6 दशक पहले हुए कोरियन वॉर ने नॉर्थ कोरिया और राजधानी प्योंगयांग को पूरी तरह से तबाह कर दिया था। हालांकि, प्योंगयांग शहर ने जंग के जख्मों से उबरकर न सिर्फ खुद को दोबारा खड़ा किया, बल्कि सोशलाइट तरीके से डिजाइन किए गए एक महानगर के तौर पर पेश किया। पश्चिमी देशों में सर्कुलेट होने वाली फोटोज में यहां का आर्किटेक्चर में परफेक्शन साफ दिखाई देता है। हालांकि, ये सब उस कीमत पर हो रहा है जबकि देश की 90 फीसदी आबादी गरीबी से जूझ रही है।
समय के साथ बदलता गया आर्किटेक्चर…
– नॉर्थ कोरिया में ज्यादातर इमारतें कान्क्रीट की बनी हैं, क्योंकि यहां ये सामान आराम से मिल जाते हैं। जबकि चीन से स्टील इम्पोर्ट करना काफी महंगा है।
– अब देश पर लगने वाले तमाम प्रतिबंधों के चलते स्टील इम्पोर्ट करना और भी मुश्किल हो गया है। लिहाजा, कंस्ट्रक्शन के लिए कॉन्क्रीट का इस्तेमाल हो रहा है।
– यहां के आर्किटेक्चर में परफेक्शन साफ दिखता है। चाहे वो देश के लीडर्स के स्टैचू हों, साफ-सुथरे चौराहे या फिर 27 साल से अधूरा पड़ा 105 मंजिला लग्जरी होटल हो।
– कोरियन वॉर में पूरा शहर तबाह हो गया था, जिसे धीरे-धीरे कर दोबारा खड़ा किया गया। यहां बने ज्यादातर आर्किटेक्चरल स्टाइल ईस्ट जर्मनी और सोवियत यूनियन से प्रभावित हैं।
– हालांकि, 60 से 80 के दशक में आर्किटेक्चर का स्लाइल बदलता चला गया। रॉयटर्स ने यहां के बेहतरीन आर्किटेक्चर की फोटोज जारी की हैं।
ऐसी गरीबी में जूझ रहा देश
– देश में एक से बढ़कर एक आर्किटेक्चर बन रहे हैं। वहीं, यहां की 90 फीसदी आबादी अब भी गरीबी में जी रही है, जिसकी मंथली इनकम 2 पाउंड के करीब है।
– इनमें से देश की 40 फीसदी आबादी यानी करीब 2 करोड़ 40 लाख लोग गरीबी रेखा से भी नीचे जिंदगी जी रहे हैं।
– यूएन फूड एंड एग्रीकल्चर ऑर्गेनाइजेशन की स्टडी के मुताबिक, 84 फीसदी घरों में खाने की क्वालिटी बहुत ही खराब है।
– वर्ल्ड फूड प्रोग्राम के मुताबिक, कुपोषण के चलते एक तिहाई बच्चे अविकसित हैं और शिशु-मृत्युदर 33 फीसदी है।
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