आपने बहुत सारी अजीबोगरीब और रोचक किस्से कहानियां सुनी होगी। लेकिन आपको यह जानकर हैरानी होगी कि एक ऐसा व्यक्ति भी था जिसकी मौत के 29 साल बीतने के बाद भी उसके कटे सिर का इंतजार किया जा रहा है। दरअसल यह किस्सा राजस्थान के खूबसूरत और रेगिस्तानी शहर जैसलमेर का है जो 60 वर्षीय करणाराम की कहानी है। बता दे कि 80 के दशक में करणाराम भील जैसलमेर का मशहूर नड़ वादक था । इसके अलावा खास बात यह है कि दुनिया की दूसरी सबसे लंबी मूंछे रखने का गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में भी करणाराम के नाम दर्ज है।
आपको यह जानकर हैरानी होगी की करणाराम की मृत्यु को 29 साल बीतने के बाद भी उनके परिजनों ने उसका अंतिम संस्कार नहीं किया है। आज भी जैसलमेर के सुप्रसिद्ध सोनार किले के पास की बंजर जमीन में करणाराम की कब्र मौजूद है। हिंदू रीति रिवाज से करणाराम का अंतिम संस्कार किया जाना चाहिए था लेकिन आज तक ऐसा नहीं हो पाया है।
दरअसल इसके पीछे की वजह 29 साल पहले सोनार किले के पास हुई खौफनाक बदले की घटना है। 2 अक्टूबर 1988 का दिन था। करणाराम को अपने पशुओं के लिये चारा लाने जाना था। इसलिये वह ऊंटगाड़ी पर चारा लेने के लिये अपने घऱ से निकला। इस दौरान जब वह सोनार किले के नजदीक से गुजरा रहा तभी अचानक से कुछ लोगों ने पीठ पीछे से करणाराम पर हमला कर दिया। पीछे से अचानक हुए इस हमले में करणाराम संभल नहीं पाया और यह मौका देखकर हमलावरों ने उसका सिर काटकर धड़ से अलग कर दिया। इतना ही नही हमलावारों ने करणाराम की हत्या करने के बाद जो किया वो और भी निर्शंस था। उन्होनें करणाराम के धड़ को ऊंटगाड़ी पर रखकर उसकेघर की तरफ रवानान कर दिया लेकिन उसका कटा हुआ सिर वे अपने साथ ले गए।
ऊंटगाड़ी पर करणाराम का सिर कटा जिस्म एयरफोर्स कॉलोनी स्थित उसके घर पहुंचा। इसे देखकर वहां मौजूद परिजन और सभी लोग हैरान औऱ सन्न रह गए। करणाराम की मौत के बाद परिजनों ने उसके कटे सिर की खोज शुरू कर दी। इस तलाशी के दौरान उन्हे सिर तो नहीं मिला लेकिन इतना जरूर पता चल गया कि कुछ लोगों ने सोनार किले के पास करणाराम की हत्या कर दी थी। इसके बाद सोनार किले के पास की झाड़ियों में करणाराम के सिर की तलाशी की घी लेकिन उसका सिर कभी नहीं मिल पाया। उसकी मौत के 29 साल बाद भी आज तक उसके कटे सिर की तलाश जारी है। ताकि परिजन करणाराम का अंतिम संस्कार कर सके।
करणाराम के बेटे बोदूराम का कहना है कि लोग अक्सर उसे यह कहते है कि तुम्हारे पिता बिना सिर के ही दफन है। इस मामले में वे पुलिस से भी सिर खोज लाने की गुजारिश कर चुके है। दरअसल परिजनों का मानना है कि कातिल करणाराम के सिर को सरहद पार पाकिस्तान ले गए थे लेकिन फिर भी वे सिर मिलने की आस में पिछले 29 साल से कब्र के आसपास की झाड़िय़ों में तलाश रहे है। करणाराम के दूसरे बेचे लखूराम के मुताबिक करणाराम की आत्मा भटकती है। इसलिये हमें सिर ला दो, पाकिस्तान से दिलवा दो, नहीं तो आत्मा भटकती रहेगी।
जानकारी के मुताबिक इंटेलिजेंस एजेंसियों ने भी यही रिपोर्ट दी थी कि करणाराम का सिर काटकर हमलावर उसे धोरों के रास्ते पाकिस्तान ले गए लेकिन एक ही रात में रेत के टीलों के एक जगह से दूसरी जगह शिफ्ट होने के चलते करणाराम का परिवार इस उम्मीद में धोरों के बीच खाली जगह पर सिर की खोज करता है कि हो सकता है कि क़ातिलों ने करणाराम के सिर को इन्हीं टीलों के बीच कहीं फेंक दिया हो। करणाराम को जानने वाले लोग उसकी बहादुरी के किस्से सुनाते है। उनके मुताबिक करणाराम को अकेले मारने का दम किसी इंसान में नही था क्योंकि करणाराम बेहद ताकतवर आदमी था। लोगों के मुताबिक उसे जरूर किसी साजिश के तहत मारा गया है।
उसकी ताकत और शक्ति का उदाहऱण देते हुए लोग कहते है कि करणाराम ऊंट को भी उठाने की ताकत रखता था। इसके अलावा करणाराम में खास बात यह थी कि वह दुनिया भऱ में नड़वादक के रूप में मशहूर था। हालांकि वह पैदाइशी कलाकर नहीं बल्कि डकैत था। रेगिस्तान का बच्चा बच्चा उससे खौफ खाता था क्योंकि उसकी मूंछे बेहद डरावनी लगती थी। उसे यदि रेगिस्तान का गब्बर सिंह कहा जाए तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। वह अपने गले में जहरीला सांप लपेटकर चलता था औऱ उसका चेहरा ही ऐसा था कि बच्चे तो उससे बहुत डरते थे।
यह वो दौर था जब पाकिस्तान और अफगानिस्तान की अनेक महिलाओ को नड़ वादन सुनने का बहुत शौक था। दरअसल डकैत करणाराम के नड़ वादक बनने की पीछे भी एक महिला का हाथ है । करणाराम अफगानिस्तान की लाली नामक एक लड़की को दिल दे बैठा था । उसी को नड़ वादन सुनाने के लिये करणाराम नड़वादक बन बैठा।
करणाराम ने साल 1965 में जैसलमेर औऱ बाड़मेर के बीच बसे भू गांव में कोई जमीन खरीदी थी , इस जमीन के मालिकाना हक को लेकर करणाराम का इलियास नामक शख्स से विवाद हो गया। इस दौरान एक दिन क्रोधवश करणाराम ने इलियास को उसेक बेटे के सामने ही गोली मार दी। इसके बाद इलियास के बेटे ने करणाराम से अपने पिता की मौत का बदला लेने की कसम खा ली थी। इसके बाद करणाराम को गिरफ्तार कर उम्रकैद की सजा सुनाई गई। लेकिन लोगों के मुताबिक करणाराम ने जैसलमेर की जेल को अपने नाखूनों से फाड़ डाला और वहां से फरार हो गया। हालांकि कुछ दिन बाद उसे वापस गिरफ्तार कर लिया गया। लेकिन करणाराम की लंबी मूंछ और नड़वादन कला में निपुण होने के चलते उसे पैरोल पर छुट्टी मिल जाया करती थी। दरअसल उसे पैरोल तभी मिलती जह किसी वीआईपी सम्मान में लोकसंगीत का कार्यक्रम होता था।
उस समय जब तत्तकालीन राष्ट्रपति ज्ञानी जेल सिंह जैसलमेर दौरे पर आए थे तब करणाराम पैरोल पर बाहर था। ज्ञानी जेलसिंह के सम्मान में करणाराम को नड़वादन के लिये बुलाया गया। कहा जाता है कि तत्कालीन राष्ट्रपति ज्ञानी जेलसिंह करणाराम की नड़वादन कला से इतने प्रभावित हुए कि उन्होने उसकी सजा कम कर दी।
लेकिन उसकी हत्या के 29 सालों बाद भी पुलिस करणाराम के कटे सिर के बार में कुछ भी पता नही लगा सकी है। अभी तक यह भी मालूम नही हो पाया है कि कऱणाराम का सिर पाकिस्तान मे है या हिंदुस्तान में। इन 29 सालों के दौरान पुलिस ने इस केस की फाइल जरूर बंद कर दी है। करणाराम का कटा सिर आज भी एक अनसुलझा रहस्य बना हुआ है। लेकिन करणाराम इतना लोकप्रिय है कि उसकी याद में जैसलमेर में प्रतिवर्ष मूंछ प्रतियोगिता का आयोजन करवाया जाता है।
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