महाभारत में किन्नर सुंदरी कहे जाने वाली शिखंडी का वर्णन मिलता है. शारीरिक रूप से इनकी बनावट अलग, भले ही हो लेकिन इनमें भी किसी अन्य मनुष्य की तरह ही भावनाएं होती है. किन्नरों को तो आप सभी ने देखा होगा. कहा जाता है कि किन्नरों की रिती-रिवाज आम लोगों से भिन्न रहती है. किन्नरों को हमारे समाज में तीसरा स्थान दिया गया है, यानी ‘थर्ड जेंडर’ माना गया है. आप सभी जानते है की इनकी जिन्दगी हमारी तरह नहीं होती है. किन्नरों के जीवनयापन करने से लगाकर रहन-सहन सभी अलग होते है. आज हम आपको इनके जीवन के बारे में कुछ आनोखी बात बताने जा रहे है.
किन्नरों की मौत के बाद छिपाकर रखी जाती है लाश
किन्नर समुदाय हमारे समाज का ही एक अभिन्न अंग है. किन्नरों का जन्म से लेकर मरण तक इनके अलग-अलग निति नियम है. आपने इनके जन्म की खबरें देखी होंगी या इनकी समस्याओ से वाकिफ होंगे लेकिन कभी आपने किसी किन्नर की शव यात्रा नहीं देखी होगी. किन्नर की मौत के बाद इनके शव को छिपा कर रखा जाता है. आम इंसानों की मौत के बाद अक्सर शव यात्रा दिन में निकाली जाती है, लेकिन किन्नरों की शव यात्रा हमेशा रात में निकाली जाती है. बात यह है,की इनकी शव यात्रा रात को इसलिए निकाली है ताकि कोई आम आदमी इनकी शव यात्रा न देख सके.
किन्नरों के शव यात्रा में नहीं शामिल होते लोग
इन किन्नरो में ऐसी प्रथा अनोखी होती है. इसके साथ ये भी माना है कि इस शव यात्रा में इनके समुदाय के अलावा दूसरे समुदाय के किन्नर भी शामिल नहीं होते है. किन्नर समाज में किसी की मौत होने पर ये लोग बिल्कुल भी शोक नहीं मनाते है. क्योंकि इन लोगो का नियम है, कि मरने से उसे इस नर्क वाले जीवन से छुटकारा मिल जाता है.
एक हफ्ते तक भूखा रहता है किन्नर समुदाय
जब किन्नर समुदाय में किसी किन्नर की मौत हो जाती है तो पूरा किन्नर समुदाय एक हफ्ते तक भूखा रहता है. कहा यह भी जाता है कि कुछ किन्नर वर्ग इस रस्म को नहीं मानते हैं. लेकिन सामान्य तौर पर ऐसा देखने को मिलता है.
चप्पलों और जूते मारते है शव को
इसी कारण से ये लोग चाहे जितने भी दुखी हों, लेकिन किसी अपने की मौत पर खुशियां ही मनाते हैं. ये लोग इस खुशी में पैसे भी दान में देते हैं,और ये दुआ करते हैं कि भगवान जाने वाले को अच्छा जन्म दे. सबसे अलग बात तो यह है कि किन्नरों के समाज में किसी की मौत होने पर ये लोग शव को अंतिम संस्कार से पहले जूते-चप्पलों से मारते हैं. मीडिया रिपोर्ट से पता चला है.कि ऐसा करने से मरने वाले के सारे पापों का प्रायश्चित होता है. हालांकि किन्नर हिन्दू धर्म को ही मानते हैं, लेकिन ये लोग शव को जलाते नहीं हैं बल्कि उसे दफनाते हैं.
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