साल 2010 में रिलीज हुई फिल्म इनसीडियस काफी सफल रही थी। इसके निर्देशक जेम्स वॉन थे जो इससे पहले फिल्म ‘सॉ’ बनाकर चर्चा में आ चुके थे। जेम्स वॉन ने ही आगे जाकर कॉन्ज्यूरिंग, कॉन्ज्यूरिंग 2 और इन्सीडियस 2 जैसी फिल्मों का निर्देशन किया। इन्सीडियस 3 का निर्देशन लीघ वॉनेल ने किया और अब एडम रॉबिटेल निर्देशित ‘इनसीडियस: दि लास्ट की’ हमारे सामने है। और यह कहते हुए काफी निराशा हो रही है कि यह काफी निराशाजनक है। खास तौर पर उन लोगों के लिए, जो हॉरर फिल्में पसंद करते हैं। वीडियो देखें लेख के अंत में
यह फिल्म दरअसल इनसीडियस शृंखला वाली फिल्मों की चौथी और समय के क्रमानुसार दूसरी (इनसीडियस 3 के बाद की कहानी) है। फिल्म केंद्रित है एक डीमनॉलॉजिस्ट (भूतों का अध्ययन करने वाली विशेषज्ञ) एलीस रेनियर (लिन शेल) पर। एलीस भूतों से जुड़े एक मामले का अध्ययन करने के लिए, न्यू मेक्सिको स्थित एक घर में जाती हैं। उनके साथ हैं उनके दो असिस्टेंट टकर (एंगस सैम्पसन) और स्पेक्स (लीघ वैनेल)। यह दरअसल वही घर है जहां उनका बचपन बीता था। उन्हें याद आता है किस तरह उन्हें भूतों को देखने और उनसे संवाद करने की अपनी खास शक्ति के चलते अपने पिता से अक्सर सजा मिलती थी। उन्हें याद आता है कि किस तरह जब उन्हें उनके पिता ने एक कालकोठरी में बंद कर दिया था, तो वहां एक लाल रंग का गुप्त दरवाजा नजर आया था जिसे एक चाबी से खोलने पर वह आदमी दिखा था, जिसके हाथों में उंगलियों की जगह चाबियां थीं। तभी उसे एहसास होता है कि जो दरवाजा उस व्यक्ति के हाथ की चाबियों से नहीं खुल रहा था, उसे उसने खोल कर घर में आने का रास्ता दे दिया है। इसके बाद एक दिन घर में एक अंजान महिला को देखने पर वह इस बारे में अपने पिता को बताती हैं जो दोबारा उस पर हाथ उठाते हैं। एलीस घर छोड़ कर चली जाती है। ये कड़वी यादें एलीस को तब याद आती हैं जब वह उसी महिला को दोबारा उस घर में आने पर देखती है। अब एलीस तय करती है कि वह उस चाबियों वाले हाथ वाले इंसान को खत्म करके ही दम लेंगी ताकि वह किसी और को परेशान न कर सके।
फिल्म की सबसे बड़ी खामी है इसकी कमजोर पटकथा। इसे देखते हुए लगता है कि इसके लेखक को भी शायद पता नहीं था कि यह किस दिशा में जा रही है और वह बस इसे लिखता चला गया। बाद में इसमें सुधार करने की जितनी कोशिशें की जानी चाहिए थीं, वे नहीं की गईं। फिल्म बिखरी सी, उलझी सी, बेअसर सी लगती है। इसके कई हिस्से उबाऊ भी हैं। परिपक्व हो चुके दर्शकों हंसाने और रुलाने की तरह अब उन्हें डराना भी आसान नहीं रहा। अब इसके लिए हॉरर लेखकों को नए तरीके, नए तिकड़म सोचने होंगे। दरवाजे की चरमराहट, किसी साए का अचानक दिखना, पाश्र्व संगीत का तेज होना- इस तरह के इफेक्ट अब लोगों को डराते नहीं हैं। और ‘इनसीडियस: दि लास्ट की’ के दृश्य तो चौंकाते भी नहीं हैं, डराना तो बहुत दूर की बात है।
हां, इसका मुख्य भूत यानी चाबी की उंगलियों वाला व्यक्ति काफी दिलचस्प किरदार है जो अपने शिकार के शरीर में सीधे चाबियों से हमला कर देता है। पर हैरत तब होती है जब पूरी चाबी शरीर के अंदर जाने के बावजूद कोई जिंदा बच जाता है। कुल मिलाकर कमजोर कहानी ने उस किरदार को भी उभर कर आने नहीं दिया, जो दरअसल इस फिल्म की जान हो सकता था।
इस बार लिन शेल पर काफी दारोमदार था क्योंकि फिल्म काफी हद तक उन्हीं की कहानी पर आधारित है। पर भला वह सिर्फ अपनी एक्टिंग के बलबूते एक कमियों से भरी हुई फिल्म को कैसे बचातीं?
फिल्म के एक दृश्य को देखकर ‘मेरे पास मां है!’ डायलॉग बोलने का मन करता है, क्योंकि फिल्म में जिस तरह से वह (एलीस की मां) सामने आती हैं, वह मुख्य किरदार एलीस पर भी भारी पड़ती नजर आती हैं।
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