किसी अपराध की सजा श्राप दंड, कानून दंड, और व्यक्तिगत दंड तो आपने अक्सर कही पड़ा, सुना या देखा होगा. वैसे तो कई तरीकों से अलग-अलग देश और इंसान अपने तरीके से अपराधी को दंड देते आये है. इसी दंड श्रृंखला से हम आज आपको मध्यकालीन दंड की बात बताएंगे।
मध्यकालीन का अर्थ १००० इसवीं से लेकर १८५७ तक. मध्य युग को इतिहास का सबसे बर्बर युग माना जाता है. इस युग में तमाम वंश गुलाम वंश, खिलजी वंश, तुगलक वंश, सय्यद वंश, लोदी वंश के शासक हुए. इसी युग में वालचिया का व्लाद तृतीय (Vlad III) एक ऐसा रोमन शासक हुआ करता था. व्लाद को ड्रैकुला के भी नाम से जाना जाता था. जिसे इंसानों के अपराध का सजा देने में बड़ा मजा आता था. खासकर खाना खाते वक्त उसे अपराधी को सजा देने में मजा आता था. दंड का नियम और हथियार इतने खतरनाक थे कि यदि इस तरीके का दंड आज के युग में दिया जाय तो वो मानवाधिकार का उलंघन माना जायगा. इनमें से कुछ सजाएं ऐसी होती थीं जो पुरुष और महिला को एक समान रूप से दी जाती थी, जबकि कुछ सजाएं केवल पुरुषों या केवल महिलाओं के लिए बनी होती थीं। उस समय सजा देने के लिए जिन मशीनों का उपयोग होता था, उनमें से आज भी कुछ मशीनों को बचाकर रखा गया है। ताकि उस समय के शासकों की बर्बरता को याद किया जा सके.
इम्पलीमेंट (Impalement)
15वीं सदी में व्लाद तृतीय वल्लाशीअ का राजकुमार था, व्लाद को ड्रेकुला नाम से भी जाना जाता है. ऐसा इसलिए क्योंकि वह बेहद जालिम और क्रूर था, अपराध सिद्द होने पर वह धारदार पोल को अपराधी के शरीर के आर पार करने का आदेश सुनाता था. पोल की मोटाई इतनी होती थी कि उसे देख किसी भी इंसान की रूह कांप उठे. जिस इंसान को सजा मिलती थी उसे जबरदस्ती धारदार पोल पर बैठने के लिए मजबूर किया जाता था. पोल धीरे-धीरे उसके शरीर को चीरता हुआ निकल जाता था. पीड़ित को पोल पर इस तरह बिठाया जाता था कि शरीर को चीरते हुए ठुड्डी पर आकर रुक जाए और फिर धीरे धीरे ठुड्डी की हड्डी को पार करें. ऐसा इसलिए किया जाता था ताकि अपराधी को ज्यादा समय तक पीड़ा भुगतनी पड़ेगी. इस तरह से पोल लगाने पर 3 दिन की असहनीय पीड़ा झलने के बाद आखिरकार पीड़ित की मौत हो जाती थी. कहते हैं कि व्लाद ने अपने शासनकाल में 20,000 से लेकर 30000 लोगों को यह सजा सुनाई थी. व्लाद इतना जालिम इंसान था की खाना खाते वक्त उसे ऐसा देखने में बड़ा आनंद आता था.
जूडस क्रैडल (Judas Cradle)
जूडस क्रैडल को यहूदी पालना कहां जाता है. यह देखने में तो धारदार पोल से थोड़ा कम कष्टदाई लगे. लेकिन यह इंसान को तड़पा-तड़पाकर मारने वाला हथियार था. लोगों को नंगा कर के यहूदी पालने में बिठाया जाता था. यह प्रक्रिया बेहद खौफनाक होती थी पीड़ित को तीन जगह से बांधकर लटका दिया जाता था. फिर इसके नीचे यहूदी पालने को लगाया जाता था. पीड़ित को तीन जगह से बांधकर उसे खाली सीट पर लटका दिया जाता था. फिर उसके नीचे यहूदी पालने को लगाया जाता था. इस दौरान पीड़ित के पैर को रस्सी से बांध दिया जाता था. जिसे नीचे खड़े कुछ लोग पकड़े होते थे. सजा का आदेश मिलते ही लोग रस्सी को एकदम से खींचे थे. इस सजा के दौरान लोग घंटो रस्सी को खींचते रहते थे. कभी-कभी दर्द को बढ़ाने के लिए पीड़ित पर अतिरिक्त वजन लटका दिया जाता था.
कॉफिन टॉर्चर (Coffin Torture)
इसे कॉफिन प्रताड़ना कहा जाता है. मध्ययुग में काफी प्रचलित था. अगर आपको ध्यान हो तो किसी हॉलीवुड फिल्म में आपने इस तरह से सजा देते हुए देखा होगा. पीड़ित इस को इस पिंजरे में कैद किया जाता था ताकि वह अपनी जगह से हिल भी ना सके. इसके बाद पिंजरे को किसी पेड़ से लटका दिया जाता था. इस तरह की सजा गंभीर अपराध के लिए दी जाती थी. पीड़ित को या तो आदमखोर जानवर काट खाते या तो वह पक्षियों का निवाला बनता था. हालांकि देखने वाले पीड़ित का दर्द बढ़ाने के लिए उस पर पत्थरों से भी हमला करते थे.
द रैक (The Rack)
द रैक जिससे की हम सामान्य भाषा में हड्डी तोड़ कह सकते हैं मध्य युग में से प्रताड़ना को सबसे दर्दनाक माना जाता था. द रैक का एक लकड़ी का फ्रेम होता है इस में लकड़ी दो पट्टे ऐसे होते थे जो लीवर के सहारे ऊपर की ओर उठाए जाते थे. द रैक के दोनों तरफ एक लीवर होता था दोनों पट्टे पर क़िले क़िले होती थी. सजा देते वक्त इनके हाथ-पैर बांधकर उसे इस पर लिटा दिया जाता था. फिर शुरु होता था द रैक का असली खेल. द रैक के दोनों तरफ एक एक व्यक्ति लीवर को मजबूती से उठा था और जैसे-जैसे पट्टा उठता पीड़ित की हड्डिया कड़कड़ाहट की आवाज के साथ टूटती जाती. यह खेल जब तक चलता रहता जब तक पीड़ित दम नहीं तोड़ देता.
द ब्रैस्ट रिपर The Breast Ripper
इस हथियार से सिर्फ महिलाओं को सजा दी जाती थी. अगर कोई महिला दूसरे पुरुष के साथ गलत संबंध बनाती पाई जाती या फिर उस पर इस तरह का आरोप साबित होता. तो ब्रैस्ट रिपर के जरिए उसे सजा दी जाती थी. रिपर को महिला के स्तन से लगा कर जोर से दबा दिया जाता था. हालाँकि हैवानियत का मंजर इतनी ही नहीं थी इस हथियार को आग पर गर्म किया जाता था. इस सजा के दौरान पीड़ित के उभार को पूरी तरह से निकाल बाहर किया जाता था. इस सजा में अधिकतर स्त्रियों की मौत हो जाती थी और जो चिंता बचती थी उनकी जिंदगी मौत से बदतर होती थी.
द पीअर ऑफ़ अंगुइश (The Pear Of Anguish)
तस्वीरों में देख आप अंदाजा लगा सकते हैं कि छोटा सा यह हथियार पीड़ित के लिए कितना कष्टदायक साबित हो सकता है. इस हथियार का इस्तेमाल बच्चा गिराने वाली महिलाओं, झूठ बोलने वालों और होमोसेक्सुअल लोगों पर होता था. यह नुकीला यंत्र ऊपर लगा पेंच घुमाने पर चार हिस्सों में बट जाता था. इस हथियार को झूठ बोलने वालों के मुंह में और महिलाओं की योनि में और होमोसेक्सुअल लोगों की गूदे में डालकर उसके पेंच को घुमाया जाता था. जैसे जैसे पेंच को घुमाते यह बड़ा होता जाता जिस से पीड़ित को बहुत दर्द होता. फिर उस की खाल फट जाती और हड्डियां टूट जाती. अंत में उस व्यक्ति की मृत्यु हो जाती थी.
द ब्रेकिंग व्हील (The Breaking Wheel)
द ब्रेकिंग व्हील को कैथरीना व्हील के नाम से भी जाना जाता था. इस हथियार से पीड़ित जिंदा नहीं बच पाता था. लेकिन यह उसे इतना तड़पा कर मारता था कि देखने वालों की रूह कांप उठती थी. पीड़ित को पहिये के ऊपर बांधकर उस पर हथौड़े से तब तक पर वॉर किया जाता था जब तक उसके शरीर की हड्डियां टूट नहीं जाती. फिर मरने के लिए उसे छोड़ दिया जाता था. कभी-कभी पीड़ित को एक ऊंचे व्हील पर रखा जाता था. ताकि पक्षी उस टूटे इंसान की चीर फाड़ कर खा सके. ऐसा भी कहा जाता है कि जिन पर दया आ जाती उनके सिर्फ छाती और पीठ पर ही हथौड़े से वार किया जाता था. हालांकि पीड़ित किसी भी सूरत में जिंदा नहीं बचता था.
साव टॉर्चर (Saw Torture)
यह सजा पीड़ित को घोर वह गंभीर अपराध के लिए दी जाती थी. इसमें दो खम्बे के सहारे पीड़ित का पैर बांधकर उसे उल्टा लटका दिया जाता था. उल्टा इसलिए लटकाया जाता था ताकि उसके दिमाग की ब्लड सप्लाई चालू रहे और वह इंसान ज्यादा समय तक जिंदा रहे. उसके बाद एक बड़ी आरी लेकर उसको बीच में से धीरे-धीरे काटा जाता था. किसी किसी मुजरिम का ही पूरा हिस्सा काटा जाता था. अधिकतर को तो केवल काट आधा काटकर छोड़ दिया जाता था. ताकि उसकी तड़प-तड़पकर मौत हो जाये.
द हेड क्रशर (The Head Crusher)
यह मध्यकाल में स्पेन में प्रयोग होने वाली आम तकनीक थी. तस्वीर में आप देख सकते हैं कि एक सजा वाले व्यक्ति के लिए बनाया गया है. पीड़ित का सिर इस टोपी से जकड़ दिया जाता था. इसके बाद एक व्यक्ति धीरे-धीरे लिवर को घुमाने लगता था. जैसे-जैसे लिवर घूमता टोपी से लगे रोड पास आते जाते फिर एक झटके में पीड़िता की खोपड़ी आवाज के साथ फट जाता था और उसकी मौत हो जाती थी.
द नी स्प्लिटर (The Knee Splitter)
यह हथियार भी स्पेन में ही इस्तेमाल किया जाता था. इसके द्वारा दिए गए सजा में अपराधी की मौत तो नहीं होती थी मगर वह जीवन भर वह चल फिर नहीं सकता था. तस्वीर में हथियार को देखते ही आप अंदाजा लगा सकते हैं कि यह कितना खतरनाक होगा. इसे द नी स्प्लिटर कहते हैं. इसमें पैरों के घुटनों को फसाकर इसे दबाया जाता था जिससे कि उसके घुटनो की हड्डियां टूट जाती थी. कभी-कभी इस हथियार का उपयोग घुटनो के अलावा कोहनियों पर भी किया जाता था.
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