे कि UFO सच में होते हैं, और वे हमारी पृथ्वी पर कई बार आ चुके हैं। और केवल आधुनक काल में ही नहीं, बल्कि लंबे समय से UFO हम तक आते रहे हैं।
हम सभी ने तथाकथित UFOs के वीडियो को देखा होगा जो धुंधले और पहचानने में मुश्किल होते हैं। लोगों द्वारा आसमान में उड़ने वाली चीज़ को देखने का दावा करने वाले लोगों के बारे में भी हम सभी ने सुना है। हालांकि इनमें से कुछ यकीनन नकली हैं, और तो कुछ को केवल धोखा और शहरी किवंदतियों के रुप में माना जाता है, जो निश्चित रुप से उनकी मौजूदगी की बात से अलग नहीं होते। इस धरती पर कई रहस्य हैं जो हमारी सीमा से परे जीवन की ओर इशारा करती हैं, और जो हमारे आसमान में उड़ने के सक्षम हैं।
यहां ऐसे पांच उदाहरण दिए गए हैं, जो साबित करते हैं कि एलियन पहले भी हमारे ग्रह पर आ चुके हैं।
1. नर्मबर्ग के आसमान में युद्ध (Battle over Nuremberg Skies)
यह लकड़ी का टुकड़ा 16वीं शताब्दि के स्टार वार्स के बराबर है, और यह अप्रैल 14, 1561 की एक घटना को दर्शाता है। व्याख्यानों के अनुसार, सुबह करीब 4-5 बजे, सूरज पर भयानक छाया दिखी, जबकि विभिन्न आकारों वाली चीजें—लकड़ी, गोले—अस्तव्यस्तता से उड़ने लगे, एक दूसरे से लड़ने लगे। आसमान से कई चीजें आग की लपेटों के साथ धरती पर गिरी थी।
कई लोग उस आश्चर्यजनक दृश्य को देखने के साक्षी बने, क्योंकि युद्ध एक घंटे से अधिक तक चला था।
2. दी पराकास स्कल (The Paracas Skulls)
पेरु (Peru) के दक्षिणी किनारे के पास कब्रों के समूह से प्रसिद्ध पुरातत्विद, जूलियो टेलो (Julio Tello) ने मानव खोपड़ी से भिन्न कुछ 300 खोपड़ियां देखी थी। हालांकि ये खोपड़ियां आम मानव खोपड़ियों से 25 प्रितिशत बड़े और 60 प्रितिशत वज़नदार है, यह हमें “कोनहेड्स” (Coneheads) या “एलियन” (Aliens) जैसी फिल्मों की याद दिलाते हैं।
पराकास हिस्ट्री म्यूजियम (Paracas History Museum) के निदेशक, ब्रायन फोर्सटर (Brien Foerster), ने पांच खोपड़ियों में से हड्डियों, बालों और दांतों के नमूने डीएनए टेस्ट के लिए लिया। लैब ने निष्कर्ष निकाला कि, “माइटोकोंड्रियल (mitochondrial) डीएनए किसी भी मानव, नर वानर या फिर किसी भी अन्य जानवर से ‘भिन्न’ म्यूटेशन को व्यक्त करता है।”
“म्यूटेशन व्यक्त करता है कि हम मानव जैसे दिखने वाले बिल्कुल नई चीज़ पर काम कर रहे हैं, होमो सेपिन्स (Homo sapiens), नीदरथल्स (Neaderthals) या डेनिसोवन्स (Denisovans) से बहुत अलग।”
3. पुमापुंकु के खंडहर (The Ruins of Pumapunku)
दुनिया में ऐसे तमाम प्राचीन खंडहर हैं, जो हमारे आधुनिक सभ्यता, प्रतिस्पर्धा में उन्नत तकनीकी उपलब्धियों के प्रदर्शन को हैरान करते हैं। बोलिविया (Bolivia) का प्राचीन खंडहर पुमापुंकु (Pumapunku) इस आधुनिक वास्तुशिल्प का अदभुत उदाहरण है।
ऐसा लगता है कोई निश्चित रुप से नहीं जानता कि इन संरचनाओं को कब बनाया गया था, और अनुमान लगाया जाता है कि ये 2,000 से 17,000 साल पूर्व के होंगे।
जितनी स्पष्टता से इन पत्थरों को काटा गया है, वैसा हमारे आधुनिक हथियार आज भी करने में असमर्थ है। बिल्कुल ठीक सही कोण के हैं और उन पर कोई छैनी के निशान भी नही है। पत्थरों की जोड़ इस कदर है कि उनके बीच एक सूई स्थापित करना भी असंभव है। यह ऐसा है जैसे पत्थरों को लेज़र से काटा गया हो।
इनमें से कुछ, मेगालिथ्स (megaliths), आकार में बहुत बड़े हैं, जिनका वजन 150 टन के बराबर है। निकटतम खदान से करीब 6 मील दूर, इन खड़ी ढ़लानों पर विशाल पत्थरों को ले जाना लगभग असंभव होगा, क्योंकि उनके पास ना तो खिचाई के लिए घोड़े थे, और ना ही उन्हें रोल करने के लिए लकड़ी का लट्ठा।
4. भारत के छत्तिसगढ़ की गुफा में प्राचीन पेंटिंग (Ancient cave paintings in Chhattisgarh, India)
भारत में छत्तीसगढ़ राज्य पुरातत्व और संस्कृति विभाग (Chhattisgarh State Department of Archaeology) ने गुफा के इस 10,000 साल पुरानी पेंटिंग की शोध के लिए विशेषज्ञों की मदद मांगी, जैसा कि इंडिया टाइम्स की रिपोर्ट में बताया गया। इतिहास से पूर्व साक्ष्य के बावजूद, इसमें इस्तेमाल किए गए प्राकृतिक रंग मुश्किल से धुंधले हुए हैं। दिलचस्प बात ये है कि इनमें से कुछ में यूएफओ(UFOs) और अलौकिकता (extraterrestrials) दर्शायी गई है।
पुरातत्विद, जे.आर. भगत (JR Bhagat) के अनुसार, “अजीब नक्काशीदार तस्वीरों में हथियारों जैसी चीज़ें पकड़े हुए दिखता है और चेहरे का रंग रूप स्पष्ट नहीं दर्शाया गया है। खासकर, नाक और मुंह नहीं है। यहां तक कि कुछ पेंटिंग्स में वे स्पेस सूट पहने हए भी दिखते हैं। हम प्रागैतिहासिक पुरुषों द्वारा कल्पना की संभावना का खंडन नहीं कर सकते हैं, लेकिन इंसान आमतौर पर ऐसी चीजों की कल्पना ही करते हैं।”
5. क्राइस्ट को सूली पर चढ़ाया जाना, विसोकी डेक्कानी मठ, कोसोवो (The Crucifixion of Christ, Visoki Dečani monastery, Kosovo)
14वीं शताब्दी की इस पेंटिंग को कोसोवो (Kosovo) के विसोकी डेकानी (Visoki Dečani) मठ में पाया गया। पेंटिंग में आसमान में दोनों तरफ दो उड़ती चीज़ों को दर्शाया गया है। उनमें से एक कृत्रिम उपग्रह जैसा दिखता है।
संशयवादि तर्क देते हैं कि उड़ती दोनों वस्तुएं सूरज और चंद्रमा का वर्णन करती हैं। हालांकि, जब सूर्य और चंद्रमा सामान्यतः इस तरह के क्रूसीफिक्सन (crucifixion) चित्रों और फ्रेस्को (frescos) के दोनों तरफ शामिल होते हैं, उन्हें दूसरे तरह से साकार किया जाता है, कुछ घोड़े के नेतृत्व वाले रथ, अन्य घिरे हुए चेहरे जैसे। लेकिन, क्यों इन्हें स्पेसशिप का रूप दिया गया है, और पहली बार इसे पेंट करने के लिए पेंटर को कहां से ऐसा विचार आया होगा?
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