टेक्नोलॉजी दिग्गजों का कहना है कि जिस स्मार्ट गैजेट से यूजर एक मिनट के लिए भी दूर नहीं रह सकते, असल में वो एक साइलेंट किलर है। मोबाइल रेडिएशन से मानसिक अवसाद समेत कई घातक बीमारियों होने की आशंका रहती है। भारत सरकार ने इसके लिए एक मानक भी तय कर रखा जिससे ज्यादा रेडिएशन देने वाले मोबाइल फोन्स की बिक्री पर रोक है।
मोबाइल रेडिएशन न सिर्फ पशु-पक्षियों बल्कि इंसानी जान का भी दुश्मन है। हाल में तिरुवनंतपुरम के वैज्ञानिकों की इस पर आई ताजा शोध ने और चिंता बढ़ा दी है। शोध में कहा गया है जब लैब में एक विशेष प्रकार के कॉकरोच पर जब मोबाइल रेडिएशन का अध्ययन किया गया तो पता चला कि मोबाइल से निकलने वाला इलेक्ट्रोमैग्नेटिक रेडिएशन (EMR) कॉकरोच के शरीर के रसायनों को तेजी से बदल रहा है। यह बदलाव विशेष रूप से बॉडी फैट और हीमैटोलॉजिकल प्रोफाइल पर बदलाव लाता है। हीमैटोलॉजिकल प्रोफाइल का इस्तेमाल खून का वैज्ञानिक अध्ययन के िलए िकया जाता है।
चूंकि मोबाइल फोन अब हमारे जीवन का अभिन्न अंग बन चुके हैं। ऐसे में इंसान की सेहत पर पड़ने वाला रेडिएशन का असर चिंता का विषय बन गया है। हालांकि मोबाइल रेडिएशन को लेकर अभी तक इंसान के शरीर में होने प्रभाव का अध्ययन नहीं किया गया।
इलेक्ट्रोमैग्नेटिक रेडिएशन (EMR) के प्रभाव से बॉडी फैट में मौजूद प्रोटीन तेजी से घटता है और अमीनो एसिड तेजी से बढ़ता है। ऐसे इस ताजा शोध में सामने आया है। इस रेडिएशन से शरीर में ग्लूकोज और यूिरक एसिड बहुत ही तेजी के साथ बढ़ता है। EMR प्रभाव के ताजा शोध में यह भी पाया गया है कि हमारे तंत्रिका तंत्र में मौजूद रसायन में भी तेजी से बदलाव होता है। इंडियाज नेशनल स्पेसिफिक एब्जॉर्बशन रेट लिमिट (आईएनएसएआरएल) के अनुसार, मोबाइल के रेडिएशन का मानक अधिकतम 1.6 वॉट प्रति किलोग्राम से अधिक नहीं होना चाहिए। जबकि चीन समेत कई अंतरराष्ट्रीय कंपनियां इसकी परवाह किए बिना धड़ाधड़ अपने स्मार्टफोन भारतीय बाजार में उतार रही हैं।
ऐसे करें चेक अपने फोन का रेडिएशन स्तर
अगर यूजर अपने मोबाइल फोन पर रेडिएशन को चेक करना चाहते हैं तो इसके लिए उन्हें अपने मोबाइल से *#07# डायल करना होगा। यह नंबर डायल करते ही मोबाइल स्क्रीन पर रेडिएशन संबंधी जानकारी नजर आ जाएगी। इसमें दो तरह से रेडिएशन के स्तर को दिखाया जाता है। एक ‘हैड’ और दूसरा ‘बॉडी’। हैड यानी फोन पर बात करते हुए मोबाइल रेडिएशन का स्तर क्या है और बॉडी यानी फोन का इस्तेमाल करते हुए या जेब में रखे हुए रेडिएशन का स्तर क्या है। ध्यान रखें कि रेडिएशन की सीमा 1.6 वॉट प्रति किलोग्राम से ज्यादा न हों।
रेडिएशन से बचने के तरीके
टेक्नोलॉजी विशेषज्ञों के मुताबिक डिवाइस को रेडिएशन से बिल्कुल मुक्त तो नहीं किया जा सकता, लेकिन कुछ समय के लिए इससे बचा जरूर जा सकता है। उनका कहना है कि फोन को चार्ज पर लगाकर कभी बात न करें। इस वक्त मोबाइल रेडिएशन 10 गुना तक बढ़ जाता है। सिग्नल कमजोर होने या फिर बैटरी डिस्चार्ज होने पर कॉल न करें। इस दौरान भी रेडिएशन लेवल बढ़ जाता है। जरूरत पड़ने पर ईयरफोन या हैडफोन का इस्तेमाल करें। इससे शरीर पर रेडिएशन का इफेक्ट कम पड़ता है।
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