ब्राजील में पहाड़ियों के बीच बसा नोइवा दो कोरडेएरो एक छोटा सा गांव है। इसे खूबसूरत लड़कियों के टाउन से भी जाना जाता है। यहां रह रही 600 लड़कियों ने शादी के लिए लड़के न मिलने की शिकायत की थी, जिसके चलते दो साल पहले ये काफी सुर्खियों में भी रहा था। यहां घर से लेकर बाहर तक के सभी काम महिलाएं ही करती हैं। यहां मुश्किल से जो मर्द दिखते भी हैं, वो भी शादीशुदा और उम्रदराज हैं।
– यहां रहने वाली नेल्मा फर्नांडिस ने बताया कि कस्बे में पुरुषों की संख्या गिनती की है। जो पुरुष हैं भी वो भी शादीशुदा हैं या फिर रिश्तेदार हैं।
– कस्बे में रहने वाली शादीशुदा महिलाओं के पति भी साथ नहीं रहते। वो काम के लिए कस्बे से दूर शहरों का रुख कर चुके हैं।
– यहां खेती-किसानी से लेकर बाकी सभी काम कस्बे की महिलाएं ही संभालती हैं। कम्युनिटी हॉल के लिए टीवी खरीदने से लेकर हर तरह का प्रोग्राम ये मिल-जुलकर करती हैं।
शादी के लिए नहीं मिल रहे थे लड़के
– इस कस्बे में रहने वाली लड़कियों ने दो साल पहले ये शिकायत की थी कि यहां शादी करने के लिए लड़के नहीं मिल रहे हैं।
– कस्बे की लड़कियों ने कहा था कि वो भी प्यार और शादी के सपना देखती हैं, लेकिन उन्हें समझ नहीं आ रहा कि ये पूरा कैसे होगा।
– हालांकि, लड़कियों का ये भी कहना था वो इसके लिए कस्बा नहीं छोड़ना चाहती हैं। वो शादी के बाद भी यहीं रहना चाहती हैं।
– लड़कियों की चाहत है कि शादी के बाद लड़का उनके कस्बे में आकर उन्हीं के नियम-कायदों से रहे।
कैसे महिला हुकूमत की हुई शुरुआत
इस कस्बे की पहचान मजबूत महिला समुदाय की वजह से है। इसकी नींव मारिया सेनहोरिनहा डी लीमा ने रखी थी, जिन्हें कुछ वजहों से 1891 में अपने चर्च और घर से निकाल दिया गया था। 1940 में एनीसियो परेरा नाम के एक पादरी ने यहां के बढ़ते समुदाय को देखकर यहां एक चर्च की स्थापना की। इतना ही नहीं उसने यहां रहने वाले लोगों के लिए शराब ना पीने, म्यूजिक न सुनने और बाल न कटवाने जैसे तरह-तरह के नियम कायदे बना दिए। 1995 में पादरी की मौत के बाद यहां की महिलाओं ने फैसला किया कि अब कभी किसी पुरुष के जरिए बनाए गए नियम-कायदों पर वो नहीं चलेंगी। तभी से यहां महिलाओं का वर्चस्व है।
(नोट- वुमंस डे पर हम आपको महिलाओं से जुड़ी खास जगहें और फैक्ट्स पर स्टोरी लगा रहे हैं।)
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