Do Crocodiles Cry? क्या है घड़ियाली आँसुओं का राज ?
घड़ियाली आंसू वाली कहावत हिंदी और अंग्रेजी दोनों में विद्यमान है, और समान अर्थ रखती है, यानी कपटपूर्ण ढंग से सांत्वना दर्शाना। पर सवाल ये है कि क्या घड़ियाल सचमुच रोते हैं, यानी आंसू बहाते हैं? इसका जवाब है, कि हां, घड़ियालों की आंखों में आंसू पैदा करनेवाले अवयव होते हैं, और उनकी आंखों से आंसू सचमुच टपकते हैं, खासकर जब वे भोजन कर रहे होते हैं।
सवाल है, इसका कारण क्या है, घड़ियाल आंसू क्यों बहाते हैं? प्रकृति विदों ने इस गुत्थी पर काफी विचार किया है। पुराने प्रकृति विदों का जवाब यह था कि घड़ियाल जब अपने शिकार को खा रहा होता है, तो उसे उसका शिकार बने जीव की याद आती है और उसके मर जाने पर इतना दुख हो आता है, कि वह अपने आंसू रोक नहीं पाता, हालांकि शिकार को मारा उसी ने होता है।
यह जवाब रोचक है, पर हमें संतुष्ट नहीं करता, क्योंकि घड़ियाल में इस तरह की विचारणा क्षमता हो नहीं सकती, उसका मस्तिष्क इतना विकसित ही नहीं है। जानवरों को वह अपनी भूख मिटाने के लिए मारता है, न कि किसी द्वेष भावना से। इस तरह की मानव भावनाएं जानवरों में आरोपित करना प्राचीन मानव की एक पुरानी आदत रही है। मनुष्य को चुनौती देनेवाले जानवरों को बुरा बना देना और जो उससे सहयोग करे, उन्हें महिमा-मंडित करना, मनुष्य की प्रवृत्ति रही है। इस तरह घड़ियाल, भेड़िए, सांप आदि बुरे जानवर बन गए हैं और हाथी, गाय, हंस आदि अच्छे। कुछ, जैसे गाय, लंगूर आदि देवता की पदवी भी प्राप्त कर गए हैं।
हमारे प्रश्न के इस अवैज्ञानिक उत्तर पर और समय न बिगाड़कर कुछ अन्य अधिक वैज्ञानिक उत्तरों की ओर बढ़ते हैं।
कुछ वैज्ञानिकों का मानना है कि भोजन करते समय घड़ियाल आंसू इसलिए निकालता है क्योंकि उसकी आंसू में ऐसे कुछ एन्जाइम होते हैं, जो भोजन को मुलायम बना देते हैं, जिससे भोजन निगलना घड़ियाल के लिए आसान हो जाता है। आंसू आंखों से तो निकलते ही है, लेकिन चूंकि आंसू की ग्रंथियां नासिका और मुंह से भी जुड़ी होती हैं, आंसू मुंह के अंदर भी फैल जाता है। पर बारीकी से विचार करने पर यह उत्तर भी कुछ जंचता नहीं है – घड़ियाल अपने भोजन को आमतौर पर पानी में ही खाता है, और खाते समय उसके मुंह में भारी मात्रा में पानी विद्यमान रहता है। इसकी तुलना में चंद बूंद आंसू भोजन को कहां तक मुलायम कर पाएंगे, यह विचारणीय है।
एक तीसरा टेक यह है कि जब घड़ियाल भोजन करता है, तो शिकार को निगलने की कोशिश में आंसू लानेवाली ग्रंथियां दब जाती हैं, जिससे उनमें मौजूद आंसू बाहर आ जाता है। यह समाधान सबसे संतोषजनक लगता है।
ध्यान रहे कि घड़ियालों में और मगरों में भी आंखों में तीन पलकें होती हैं। ऊपरी पलक, निचली पलक और इन दोनों के नीचे एक और पलक, जो पारदर्शी होती है। यानी, पूरे भोलेनाथ होते हैं ये विशाल सरीसृप! पानी के नीचे रहने पर घड़ियाल इस तीसरी पलक को आंखों पर चढ़ा लेता है। आंसू का प्रयोजन इस पलक को अच्छी तरह चिकना बनाए रखना होता है, ताकि वह आसानी से आंखों पर चढ़ाया जा सके।
घड़ियाली आंसू का एक अन्य कारण भी बताया जाता है, जो दरअसल खारे पानी में रहनेवाले मगर (सोल्टवाटर क्रोकोडाइल) पर अधिक खरा उतरता है। कहा जाता है कि घड़ियाल में पसीना बहाने की व्यवस्था नहीं होती, जैसा कि स्तनधारी, गरम खूनवाले प्राणियों में होती है। इससे वह अपने खून में जमा हुए नमक को पसीना बहाकर बाहर नहीं निकाल पाता। इसके बदले वह आंसू बहाकर अपने खून में विद्यमान अतिरिक्त नमक से छुटकारा पा लेता है। आंसू में लवणों की अधिकता होती है।
समुद्री कच्छपों में भी अतिरिक्त नमक से छुटकारा पाने की यही व्यवस्था पाई जाती है, यानी आंसू बहाकर।
कहने का मतलब है कि घड़ियाल ही नहीं समुद्री कच्छप भी रोने में कुशल होते हैं, हालांकि उनके संबंध में कोई कहावत नहीं बन पाई है।
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