एलोरा के कैलाश मंदिर की 6 विचित्र बातें
महाराष्ट्र के एलोरा में कैलाश मंदिर आधुनिक टेक्नोलॉजी के लिए एक बड़ा रहस्य है. कई प्राचीन हिन्दू मंदिरों की तरह इस मंदिर में कई आश्चर्यजनक बातें हैं जोकि हमें हैरान करती हैं. हमारे गौरवशाली और अति-विकसित इतिहास के प्रमाण कैलास मंदिर के कुछ फैक्ट्स पर गौर करिए.
1. किसी मंदिर या भवन को बनाते समय पत्थरों के टुकड़ों को एक के ऊपर एक जमाते हुए बनाया जाता है. कैलाश मंदिरबनाने में एकदम अनोखा ही तरीका अपनाया गया. यह मंदिर एक पहाड़ के शीर्ष को ऊपर से नीचे काटते हुए बनाया गया है. जैसे एक मूर्तिकार एक पत्थर से मूर्ति तराशता है, वैसे ही एक पहाड़ को तराशते हुए यह मंदिर बनाया गया.
2. पत्थर काट-काट कर खोखला करके मंदिर, खम्बे, द्वार, नक्काशी आदि बनाई गयी. क्या अद्भुत डिजाईन और प्लानिंग की गयी होगी. इसके अतिरिक्त बारिश के पानी को संचित करने का सिस्टम, पानी बाहर करने के लिए नालियां, मंदिर टावर और पुल, महीन डिजाईन बनी खूबसूरत छज्जे, बारीकी से बनी सीढ़ियाँ, गुप्त अंडरग्राउंड रास्ते आदि सबकुछ पत्थर को काटकर बनाना सामान्य बात नहीं है.
3. आज के वैज्ञानिक और शोधकर्ता अनुमान लगाते हैं कि मंदिर बनाने के दौरान करीब 4,00,000 टन पत्थर काट कर हटाया गया होगा. इस हिसाब से अगर 7,000 मजदूर 150 वर्ष तक काम करें तभी यह मंदिर पूरा बना होगा, लेकिन बताया जाता है कि यह मंदिर इससे काफी कम समय महज 17 वर्ष में ही बनकर तैयार हो गया था.
4. उस काल में जब बड़ी क्रेन जैसी मशीने और कुशल औजार नहीं होते थे, इतना सारा पत्थर कैसे काटा गया होगा और मंदिर स्थल से हटाया कैसे गया होगा. यह रहस्य दिमाग घुमा देता है. क्या किसी परग्रही या एलियन टेक्नोलॉजी का प्रयोग करके यह मंदिर बनाया गया ? कोई नहीं जानता मगर देखकर तो ऐसा ही लगता है.
5. माना जाता है कि कैलाश मंदिर राष्ट्रकुल राजा कृष्ण प्रथम ने (756AD-773AD) के दौरान बनवाया था. इसके अतिरिक्त इस मंदिर को बनाने का उद्देश्य, बनाने की टेक्नोलॉजी, बनाने वाले का नाम जैसी कोई भी जानकारी उपलब्ध नहीं है. मंदिर की दीवारों पर उत्कीर्ण लेख बहुत पुराना हो चुका है एवं लिखी गयी भाषा को कोई पढ़ नहीं पाया है.
6. आज के समय ऐसा मंदिर बनाने के लिए सैकड़ों ड्राइंगस, 3D डिजाईन सॉफ्टवेयर, CAD सॉफ्टवेयर, छोटे मॉडल्स बनाकर उसकी रिसर्च, सैकड़ों इंजीनियर, कई हाई क्वालिटी कंप्यूटरर्स की आवश्यकता पड़ेगी. उस काल में यह सब कैसे सुनिश्चित किया गया होगा ? कोई जवाब नहीं हमारे पास. सबसे बड़ी बात तो यह है कि आज इन सब आधुनिक टेक्नोलॉजीका प्रयोग करके भी शायद ऐसा दूसरा मन्दिर बनाना असम्भव ही है.
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