दुनिया के दूसरे आईंस्टीन के नाम से मशहूर स्टीफन हॉकिंग अब इस दुनिया में नहीं हैं। दो महीने पहले (8 जनवरी) ही उन्होंने अपना 76वां जन्मदिन मनाया था। हॉकिंग की पूरी शख्सियत ही इन्स्पायर करने वाली थी। हम ये बात इसलिए कह रहे हैं, क्योंकि वो व्यक्ति थे, जिन्होंने मौत को मात दी थी। वे जवानी में ही एक गंभीर बीमारी से ग्रस्त हो गए थे और 50 साल पहले ही डॉक्टरों की टीम ने उनसे कह दिया था कि वे दो साल से ज्यादा नहीं जी पाएंगे।
आखिर क्या हो गया था हॉकिंग को…
– महज 21 साल की उम्र में हॉकिंग को एक भयानक बीमारी एएलएस (एम्योट्रॉपिक लेटरल स्क्लेरोसिस) ने घेर लिया था। – आम तौर पर ये बीमारी पांच साल में जान ले लेती है। बीमारी सामने आने के बाद डॉक्टरों ने भी कहा था कि हॉकिंग िसर्फ दो साल ही जी सकेंगे। – लेकिन हॉकिंग हार मानने वाले नहीं थे। वो बीते 50 से ज्यादा सालों से उन डॉक्टर्स की भविष्यवाणी को गलत साबित करते आ रहे थे। उनका शरीर लगभग पूरी तरह लकवाग्रस्त था।
मौत के बारे में क्या कहते थे हॉकिंग
– हॉकिंग ने मौत के बारे में कहा था- मुझे मौत से कोई डर नहीं लगता, लेकिन मुझे मरने की भी कोई जल्दी नहीं है। क्योंकि मरने से पहले जिन्दगी में बहुत कुछ करना बाकी है। – भले हॉकिंग का पूरा शरीर काम करना बंद कर चुका था। उसके बाद भी वह जीना चाहते थे। उनका कहना था कि मौत तो निश्चित है, लेकिन जन्म और मृत्यु के बीच कैसे जीना चाहते है, वो हम पर निर्भर करता है। चाहे जिन्दगी कितनी भी कठिन हो, आप कुछ न कुछ कर सकते हो और सफल हो सकते है।
यूनिवर्सिटी में थे एवरेज स्टूडेंट
-स्टीफन का जन्म 8 जनवरी 1942 को इंग्लैंड के ऑक्सफोर्ड में हुआ था। ये वो दौर था, जब जर्मन सेनाएं पूरे यूरोप में कत्लेआम मचा रही थीं। – वह बचपन से ही काफी होशियार थे। इसलिए उन्हें आईंस्टीन कहकर बुलाया जाता था। मैथ्स में स्टीफन का दिमाग बहुत तेज चलता था। यहां तक कि उन्होंने घर में पड़े पुराने इलेक्ट्रॉनिक्स उपकरणों से कंप्यूटर बना दिया था। – 17 साल में उनका पाला दुनिया की सबसे बेहतरीन यूनिवर्सिटी ऑक्सफोर्ड से पड़ा। लेकिन वो कहते हैं न कि महान लोग किसी खास चीज के लिए बने होते हैं। – आईंस्टीन की तरह की हॉकिंग भी क्लास एवरेज स्टूडेंट माने जाते थे। इतना ही उन्हें रोज के कामों में काफी दिक्कतें अाती थीं।
21 की उम्र में मिला दर्द
– एक स्टीफन हॉकिंग छुट्टियां मनाने के लिए घर अाए थे। अचानक सीढ़ियों से बेहोश होकर गिर गए। शुरू में ये मामला शारीरिक कमजाेरी का लगा। – लेकिन जांच में उन्हें गंभीर बीमारी न्यूरॉन मोटोर के बारे में पता चला। इसमें शरीर की मांसपेशियां को कंट्रोल करने वाली नसें धीरे-धीरे काम करना बंद कर देती हैं। – इसके अलावा पूरे शरीर के अंग काम करना बंद कर देते हैं। इतना ही नहीं, डॉक्टर्स ने उनके सिर्फ दो साल तक जीने की भविष्यवाणी भी कर दी थी। उस वक्त उनकी उम्र महज 21 साल थी।
पहले सदमें में डूब गए हॉकिंग, लेकिन फिर उठ खड़े हुए
– बीमारी के बारे में जानने के बाद पहले तो हॉकिंग में सदमे में चले गए। लेकिन उन्होंने कहा कि वह ऐसे नहीं मर सकते। उन्हें जीवन में बहुत कुछ करना है। – इन सब बातों की चिंता छोड़कर हॉकिंग पूरा ध्यान विज्ञान की तरफ लगा दिया था और उसके बाद तो बाकी सब इतिहास है। – बाद में सालों में स्टीफन हॉकिंग ने इस बात को कबूला कि उन्होंने बीमारी वरदान समझ लिया था। लेकिन शरीर धीरे-धीरे साथ छोड़ रहा था।
– बीमारी में उन्हें व्हीलचेयर का सहारा लेना पड़ा। उसके एक कंप्यूटर के साथ जोड़ा गया था। उनके सिर और आंखों में कंपन से ये मशीन पता लगा लेती थी कि हॉकिंग बोलना क्या चाह रहे हैं।
– हालांकि इस बीमारी का हॉकिंग सिर्फ शारीरिक रूप से अपंग हो रहे थे, मानसिक रूप से नहीं। उन्होंने ब्लैक होल का कॉन्सेप्ट और हॉकिंग का रेडिएशन का विचार दुनिया को दिया। – इसके अलावा उन्होंने ने अपने विचारों को और सरल रूप से समझाने के लिए एक किताब “A Brief History of Time” लिखी।
RSS