ब्रिटिश राज परिवार से पहले किसके पास था कोहिनूर डायमंड ?
ब्रिटिश राज परिवार से पहले कोहिनूर डायमंड पंजाब के महाराजा रणजीत सिंह के पास था….
आखिर कैसे हथियाया था अंग्रेज़ों ने महाराज रणजीत सिंह से कोहिनूर डायमंड ?
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बात सन् 1812 की है, जब पंजाब पर महाराजा रणजीत सिंह का एकछत्र राज था। एक दिन उनके पास अफगानिस्तान की मल्लिका बेगम वफा आई और कहने लगी कि मेरे पति शाहशुजा कश्मीर के सूबेदार अतामोहम्मद के कैदखाने में कैद हैं। मेहरबानी कर आप मेरे पति को अतामोहम्मद की कैद से रिहा करवा दें, इस अहसान के बदले बेशकीमती कोहिनूर हीरा आपको भेंट कर दूंगी। …दरअसल महमूद शाह से पराजित हो गया था शाहशुजा।
उस समय महाराजा रणजीत सिंह ने कश्मीर के सूबेदार अतामोहम्मद के शिकंजे से कश्मीर को मुक्त कराने का अभियान शुरू किया था। इस अभियान से भयभीत होकर अतामोहम्मद कश्मीर छोड़कर भाग गया। कश्मीर अभियान के पीछे एक अन्य कारण भी था। अतामोहम्मद ने महमूद शाह द्वारा पराजित शाहशुजा को शेरगढ़ के किले में कैद कर रखा था। उसे कैदखाने से मुक्त कराने के लिए उसकी बेगम वफा बेगम ने लाहौर आकर महाराजा रणजीत सिंह से प्रार्थना की और कहा कि मेहरबानी कर आप मेरे पति को अतामोहम्मद की कैद से रिहा करवा दें, इस अहसान के बदले बेशकीमती कोहिनूर हीरा आपको भेंट कर दूंगी। शाहशुजा के कैद हो जाने के बाद वफा बेगम ही उन दिनों अफगानिस्तान की शासिका थी।
अत: एक अभियान के तहत महाराजा रणजीत सिंह ने कश्मीर को आजाद करा लिया। उनके दीवान मोहकमचंद ने शेरगढ़ के किले को घेरकर वफा बेगम के पति शाहशुजा को रिहा कर वफा बेगम के पास लाहौर पहुंचा दिया। 1813 में महाराजा रणजीत सिंह ने कोहिनूर उनसे हासिल कर ही लिया। जब तक यह कोहिनूर शाहशुजा के पास था उनके बुरे दिन ही चल रहे थे, लेकिन जब यह हीरा महाराजा रणजीत सिंह के पास आया तो रणजीत सिंह के बुरे दिन शुरू हो गए। एक ओर तो उन्होंने अपनी जबरदस्त धाक जमाई तो दूसरी ओर उनके साम्राज्य का पतन होना भी शुरू हो गया था।
अंग्रेजों के पास ऐसे आया कोहिनूर :
दरअसल, फिरोजपुर क्षेत्र में सिख सेना वीरतापूर्वक अंग्रेजों का मुकाबला कर रही थी किंतु सिख सेना के ही सेनापति लालसिंह ने विश्वासघात किया और मोर्चा छोड़कर लाहौर पलायन कर गया। इस कारण विजय के निकट पहुंचकर भी सिख सेना हार गई। सिखों की इस हालत के साथ ही महाराजा रणजीत सिंह की दौलत पर भी अंग्रेजों का कब्जा हो गया जिसमें कोहिनूर भी शामिल था। लॉर्ड हार्डिंग ने इंग्लैंड की रानी विक्टोरिया को खुश करने के लिए कोहिनूर हीरा लंदन पहुंचा दिया, जो ‘ईस्ट इंडिया कंपनी’ द्वारा रानी विक्टोरिया को सौंप दिया गया। उन दिनों महाराजा रणजीत सिंह के पुत्र दिलीप सिंह वहीं थे। कुछ लोगों का कथन है कि दिलीप सिंह से ही अंग्रेजों ने लंदन में कोहिनूर हड़पा था।
सन् 1839 में महाराजा रणजीत सिंह का निधन हो गया। उनकी समाधि लाहौर में बनवाई गई, जो आज भी वहां कायम है। उनकी मौत के साथ ही अंग्रेजों का पंजाब पर शिकंजा कसना शुरू हो गया। अंग्रेज-सिख युद्ध के बाद 30 मार्च 1849 में पंजाब ब्रिटिश साम्राज्य का अंग बना लिया गया।
दोस्तों कोहिनूर का इतिहास कई खुनी जंगों और शूरवीर शासकों के अंत की कहानी अपने में समेटे हुए है आने वाले वीडियो में भी हम कोहिनूर के इतिहास को खंगालेंगे और जानेंगे शाहशुजा से पहले किसके पास था कोहिनूर। अगर आपने अभी तक हमारे यूट्यूब चैनल को सब्सक्राइब नहीं किया है तो प्लीज सब्सक्राइब करें। धन्यवाद.
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