कई हजार वर्ष पूर्व भागवत में शुकदेवजी ने जिस बारीकी से और विस्तार के साथ कलयुग का वर्णन किया है. जो हमारी आंखें खोलने के लिए काफी है. आज उसी वर्णन के अनुसार ही घटनाएं घट रही है और आगे भी जो लिखा है वैसा ही घटेगा.कलियुग यानी काला युग, कलह-क्लेश का युग, जिस युग में सभी के मन में असंतोष हो, सभी मानसिक रूप से दुखी हों, वह युग ही कलियुग है.
इस युग में धर्म का सिर्फ एक चैथाई अंश ही रह जाता है. कलियुग का प्रारंभ 3102 ईसा पूर्व हुआ था. श्रीमद्भागवत पुराण और भविष्यपुराण में कलियुग के अंत का वर्णन मिलता है. कलियुग में भगवान कल्कि का अवतार होगा, जो पापियों का संहार करके फिर से सतयुग की स्थापना करेंगे. कलियुग के अंत और कल्कि अवतार के संबंध में अन्य पुराणों में भी इसका वर्णन मिलता है.
कलियुग का काल
कलियुग का काल 4,32,000 साल लंबा है. अभी कलियुग का प्रथम चरण ही चल रहा. कलियुग का प्रारंभ 3102 ईसा पूर्व से हुआ था, जब पांच ग्रह; मंगल, बुध, शुक्र, बृहस्पति और शनि, मेष राशि पर 0 डिग्री पर हो गए थे. इसका मतलब 3102+2017= 5119 वर्ष कलियुग के बित चुके हैं और 426881 वर्ष अभी बाकी है.
कलियुग के अंत में महाप्रलय
बहुत काल तक सूखा रहने के बाद कलियुग में अंतिम समय में बहुत मोटी धारा से लगातार वर्षा होगी, जिससे चारों ओर पानी ही पानी हो जाएगा. समस्त पृथ्वी पर जल हो जाएगा और प्राणियों का अंत हो जाएगा. इसके बाद एक साथ बारह सूर्य उदय होंगे और उनके तेज से पृथ्वी सूख जाएगी.
कलियुग के अंत में भयंकर तूफान और भूकंप ही चला करेंगे. लोग मकानों में नहीं रहेंगे. लोग गड्डे खोदकर रहेंगे. धरती का तीन हाथ अंश अर्थात लगभग साढ़े चार फुट नीचे तक धरती का उपजाऊ अंश नष्ट हो जाएगा.
महाभारत
महाभारत में कलियुग के अंत में प्रलय होने का जिक्र है, लेकिन यह किसी जल प्रलय से नहीं बल्कि धरती पर लगातार बढ़ रही गर्मी से होगा. महाभारत के वनपर्व में उल्लेख मिलता है कि कलियुग के अंत में सूर्य का तेज इतना बढ़ जाएगा कि सातों समुद्र और नदियां सूख जाएंगी. संवर्तक नाम की अग्रि धरती को पाताल तक भस्म कर देगी. वर्षा पूरी तरह बंद हो जाएगी. सब कुछ जल जाएगा, इसके बाद फिर बारह वर्षों तक लगातार बारिश होगी. जिससे सारी धरती जलमग्र हो जाएगी…जल में फिर से जीव उत्पत्ति की शुरुआत होगी.
मनुष्य की औसत आयु 20 वर्ष ही रह जाएगी
पांच वर्ष की उम्र में स्त्री गर्भवती हो जाया करेगी. 16 वर्ष में लोग वृद्ध हो जाएंगे और 20 वर्ष में मृत्यु को प्राप्त हो जाएंगे. इंसान का शरीर घटकर बोना हो जाएगा. ब्रह्मवैवर्त पुराण में बताया गया है कि कलियुग में ऐसा समय भी आएगा जब इंसान की उम्र बहुत कम रह जाएगी, युवावस्था समाप्त हो जाएगी. कलि के प्रभाव से प्राणियों के शरीर छोटे-छोटे, क्षीण और रोगग्रस्त होने लगेंगे.
श्रीमद्भागवत के द्वादश स्कंध में कलयुग के धर्म के अंतर्गत श्रीशुकदेव जी राजा परीक्षित जी से कहते हैं, ज्यों-ज्यों घोर कलयुग आता जाएगा, त्यों-त्यों उत्तरोत्तर धर्म, सत्य, पवित्रता, क्षमा, दया, आयु, बल और स्मरणशक्ति का लोप होता जाएगा…अर्थात लोगों की आयु भी कम होती जाएगी जब कलिकाल बढ़ता चला जाएगा….कलयुग के अंत में…जिस समय कल्कि अवतार अवतरित होंगे उस समय मनुष्य की परम आयु केवल 20 या 30 वर्ष होगी. जिस समय कल्कि अवतार होगा. चारों वर्णों के लोग क्षुद्रों (बोने) के समान हो जाएंगे. गाय भी बकरियों की तरह छोटी छोटी और कम दूध देने वाली हो जाएगी.
इंसानों को खाने के लिए नहीं बचेगा कुछ
कलियुग के अंत में संसार की ऐसी दशा होगी कि अन्न नहीं उगेगा. लोग मछली-मांस ही खाएंगे और भेड़ व बकरियों का दूध पिएंगे. एक समय ऐसा आएगा, जब जमीन से अन्न उपजना बंद हो जाएगा. पेड़ों पर फल नहीं लगेंगे. धीरे-धीरे ये सारी चीजें विलुप्त हो जाएंगी.
इंसान हो जायेगा हिंसक
स्त्रियां कठोर स्वभाव वाली व कड़वा बोलने वाली होंगी. वे पति की आज्ञा नहीं मानेंगी. जिसके पास धन होगा उसी के पास स्त्रियां रहेगी. मनुष्यों का स्वभाव गधों जैसा दुस्सह, केवल गृहस्थी का भार ढोने वाला रह जाएगा. लोग विषयी हो जाएंगे. धर्म-कर्म का गायब हो जाएगा. मनुष्य जपरहित नास्तिक व चोर हो जाएंगे. सभी एक-दूसरे को लूटने में रहेंगे. कलियुग में समाज हिंसक हो जाएगा. जो लोग बलवान होंगे उनका ही राज चलेगा. मानवता नष्ट हो जाएगी. रिश्ते खत्म हो जाएंगे. एक भाई दूसरे भाई का ही शत्रु हो जाएगा. जुआ, शराब, परस्त्रिगमन और हिंसा ही धर्म होगा.
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