चांद और मंगल पर जीवन की तलाश कर रहे वैज्ञानिकों ने इन ग्रहों पर वो जगह ढूंढ निकाली है जहां पर अब घर बसाए जा सकते हैं। चांद और मंगल ग्रह पर ज्वालामुखी से संबंधी हलचल होने के बाद वैज्ञानिकों ने पाया है कि वहां पर भूमिगत गुफाओं (लावा ट्यूब्स) तैयार हो गई हैं जो मनुष्यों के रहने के लिए एक बेहतर जगह साबित हो सकती हैं। वैज्ञानिकों ने दावा किया है इन दोनों ग्रहों पर जिस तरह से लावा ट्यूब्स देखी गई हैं, उससे यहां पर मनुष्यों को सुरक्षित आवास मिल सकता है। वैज्ञानिकों का दावा है कि कई लावा ट्यूब्स इतनी बड़े आकार के है कि इसके अंदर कई शहर भी बसाए जा सकते हैं।
पृथ्वी के लावा ट्यूब्स से हुई तुलना
इटली में पडोवा विश्वविद्यालय और बोलोग्ना विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने चांद और मंगल ग्रह पर पाए जाने वाले लावा ट्यूब्स का तुलनात्मक अध्ययन पृथ्वी में पाए जाने वाले लावा ट्यूब्स से किया। वैज्ञानिकों ने अध्ययन में पाया है कि सभी की संरचना एक जैसी ही है। पडोवा विश्वविद्यालय के रिकार्डो पोजोबन ने कहा, पृथ्वी, चंद्रमा और मंगल ग्रह की तुलना से पता चला कि गुरत्वाकर्षण का लावा ट्यूब्स के आकार पर बड़ा प्रभाव पड़ता है। पृथ्वी पर ये 30 मीटर तक हो सकती है। मंगल के कम गुरत्वाकर्षण वाले वातावरण में हमने 250 मीटर तक चौड़ी लावा ट्यूब्स के सबूत देखे।
पृथ्वी में कहां-कहां है लावा ट्यूब्स
हवाई, आइसलैंड, ऑस्ट्रेलिया में उत्तर क्वींसलैंड, सिसली और गलापागोस द्वीपों समेत पृथ्वी पर कई ज्वालामुखी क्षेत्रों में लावा ट्यूब्स पाई गई हैं। इन ट्यूबों का भूमिगत नेटवर्क 65 किलोमीटर तक का हो सकता है। अंतरिक्ष में गए अभियानों में चांद और मंगलग्रह पर गड्ढे देखे गए जिससे लावा ट्यूब्स के सबूत मिलते हैं।
चांद पर इनकी लंबाई सैकड़ों किलोमीटर है
पोजोबन ने कहा कि चांद पर ये सुरंगें एक किलोमीटर या उससे ज्यादा और लंबाई में सैकड़ों किलोमीटर तक फैली हो सकती हैं। शोध के ये नतीजे चांद पर आवास की संभावनाओं और मानव जीवन के लिए अहम हैं और साथ ही मंगल ग्रह पर किसी और ग्रह के लोगों के रहने की संभावनओं के लिए भी महत्वपूर्ण हैं। लावा ट्यूब्स कॉस्मिक किरणों और परग्रही कणों से सुरक्षा प्रदान करती है जिससे संभावित रूप से भविष्य में मनुष्यों को सुरक्षित आवास उपलब्ध हो सकता है।
क्या होती हैं लावा ट्यूब
लावा ट्यूब एक प्राकृतिक रूप से बनी हुई पाइप, ट्यूब या सुरंग की आकृति का ढांचा होता है जो लावा बहाव से बन जाता है। यह किसी लावा नहर कि सतह पर ठंडे हुए लावा के जमकर ठोस हो जाने के बाद उसके नीचे लगातार लावा बहते रहने से निर्मित होता है। लावा ट्यूबें सक्रिय हो सकती हैं, यानि किसी ज्वालामुखी के विस्फोटों के समय उससे निकल रहे लावा को बहने का स्थान देती हैं या मृत हो सकती हैं। लावा बहाव बहुत काल से समाप्त हो चुका है और ये ठंडी होकर इनमें एक लंबी गुफा जैसी सुरंगें बन गई हैं।
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