अमेरिका के कई अति गोपनीय राज का खुलासा करने वाले व्हिसिलब्लोअर एडवर्ड स्नोडेन ने भारत के ‘आधार’ के खिलाफ बोला है. स्नोडेन अमेरिका के जासूसी संबंधी कागजातों को 2012 में सार्वजनिक कर वहां की सरकार पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए थे. बाद में अमेरिका ने उन पर मुकदमा चलाने की कार्रवाई शुरू की, इसके बाद वे देश छोड़कर भाग गए. फिलहाल स्नोडेन रूस में अस्थाई तौर से रह रहे हैं. आइए जानते हैं स्नोडेन के बारे में खास बातें…
आधार के डाटा लीक के खतरों संबंधी रिपोर्ट का जिक्र करते हुए स्नोडेन ने ट्वीट कर रहा है कि सरकार इस मामले में सही में न्याय के लिए चिंताजनक है तो उन्हें अपनी आधार को लेकर नीतियों में सुधार करना चाहिए, जिन्होंने करोड़ों लोगों की निजता को खतरे में डाला है.
स्नोडेन ने लिखा कि अगर किसी को गिरफ्तार करना ही है तो वे UIDAI ही है. आपको बता दें कि आधार की खामियां उजागर करने के बाद एक पत्रकार पर UIDAI ने मुकदमा दर्ज कराया था.
अमेरिका की नाराजगी के बावजूद रूस ने स्नोडेन को रहने की इजाजत दी है. रूस के विदेश मंत्रालय ने पिछले साल बताया कि स्नोडेन के शरण की अवधि को बढ़ा दिया गया है.
रूसी अधिकारियों ने स्नोडेन को पहले एक साल के लिए शरण दी थी. इसके बाद उनकी शरण की अवधि तीन साल के लिए बढ़ा दी है. रूसी कानून के मुताबिक, नागरिकता लेने का आवेदन करने के लिए देश में कम से कम पांच साल रहना पड़ता है.
अमेरिकी खुफिया संस्था सीआईए के पूर्व उप निदेशक माइकल मोरेल ने कहा था कि स्नोडेन का प्रत्यर्पण कर रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के पास डोनाल्ड ट्रंप को शपथ ग्रहण का उपहार देने का बेहतरीन मौका है.
आज भी अमेरिका स्नोडेन को देश में लाकर कार्रवाई करना चाहता है. लेकिन स्नोडेन लगातार प्राइवेसी को लेकर आवाज बुलंद कर रहे हैं. दुनियाभर में लाखों लोग उनके प्रशंसक हैं जो ये मानते हैं कि उन्होंने अमेरिका के जासूसी प्रोग्राम को सार्वजनिक कर सही किया.
लोगों ने कैंपेन चलाकर स्नोडेन को माफी देने की मांग भी की थी. लेकिन अमेरिका ने ऐसा करने से मना कर दिया था.
स्नोडेन के खुलासे से यह भी सामने आया था कि अमेरिका का सर्विलांस प्रोग्राम कई देशों तक फैला हुआ है. जैसे उन्होंने दावा किया था कि अमेरिका जर्मनी से जुड़ी चीजों की भी निगरानी कर रहा है.
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