नेशनल एनिमल टाइगर को विलुप्त होने से बचाने के लिए शुरू हुए सरिस्का बाघ परियोजना में बाबा घुसपैठ कर रहे हैं। जंगल में 200 से ज्यादा बाबा अपने चेलों के साथ अवैध रूप से जमे हुए हैं। यही नहीं, ये बाबा आस्था के नाम पर दादागिरी पर उतारू हैं। जो भी वहां जाने की कोशिश करता है, उस पर गोलियां बरसाना शुरू कर देते हैं।
कोई करता है चरस-गांजे की खेती, कोई बेचता है विदेशी कुत्ते
– टाइगर की संख्या में लगातार आ रही कमी की वजह से भारत सरकार ने साल 1955 में अलवर के सरिस्का जंगलों में टाइगर रिजर्व की शुरुआत की थी। लेकिन प्रेजेंट टाइम में इसी रिजर्व पर बड़ा खतरा मंडरा रहा है।
– सरकार टाइगर रिजर्व संरक्षित घोषित करते हुए सरिस्का के जंगलों से गांवों को बेदखल कर रही है। अब तक 4 गांवों के लोगों को सरिस्का के कोर एरिया से बाहर निकाला जा चुका है। – इसके बावजूद यहां 200 से ज्यादा बाबा-गुरुओं ने जंगल में मंदिर-मजार के नाम पर पक्के निर्माण कर लिए हैं। हालांकि उनके आश्रमों में सिर्फ उन चेलों की एंट्री है, जो कि परमानेंटली वहां रहते हैं। न तो यहां भक्त आते हैं और न पूजा होती है। – आस्था स्थल के नाम पर अकेले सरिस्का में करीब 300 बीघा से ज्यादा जमीन बाबाओं के कब्जे में है। कोई इस पर चरस-गांजे की खेती कर रहा है, तो किसी ने विदेशी नस्ल के कुत्ते पालने-बेचने का धंधा चल रहा है।
24 साल का संन्यासी, 6 साल से बनाए है समाधि
सरिस्का बफर जोन के जम्मू साणा झरने के पास पुराने धूणे के स्थान पर पहाड़ के काफी हिस्से में पक्का निर्माण कर लिया गया है। भास्कर यहां पहुंचा तो बाबा के कहीं भ्रमण पर जाने की बात पता चली। स्थान पर बैठे पांच-छह चेले गांजा पीसकर चिलम तैयार करते मिले। इनमें दो युवक अलवर शहर के थे। उनका कहना था कि वे बाबा की सेवा में रहते हैं। बाबा जिनकी उम्र मात्र 24 साल है, वे बाल संन्यासी हैं। छह साल से यहां थे। अब 3-4 महीने पहले ही यहां पक्के मंदिर, समाधि बनवाए हैं।
SUV से चलते हैं बाबा, रखते हैं एप्पल का आईफोन
– भास्कर को मिली जानकारी के मुताबिक यहां रहने वाला बाबा सट्टे के नंबर देता है। कई लोग चंद महीनों में लखपति हो गए हैं। – बाबा अमरचंद नाम के व्यक्ति की डस्टर कार में घूमते हैं। एप्पल का आईफोन रखते हैं और कई सेवक 24 घंटे साथ रहते हैं। यहां पहुंच पड़ताल की तो आईफोन और कार की बात सही निकली।
अंदर घुसना मना है, कोशिश भी की तो होगा बुरा हाल
– श्रद्धालुओं से ज्यादा यहां नशेड़ी और सट्टे के नंबर लेने वाले पड़े रहते हैं। सरिस्का कोर एरिया के राइका गांव में तो बलबीर दास नाम के बाबा ने वन विभाग, पुलिस और यहां तक कि स्थानीय ग्रामीणों की एंट्री बंद कर दी है।
– वन भूमि पर चारदीवारी कर उस पर ताला लगा दिया और चेतावनी का बोर्ड लगा दिया कि यहां घुसने की कोशिश की तो आपके साथ बुरा व्यवहार होगा। – हैरानी की बात है कि वन अधिकारी आस्था के नाम पर हो रहे कब्जों की हकीकत से वाकिफ होकर भी कार्रवाई नहीं कर रहे। सरिस्का के कोर व बफर एरिया में एक साल के भीतर अवैध धर्म स्थलों की बाढ़ आ गई है। यहां अवैध पक्के निर्माण, बोरिंग, बिजली के कनेक्शन कर लिए गए हैं। – बफर एरिया में करीब 12 बीघा जमीन पर काबिज एक बाबा का तो यह तक कहना था कि किस बात का डर है, बाबाओं की सरकार है। ये तो रक्षा कर रही है। हमारे लिए बहुत कुछ किया है।
बाबा बोला- मेरे पास 12 बीघा जमीन, 12 अरब की तो होगी
– सरिस्का बफर जोन में वन विभाग अलवर बायोडायवरिस्टी पार्क से सटी जमीन पर धौला बाबा नाम के व्यक्ति ने आश्रम बना रखा है। – भास्कर बाबा के आश्रम के भीतर पहुंचा और उससे बात की तो उसका कहना था, “मेरे पास 12 बीघा जमीन है, कोई 12 अरब की होगी, करोड़ की होगी। अब मैं उस पर कुछ करना चाहता हूं। कोई कॉलेज खोल लूं? होटल, रेस्टोरेंट बनाया जाए या ऐसा करता हूं एक दानपेटी रखवा देता हूं। पहले तो लोग नहीं आते थे.. अब पार्क बना है। लोग आने लगेंगे तो हजार-दो हजार रोज मिल जाएंगे।”
बाबा की परमिशन के बिना कोई नहीं आ सकता, आया तो चलती हैं गोलियां
– सरिस्का के कोर एरिया के राइका में तो बलबीर दास मीणा नाम के बाबा ने नक्सली तर्ज पर करीब तीन किलोमीटर पहाड़ी दर्रे पर कब्जा कर रखा है। दो पहाड़ों के बीच पक्की दीवार और गेट बना उस पर ताला लगाकर रखता है। – इसके भीतर आश्रम-मंदिर है जहां वह अपनी मुंहबोली तलाकशुदा बेटी और उसके पुत्र के साथ अकेला रहता है। बाबा ने यहां बोर्ड लगा चेतावनी लिख रखी है कि – बिना उसकी इजाजत कोई भी अंदर आया तो बुरा बर्ताव होगा। जिसकी जिम्मेदारी खुद की होगी। आज्ञा से बाबा बलबीर दास। – ग्रामीणों ने बताया कि कोई भी भीतर जाने की कोशिश करे तो बाबा गाली-गलौच, पथराव व फायरिंग तक कर देता है। एक व्यक्ति को वह गोली मार चुका, लेकिन तब ग्रामीणों ने समझाइश से मामला निपटा दिया। श्रद्धालुओं, वनकर्मियों व ग्रामीणों को भी अंदर नहीं आने देता। – महिला को लेकर कोई भी आरोप लगा देता है। ग्रामीण कहते हैं, बाबा है इसलिए हम भी उधर नहीं जाते। भीतर बाबा क्या करता है, किसी को नहीं पता।
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