आधुनिकतम तकनीक के इस दौर में हमें आज भी करीब 95 फीसद समुद्र के बारे में जानकारी नहीं है। इसका प्रमाण इस बात से मिलता है कि हाल ही में वैज्ञानिकों के एक दल ने पुर्तगाली समुद्र तट के नजदीक से ‘फ्रिल्ड शार्क’ नाम की एक ऐसी मछली पकड़ी है जिसके बारे में सिर्फ कहानियों में ही पढ़ा-सुना गया है। इस मछली को प्रागैतिहासिक और डायनासोर के काल का माना जाता है।
दरअसल, यूरोपीय यूनियन के वैज्ञानिकों का एक दल इसी महीने अटलांटिक महासागर की गहराइयों में जाल डालकर ऐसे तरीके तलाशने की कोशिश कर रहा था जिससे वाणिज्यिक स्तर पर मछली पकड़ने के दौरान अवांछित जीवों के जाल में फंसने की संभावना को कम से कम किया जा सके। इसी दौरान उनकी पकड़ में 19वीं सदी की कहानियों में प्रचलित ‘समुद्री सांप’ जैसा दुर्लभ जीव आ गया।
‘फ्रिल्ड शार्क’ अधिकतम छह फीट तक लंबी होती है। इसका यह नाम इसके फ्रिल और रेशेदार किनारों की वजह से रखा गया है। इसके छोटे, लेकिन उभरे हुए सिर में 25 पंक्तियों में 300 दांत होते हैं। ‘फ्रिल्ड शार्क’ जापान, न्यूजीलैंड और आस्ट्रेलिया के तटों से दूर गहरे समुद्र में पाई जाती हैं। पृथ्वी पर आठ करोड़ वर्षों से अस्तित्व के बावजूद मनुष्यों से इसका संपर्क कभी-कभार ही हुआ है।
19वीं सदी के नाविकों ने पहली बार इसके बारे में लिखा था। वैज्ञानिकों का कहना है कि प्रागैतिहासिक काल के इसके समकालीन टायरानोसोरस रेक्स और ट्राइसेराटॉप्स जैसे जीवों का अस्तित्व काफी पहले समाप्त हो चुका है, लेकिन फ्रिल्ड शार्क महासागरों की गहराई में अभी भी तैर रही है।
हालांकि, वैज्ञानिक समय-समय पर समुद्र के ऐसे क्षेत्रों के बारे में पता लगाने की कोशिशों में जुटे रहते हैं, जिनके बारे में अभी कोई जानकारी नहीं है। इसके बाद वे इंटरनेट के जरिये दुनिया को बताते हैं कि उनके जाल में क्या फंसा है। उदाहरण के तौर पर इसी साल की शुरुआत में आस्ट्रेलियाई म्यूजियम द्वारा प्रायोजित वैज्ञानिकों की एक अंतरराष्ट्रीय टीम ने महासागर में दो मील से भी ज्यादा गहराई से कुछ जीवों (जैसे- दर्जनों नुकीले कांटों वाले लाल केकड़े, कॉफिनफिश और ट्रिकस्टर) को निकाला था। वे जानना चाहते थे कि समुद्र की अथाह गहराइयों के अंधेरे, जबर्दस्त दबाव और असहनीय तापमान में किस तरह के जीव रहते हैं।
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