जहां एक ओर अंटार्कटिका के ग्लेशियर पिघलने से दुनियाभर के वैज्ञानिकों के माथे पर चिंता की लकीर बनी हुई. वही दूसरी ओर जमीन के कमी होने से धरती का भविष्य भी खतरे में है. कहा जा रहा कि ग्लेशियर पिघलने से दुनियाभर के समुंद्र के जलस्तर में वृद्धि होने से कई उपमहाद्वीप के डूबने का खतरा मंडरा रहा है. इस घटना से जहां धरती का दायरा कम हो रहा है. वही वैज्ञानिक इसका हल ढूंढने में लगे हुए है. जी हां दावा किया जा रहा है कि आगामी वर्ष 2030 तक चंद्रमा और मंगल जैसे ग्रहों पर कालोनी के निर्माण किया जायगा. जहां इंसानों को बसाया जा सकेगा.
छोटी हो रही है धरती, चंद्रमा पर होगा कालोनी का निर्माण
प्रदूषण, पानी, सड़क, जाम और एक अच्छे घर की तलाश, ना जानें कितनी ही परेशानियां हैं जो हम लोगों को रोजाना घेरे रखती है. मीडिया खबरों के मुताबिक जापान की पहली अंतरिक्ष यात्री 66 वर्षीय चिआकी मुकाई की मानें तो यह सारी परेशानियां धरती पर बस कुछ और दिन ही रहने वाली हैं.
करीब 500 घंटे से ज्यादा अंतरिक्ष में बिता चुकी चिआकी मुकाई स्पेस में क़ॉलोनी बनाने के प्रोजेक्ट पर काम कर रही हैं. 30 सदस्यों वाली यह टीम टोक्यो यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस की हाई-टेक लैब में इन दिनों इस बात का अध्ययन कर रहीं हैं कि आखिरकार भविष्य में एक इंसान को चांद और मंगल पर कैसे जिंदा रखा जाए. इतना ही नहीं मुकाई भविष्य में स्पेस में एक कॉलोनी के निर्माण पर भी काम कर रही हैं.
मुकाई का कहना है, ‘हम सब लोगों के लिए धरती अब छोटी पड़ने लगी है, इसलिए जरूरी है कि किसी ऐसे ग्रह की तलाश की जाए जहां पर इंसान आसानी से रह सके. उन्होंने कहा कि अंतरिक्ष में जीवन की संभावनाओं को खंगालने का चरण अब नए दौर में पहुंच चुका है.
अंतरिक्ष में भोजन बनाने और फसल पैदा करने के नए तरीके पर जोर
मुकाई ने दावा किया है कि साल 2030 तक चंद्रमा पर कॉलोनी स्थापित की जा सकेगी. इसके साथ की उनकी टीम अंतरिक्ष में भोजन बनाने और फसल पैदा करने के नए तरीके पर जोर दे रही है. उन्होंने कहा कि इस प्रक्रिया के लिए एक खारे सॉल्यूशन में हाई वोल्टेज बिजली सप्लाई कर तरल प्लाज्मा तैयार किया जाएगा, जिसका प्रयोग खाने की चीजें पैदा करने के लिए किया जा सकेगा.
कॉलोनी में लगेगा एक खास तरह का सेंसर
मुकाई का कहना है कि उनके रिसर्चरों ने थर्मोइलेक्ट्रिक सेंसर्स का इस्तेमाल कर बिजली पैदा करने के लिए एक खास सिस्टम तैयार किया है. इस सिस्टम का साइज एक आईपॉड नैनो के बराबर होगा. उन्होंने यह भी बताया कि इस सेंसर को इस कॉलोनी में आसानी से लगाया जा सकेगा. उन्होंने कहा कि पूरे स्पेस कॉलोनी में जरूरत के हिसाब से ही कॉलोनी बनाई जा सकेगी. उन्होंने यह भी बताया कि स्पेस में इंसान को बसाया जा सके और वहां पर आसानी से फसल को पैदा किया जा सके, इसलिए रिसर्चर खाद्य उत्पादन की ऐसी तकनीक पर काम कर रहे हैं जिसमें मिट्टी की जरूरत नहीं होगी.
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