शोधकर्ताओं ने अध्ययन के आधार पर परिकल्पना की है कि संभवतः चार अरब साल पहले पृथ्वी का एक दूसरा चांद था जो धीमी गति से बड़े चांद के साथ टकराया और नष्ट हो गया। इस परिकल्पना का विस्तृत ब्यौरा नेचर पत्रिका में छपा है। शोधकर्ताओं ने संकेत दिया है कि दूसरा छोटा चांद नष्ट होने से पहले लाखों साल तक अस्तित्व में रहा। वैज्ञानिकों का मानना है कि धीमी गति से छोटे चांद के बड़े चांद से टकराने के कारण ही संभवतः चांद की पृथ्वी से नजर आने वाली सतह पर कई खाइयां है (जिन्हें साहित्यकार चांद में दाग बताते हैं), लेकिन चांद का जो भाग पृथ्वी से नजर नहीं आता है, उस ओर इस टकराव की वजह से लगभग 3000 मीटर ऊंचे पहाड़ पैदा हो गए। मात्र 2.4 किलोमीटर प्रति सेकंड का टकराव। वैज्ञानिकों का आकलन है कि लगभग चार अरब साल पहले पृथ्वी से मंगल ग्रह जैसा कोई ग्रह टकराया, लेकिन इस टकराव के मलबे से एक चांद पैदा होने की जगह दो चांद पैदा हुए। दूसरा चांद पृथ्वी के गुरुत्त्वाकर्षण के कारण पृथ्वी और बड़े चांद के बीच में फंस गया। लाखों साल इसी स्थिति में रहने के बाद वह धीरे-धीरे चांद की ओर आकर्षित हुआ और लगभग 2.4 किलोमीटर प्रति सैकंड की गति से उससे टकराया और वैज्ञानिकों के अनुसार इसी कारण से बड़े चांद पर 3000 मीटर ऊंचे पहाड़ पैदा हो गए। इस अध्ययन से जुड़े स्विट्ज़रलैंड के बर्न विश्वविद्यालय के एक डाक्टर मार्टिन जुत्जी का कहना है, ये टकराव बहुत ही धीमी गति से हुआ था, लगभग 2.4 किलोमीटर प्रति सेकेंड की गति से- यह महत्त्वपूर्ण है क्योंकि इसका मतलब है कि न कोई बड़ा झटका लगा और न ही बड़ी मात्रा में कुछ पिघला। दशकों से वैज्ञानिक बड़े चांद पर खाइयों और पहाड़ों के होने के कारणों का पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं। अब उन्हें उम्मीद है कि नासा के अभियान एक साल के भीतर इस नई परिकल्पना को या तो सही ठहराएंगे या फिर इसे खारिज कर दिया जाएगा।
खगोल विज्ञानियों ने दावा किया है कि कभी पृथ्वी के दो चांद हुआ करते थे जिनका कालांतर में आपस में टकराने के बाद विलय हो गया। इसी टक्कर के कारण चंद्रमा थोड़ा तिरछा है तथा इसकी पिछली सतह ज्यादा पथरीली है। अमेरिका और स्विटजरलैंड के वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि किसी समय में पृथ्वी के दो चंद्रमा थे। बाद में एक चंद्रमा का दूसरे से विलय होने की प्रक्रिया में हुई टक्कर की वजह से चंद्रमा की पिछली सतह दागदार बन गयी।
ब्रिटिश विज्ञान पत्रिका ‘नेचर’ के कल प्रकाशित ताजा अंक में इस संबंध में अमेरिका के कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के खगोल विज्ञानी एरिक असफोग और बर्न विश्वव्यिालय के मार्टिन जुत्जी का शोधपत्र प्रकाशित हुआ है । इसमें कहा गया है कि चांद की उजली और दागदार सतह के अध्ययन से ही इस बारे में अधिक पुख्ता जानकारी मिलती है कि किसी समय में पृथ्वी के दो चंद्रमा होते थे। वैज्ञानिकों ने बताया कि आज से करीब चार अरब वर्ष पहले ये दोनों चंद्रमा नवनिर्मित पृथ्वी की परिक्रमा करते होंगे, लेकिन जैसे-जैसे यह चंद्रमा पृथ्वी के गुरुत्व बल से कुछ बाहर निकलकर सूर्य के गुरुत्व बल के आकर्षण से परिक्रमा करने लगे तो इसकी खुद की कक्षाएं हो गयी। लगभग 10 करोड़ वर्ष तक साथ-साथ पृथ्वी की परिक्रमा करने के बाद आखिरकार आकार में कुछ छोटा चंद्रमा अस्थिर होकर बड़े चंद्रमा से टकरा गया। यह टक्कर पृथ्वी से महज आठ हजार मील की दूरी पर हुई थी। चंद्रमा की पृथ्वी से मौजूदा दूरी 2.5 लाख मील है।
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