क्या आपको पता है कि दुनिया का सबसे बड़ा उड़ने वाला जानवर कौन सा है? ये सवाल पूछे जाने पर आपके ज़ेहन में सबसे पहले परिंदों का ख़याल आया होगा. आप सोचने लगे होंगे कि आख़िर दुनिया का सबसे बड़ा पक्षी कौन है? चलिए, आपकी मुश्किल हम हल कर देते हैं.
आज की तारीख़ में दुनिया का सबसे बड़ा पक्षी है शुतुरमुर्ग. इसका वज़न डेढ़ क्विंटल तक हो सकता है. इसकी ऊंचाई क़रीब पौने तीन मीटर तक हो सकती है. इसके पंखों का फैलाव क़रीब दो मीटर तक हो सकता है. मगर, सबसे बड़ी दिक़्क़त ये है कि परिंदा होने के बावजूद, शुतुरमुर्ग उड़ता नहीं है.
सिर्फ़ शुतुरमुर्ग ही क्यों, पक्षियों के परिवार के जितने भी भारी-भरकम सदस्य हैं, वो उड़ नहीं पाते हैं. फिर चाहे दक्षिण अमरीका में मिलने वाले परिंदे एमू हों या रिया. या फिर, न्यू गिनी के जज़ीरों पर पाया जाने वाला इनका नातेदार, कैसोवरी.
इसी तरह एंपेरर पेंग्विन हों या किंग पेंग्विन. इनका क़द अच्छा ख़ासा होता है, मगर ये भी आसमान में नहीं, पानी के भीतर उड़ते हैं. पैंग्विन, पानी के भीतर उड़ते क्या, तैरते हैं.
आज, आसमान में उड़ने वाला दुनिया का सबसे भारी-भरकम परिंदा है कोरी नाम का पक्षी. दक्षिण अफ्रीका में मिलने वाले ये पक्षी 19 किलो तक वज़न के हो सकते हैं. फैलने पर इनके पंख क़रीब ढाई फुट तक हो सकते हैं. मगर, दिक़्क़त ये है कि ज़मीन पर रहने वाले ये परिंदे बमुश्किल ही उड़ते हैं.
दक्षिण अमरीका में एंडीज़ के पहाड़ों पर रहने वाला एंडियन गिद्ध भी उड़ने वाले भारी-भरकम जीवों में गिना जाता है. इस प्रजाति के नरों का वज़न पंद्रह किलो तक हो सकता है और इनके पंख दस फुट तक फैल जाते हैं.
वहीं, समंदर के ऊपर उड़ने वाले पक्षियों में वांडरिंग अल्बाट्रॉस को सबसे बड़ा उड़ने वाला पक्षी कहा जाता है. इनका वज़न साढ़े आठ किलो तक हो सकता है और इनके पंख, सभी परिंदों में सबसे ज़्यादा लंबे यानी क़रीब बारह फुट तक फैल सकते हैं. वांडरिंग अल्बाट्रॉस हज़ारों किलोमीटर तक उड़ लेते हैं, वो भी बिना अपने पंख फड़फड़ाए.
दुनिया में सिर्फ़ परिंदे ही ऐसे जीव नहीं जिनके पंख होते हैं. कई बड़े चमगादड़, जो कि स्तनपायी जीव हैं, वो भी उड़ लेते हैं. उनके भी लंबे-चौड़े पंख होते हैं. इंडोनेशिया के वैज्ञानिक टैमी माइल्डेंस्टीन कहते हैं कि चमगादड़ों की एक नस्ल, ‘एसेरोडॉन जुबैटस’ वज़न के लिहाज़ से सबसे भारी होती है. इनका वज़न एक किलो तक हो सकता है. इसी तरह टेरोपस परिवार के चमगादड़, अपने पंखों के लिहाज़ से सबसे बड़े माने जाते हैं. इनके पंख दो मीटर तक फैल सकते हैं.
ज़्यादातर चमगादड़ फलों का रस पीकर अपना वज़न बरकरार रखते हैं. कुछ चमगादड़, पत्तियां भी खाते हैं. उनके परों का फैलाव ज़्यादा होता है, इसलिए उलझने से बचने के लिए वो पेड़ों के इर्द-गिर्द नहीं, उनके ऊपर उड़ते हैं. अपने बड़े परों की मदद से ये चमगादड़ हर रात खाने की तलाश में क़रीब पचास किलोमीटर तक उड़ान भरते हैं.
उड़ने की ख़ूबी उन जानवरों के लिए काफ़ी मददगार होती है जिन्हें खाने या साथी की तलाश में लंबी दूरी तय करनी होती है.
लेकिन, अगर हमें धरती पर उड़ने वाले सबसे विशाल जीव का नाम तय करना है तो हमें वक़्त के पहिए को पीछे घुमाना होगा. हमें उनकी तलाश में लाखों साल पीछे जाना होगा. जब धरती का रूप रंग ऐसा नहीं था.
धरती पर मिले जीवाश्मों के आधार पर कहा जाता है कि धरती पर सबसे बड़े परिंदे, आज से क़रीब ढाई करोड़ साल पहले रहते थे.
अमरीका की साउथ कैलिफ़ोर्निया यूनिवर्सिटी के पक्षी वैज्ञानिक माइकल हबीब इस बारे में काफ़ी जानकारी रखते हैं. वो कहते हैं, पंखों के फैलाव को अगर बुनियाद मानें तो धरती पर रहने वाला सबसे बड़ा परिंदा था, ‘पैलियोगॉर्निस सैंडेरसी’. कहते हैं कि इस समुद्री चिड़िया के पंख चौबीस फुट से भी ज़्यादा लंबे होते थे. वैज्ञानिक अंदाज़ा लगाते हैं कि इसका वज़न 20 से 40किलो के क़रीब रहा होगा.
इनके मुक़ाबले, सबसे भारी परिंदों की बात करें तो इनमें पहला नंबर, ‘अर्जेंटाविस’ का आता है. अमरीका के लॉस एंजेल्स में इनके जो जीवाश्म मिले हैं उनसे पता चलता है कि ये आज से साठ लाख़ साल पहले धरती पर रहा करते थे.
अगर हम परिंदों को छोड़ दें तो और भी कई जानवर कभी धरती पर रहते थे जो उड़ सकते थे. इसके लिए हमें टाइम मशीन से थोड़ा और पीछे जाना होगा, डायनासोर्स के युग में.
हमें पता है कि धरती पर उड़ने वाले डायनासोर भी रहते थे. इन्हें वैज्ञानिकों ने टेरोसारस नाम दिया है. डायनासोर, पक्षियों के परिवार के नहीं, रेंगने वाले जानवरों, यानी सांप-छिपकली के ख़ानदान से ताल्लुक़ रखते थे.
वैज्ञानिक कहते हैं कि उड़ने वाले डायनासोर की एक नस्ल, ‘क्वेजालकोटलस नॉरथ्रोपी’ आज से क़रीब सात करोड़ साल पहले धरती पर रहा करती थी. इनके पंख क़रीब 34 फुट लंबे होते थे. माइकल हबीब कहते हैं कि इसी नस्ल के कुछ और डायनासोर भी उड़ने वाले सबसे बड़े जानवरों की रेस में शामिल किए जा सकते हैं. इसकी बुनियाद उनके पंखों के फैलाव को मानना बेहतर है. क्योंकि अक्सर हमें पुराने जीवों के पूरे जीवाश्म नहीं मिलते. इससे उनके वज़न का सही-सही अंदाज़ा लगाना मुश्किल है.
वैज्ञानिक मानते हैं कि टेरोसारस डायनासोर्स का वज़न दो सौ से ढाई सौ किलो के रहा होगा. यानी वो कियी पियानो के बराबर भारी होते होंगे और उनके पंखों का फैलाव किसी बस की लंबाई के बराबर रहा होगा.
ब्रिटेन की ब्रिस्टॉल यूनिवर्सिटी के कॉलिन पामर ने माइकल हबीब के साथ मिलकर टेरोसारस के पंखों का फैलाव तय करने की कोशिश की. दोनों मानते हैं कि ये ज़्यादा से ज़्यादा 11 मीटर रहा होगा. सात मीटर लंबे पंखों वाले तो कई जीवाश्म मिले हैं. हालांकि इन्हें बुनियाद मानें तो ये लगता है कि टेरोसारस अपने पंख ज़्यादा देर तक नहीं फड़फड़ा पाते रहे होंगे. ये जानवर अपने पैरों की मदद से हवा में छलांग लगाते होंगे और फिर पंख फैलाकर लंबी दूरी तय करते रहे होंगे. क्योंकि लंबी दूरी तक इतने लंबे और भारी पंख फड़फड़ाना किसी भी जीव के लिए मुमकिन नहीं.
जिन परिंदों के पैर लंबे और भारी होते हैं वो लंबी दूरी तक नहीं उड़ पाते, जैसे कि हंस. इन्हें उड़ने के लिए बहुत मशक़्क़त करनी पड़ती है.
इनके मुक़ाबले टेरोसारस अपने आगे के पैरों की मदद से ही हवा में छलांग लगाते रहे होंगे. फिर उनकी हल्की हड्डियां उनके देर तक उड़ते रहने में मददगार साबित होती रही होंगी.
वैज्ञानिक मानते हैं कि टेरोसारस के पर, पंखों से नहीं, चमगादड़ की तरह मांशपेशियों के बने होते होंगे. इनकी मदद से इन्हें उड़ने के साथ शिकार करने में भी आसानी होती होगी.
हालांकि इतने बड़े जानवरों के उड़ने का दौर फिलहाल बीत चुका है.
मगर बदलाव, क़ुदरत का बुनियादी नियम है. कौन जाने आज से हज़ारों लाखों साल बाद किसी नए भारी-भरकम परिंदे की नस्ल पैदा हो जाए, जो उड़ सके. या किसी और प्रजाति के जानवर उड़ने लगें.
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