शो ‘कॉमेडी क्लासेस’ (2014-2016) से सेल्फी मौसी के नाम से फेमस हुए कॉमेडियन सिद्धार्थ सागर पिछले चार महीने (दिसंबर 2017) से लापता थे। बाद में सिद्धार्थ ने खुद इंस्टाग्राम पर अपने ठीक होने की खबर की पुष्टि की थी। हाल ही में सिद्धार्थ ने मीडिया से बातचीत की और अपनी फैमिली और खुद की हालत के बारे में खुलासा किया।
खाने में ड्रग्स मिलाकर देते थे पेरेंट्स
सिद्धार्थ ने मीडिया से बातचीत में खुलासा करते हुए बताया कि पेरेंट्स उन्हें खाने में ड्रग्स मिलाकर देते थे।
इस बात का पता उन्हें तब चला जब वे अजीब सा फील करने लगे और उनका वेट भी कम भी होने लगा था।
इस दौरान उन्होंने स्मोकिंग कम की तो कॉफी ज्यादा पीने लगे।
उन्होंने बताया, जब मैंने अपनी हालत के बारे में पेरेंट्स को बताया कि उन्होंने मुझे कहा कि मुझे बायपोलर नाम की बीमारी है।
इस बीमारी के बारे में सुनकर मैं शॉक्ड रह गया। मुझे इस बीमारी के बारे में पता था और मुझे कभी इस बीमारी से संबंधित कोई सिम्टम्स खुद में नहीं दिखे।
सिद्धार्थ ने बातचीत में बताया कि मेरे पेरेंट्स को अलग हुए 20 साल हो गए हैं। बावजूद इसके हमारे बीच रिलेशनशिप रही। मेरे पिता दिल्ली में रहते हैं और मैं मां के साथ मुंबई में। घर में हम दोनों ही है इसलिए हम एक-दूसरे के काफी क्लोज थे। मां मेरी सबसे अच्छी दोस्ती रही है। उनसे ज्यादा मैं किसी और पर भरोसा नहीं कर सकता। इसी दौरान मां की मुलाकात सुयश गाडगिल नाम के शख्स से हुई। मुझे ये जानकर खुशी हुई कि मां की लाइफ में कोई आ गया है। लेकिन सुयश के आने के बाद मुझे लाइफ में चेंज देखने को मिला।
सेल्फी मौसी ने बताया, ‘मैं आध्यात्म में विश्वास रखता हूं। दिल्ली में मेरे गुरु भी है। मैं वहां अक्सर जाता रहता हूं। मेरे पेरेंट्स नहीं चाहते थे कि मैं एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री का हिस्सा बनूं। उन्होंने मुझे इंडस्ट्री से दूर रखने की खूब कोशिश की, लेकिन वे सफल नहीं हो पाए’।
सिद्धार्थ ने बातचीत के दौरान बताया, ‘मैंने सुयश को वॉर्न भी किया था वो हमारी जिंदगी से खिलवाड़ न करें। मैंने उसे कह दिया था कि वो मेरे मां के इमोशन्स से न खेले। स्थितियां तब और ज्यादा खराब हो गई जब एक रात मेरी और सुयश की जमकर लड़ाई हुई और मैं घर छोड़कर चला गया। मैं अकेले रहने लगा। मेरे पेरेंट्स खाने में मुझे जो ड्रग्स देते थे उसकी वजह से मेरी हालत और खराब होने लगी। मेरी हालत को देखकर मां ने मुझे रिहैब सेंटर में भर्ती करवा दिया’।
सिद्धार्थ ने बताया कि सेंटर में मुझे काफी टॉर्चर किया जाता था। यहां पर 4-5 लोग मिलकर मुझे मारते थे। उनकी पिटाई के बाद मैं अपने होश खो देता था। मैंने बड़ी मुश्किल से अपने मैनेजर को कॉन्टेक्ट किया। मैनेजर ने मुझे सेंटर से करीब एक महीने बाद बाहर निकाला। मैं चाहता था कि मेरी लाइफ ठीक हो जाए लेकिन ऐसा नहीं हुआ। एक बार गोवा जाते समय मुझे बीच में से ही उठवा लिया गया और मुझे पागलखाने में डाल दिया गया। यहां का इलाज काफी महंगा था और मां खर्चा नहीं उठाना चाहती थी इसलिए उन्होंने मुझे पागलखाने से निकालकर आशा की किरण रिहैब सेंटर में शिफ्ट कर दिया।
सिद्धार्थ ने बताया कि आशा की किरण के फाउंडर ने मुझे स्ट्रेस लेने से मना किया। जब उन्होंने मेरा इलाज किया तो पाया कि गलत दवाईयों की वजह से मेरी ये हालत हुई हैं। अब मैं ठीक हूं और दोबारा काम पर लौटना चाहता हूं।
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