मानव सभ्यता ने बीती कुछ सदियों में काफी उन्नति कर ली है। हम चाँद पे कदम रख चुकें हैं ,हमने मंगल गृह तक अपने बनाये रोबोट्स पहुंचा दियें हैं। हमारा एक खोजी उपग्रह वॉयेजर तो हमारी आकाश गंगा से भी दूर निकल चूका है। तो सवाल ये है की जब तकनीकी क्रांति की कुछ सदियों ने ही हमारी विज्ञान की समझ को इतना सक्षम बना दिया है ,की अब हम ब्रह्मांड में एलियन सभ्यता की खोज में निकल पड़ें हैं ,तो उन सभ्यताओं का विज्ञान कैसा होगा, जो हो सकता है हमसे भी कई लाख वर्ष पुरानी हों। विश्व के नामी खगोल वैज्ञानिकों ने ये सिद्ध कर दिया है की हमारा ब्रह्माण्ड काफी बड़ा है इतना की इसे अब तक मापा नहीं जा सका और हम इस ब्रह्माण्ड रूपी महासागर की बूँद के कई करोड़ हिस्सों में से एक में वास करतें हैं। तो ऐसे में ये सोचना परम मूर्खता ही होगी की मानव सभ्यता ही ब्रह्माण्ड की सबसे उन्नत और एक मात्र बुद्धिमान सभ्यता है।
सोचिये ऐसी सभ्यता के बारे में जो हमसे कई लाख वर्ष पहले अस्तित्व में आयी हो। जिसने विज्ञान को इस हद तक समझ लिया हो की आराम से विज्ञान के नियमों से खिलवाड़ कर सके। ऐसी सभ्यता जिसने ऊर्जा का असीमित स्रोत खोज लिया हो जो स्पेस और टाइम को मन मुताबिक बदल सके। हो सकता है आने वाली कुछ सदियों में मानव जाति, ऐसी ही किसी ADVANCED CIVILIZATION का सामना करे। या ये भी हो सकता है की मानव सभ्यता खुद Most Advanced Civilization of Universe बन कर किसी कम उन्नत एलियन सभ्यता से मिले।
तो आखिर एक ADVANCED CIVILIZATION बनने के लिए किसी सभ्यता को क्या चाहिए होता है? जवाब है ऊर्जा ENERGY.
कल्पना कीजिये अगर ऊर्जा मुफ्त में मिलने लगे, या ऊर्जा का असीमित स्रोत खोज लिया जाए। तो लोग यातायात या ट्रांसपोर्टेशन के लिए पेट्रोल और डीज़ल जैसे प्राकृतिक संसाधनों को छोड़ इलेक्ट्रिक एनर्जी का इस्तेमाल करने लगेंगे। मुफ्त ऊर्जा होगी तो हमारे रॉकेट्स, स्पेसशटल्स अंतरिक्षय यात्रायें ज्यादा तेज़ी से व ज्यादा दूर तक कर सकेंगे। जिस सभ्यता के पास ऊर्जा के असीमित स्रोत है, वहाँ technological advancements हैं। Technological advancements है, तो उस सभ्यता का उन्नत होना पक्का है , बिना ऊर्जा के ये संभव ही नहीं।
तो अब ये सवाल उठता है की एक सभ्यता जिसने ऊर्जा का असीमित स्रोत खोज लिया हो वह आखिर कितनी उन्नत हो सकती है ?
इसी सवाल का जवाब खोजते हुए एक रशियन एस्ट्रो फिजिसिस्ट Nikolai Kardashev ने एक हाइपोथेटिकल स्केल की परिकल्पना की। जिसके आधार पर हम किसी भी सभ्यता की उन्नति को नाप सकते हैं। Kardashev ने उन्नत सभ्यताओं के वर्गीकरण के लिए, उनके द्वारा इस्तेमाल की गई ऊर्जा की मात्रा को आधार बनाया । जितनी Advanced Civilization होगी उतनी ही अधिक मात्रा में उसे ऊर्जा की आवश्यकता पड़ेगी ।
मूलतः ऐसी सभ्यताओं को तीन कैटेगरी में बांटा गया।
Type 1, Type 2 & Type 3, बाद में दूसरे खगोलविदों ने इसमें दो और कैटेगरीज जोड़ी Type 4 और Type 5।
चलिए जानते हैं कैसी होगी Type 1 Civilization
Type 1 Civilization Planetary Society
इस सभ्यता का अपने ग्रह की सौ प्रतिशत ऊर्जा पर प्रभुत्व होगा। यह सभ्यता ना सिर्फ अपने ग्रह की सारी ऊर्जा का दोहन कर सकेगी बल्कि अपने ग्रह के मौसम पर भी नियंत्रण पा लेगी। क्लाइमेट कंट्रोल के साथ-साथ इस सभ्यता के पास Terra-forming करने की भी क्षमता होगी ।
ऐसी सभ्यता अपने ग्रह के मौसम को नियंत्रित कर सकेगी। भूकंप ज्वालामुखी और सुनामी जैसी प्राकृतिक घटनाओं के घटित होने के समय और जगह दोनों पर नियंत्रण पा लेगी । ऐसी सभ्यता अपने नजदीकी सितारे से आने वाली १०० प्रतिशत सौर ऊर्जा को भी स्टोर कर इस्तेमाल करने में सक्षम होगी।
Type 2 Civilization An Inter Planetary Society
एक टाइप २ सभ्यता ऐसी Technology विकसित कर सकती है, जिससे सूर्य जैसे किसी भी सितारे की सारी ऊर्जा कैद की जा सके और अपनी बढ़ती आबादी की ज़रूरतों को पूरा किया जा सके। एक पुरे तारे की ऊर्जा को सोखने के लिए ऐसी सभ्यताएं संभवतः डाइसन स्ट्रक्चर्स जैसे विशालकाय खगोलीय संरचनाओं का निर्माण कर सकती है। एक डाइसन स्ट्रक्चर बड़े बड़े सोलर पैनल्स से लैस होता है जिसे तारे के करीब , उसकी परिकर्मा कक्ष में स्थापित किया जाता है। इस प्रकार की विशालकाय मानव निर्मित खगोलीय संरचना सितारे से निकलने वाली लगभग सारी ऊर्जा को सोख कर इस टाइप २ इंटरप्लेनेटेरी सभ्यता के गृह ग्रह तक या उस सौर मंडल के किसी ग्रह विशेष तक पहुँचाने में सक्षम होगी। अगर आप डाइसन स्ट्रक्चर्स या डाइसन स्फीयर के बारे में ज्यादा जानकारी चाहतें हैं तो कमेंट सेक्शन में लिखे , कमैंट्स की संख्या देखते हुए हम एक स्पेशल वीडियो इस सब्जेक्ट पर भी बनाएंगे। एक Type 2 Civilization न सिर्फ अपने तारे की ऊर्जा को इस्तेमाल कर पायेगी बल्कि तारों पे होने वाले फ्यूज़न रिएक्शंस को भी नियंत्रित कर सकेंगी। अपार असीमित ऊर्जा होने की वजह से यह सभ्यता एक ग्रह से दूसरे ग्रह विस्थापित हो ,अपनी कॉलोनीज़ बसा सकेंगी। जिसकी वजह से इस सभ्यता का लुप्त होना असंभव हो जायेगा।
Type 3 Civilization An Interstellar Society
Kardashev Scale पे Type 3 Civilization को इंटर स्टेलर सोसाइटी कहा गया है। एक टाइप ३ सिविलाइज़ेशन गैलेक्टिक ट्रवेलेर बन जाएगी मतलब एक आकाश गंगा से दूसरी आकाश गंगा तक यात्रा करने में सक्षम होगी। ऐसी सभ्यता अपना विस्तार करते हुए ब्रह्माण्ड की विभिन्न आकाश गंगाओं के तारो से ऊर्जा लेकर हर तारामंडल में अपनी कॉलोनी बनाएगी। आप को ये बात जान कर आश्चर्य होगा की अगर मानव जाति एक टाइप ३ सिविलाइज़ेशन बनी तो वह उप प्रजाति या Sub Species मात्र बन कर रह जाएगी। क्योंकि उस वक़्त साईबोर्ग या साइबरनेटिक्स, मानवों पर हावी होंगे और उन्हीं का ज़माना होगा। याने अर्ध मनुष्य-अर्ध मशीन, जिनके पास मूल मानवोँ से कहीं अधिक क्षमताएँ होंगी। ऐसे रोबोट नुमा अर्ध मानव अर्ध मशीनें पुरे ब्रह्माण्ड में स्वतः ही बिना प्रजनन के अपनी जनसंख्या बढ़ाते हुए आगे बढ़ते रहेंगे और अपनी सभ्यता का विस्तार करते रहेंगे।
Type 4 Civilization Inter Galactic Society
यह सभ्यता ब्रह्माण्ड की सम्पूर्ण ऊर्जा को कैद कर इस्तेमाल कर सकेगी । इस अति उन्नत सभ्यता की उन्नत प्रजातियाँ ब्रह्माण्ड के निरंतर होते फैलाव से भी आगे यात्रा करने में सक्षम होंगी। इनके पास अति मानवीय योग्यताएं होंगी जिनके बल पर ये स्पेस – टाइम और thermodynamics के नियमों को जैसे चाहें वैसे नियंत्रित कर पाएंगे। ये Type 4 Advanced Civilization ब्लैक होल्स में भी बस्तियाँ बसाने की काबिलियत रखेंगी।
Type 5 Civilization
टाइप ५ सभ्यता को क्वांटम सभ्यता कहना ज्यादा सही लगता है। इनके लिए आम बात होंगी एक आयाम से दूसरे आयाम में जाना। यह सभ्यता पैरेलल यूनिवर्स या समानांतर आयामों के बीच आ जा सकेंगी। जहाँ के पदार्थ और भौतिकी के नियम ही अलग होंगे । ऐसी सभ्यताओं में रहने वाली जातियों के पास ” नॉलेज ऑफ़ एवरीथिंग ” यानी सभी चीज़ों का ज्ञान होगा। ईश्वरीय ज्ञान को प्राप्त कर लेने वाली ये Super Advanced Civilization भगवान या ईश्वर के स्तर के काफी करीब होंगी । ये मल्टीवर्से के सभी आयामों को न सिर्फ नियंत्रित कर सकेंगी बल्कि उनमे बदलाव लाने में भी सक्षम होंगी।
मानव सभ्यता अभी Kardashev Scale पर अपनी उपस्थिति भी दर्ज़ नहीं करा सकी है . हम वर्तमान में अपने आपको टाइप १ सिविलाइज़ेशन भी नहीं कह सकते। हम अभी Type 0 Civilization हैं। लेकिन Astrophysicist मिशियो काकू की मानें तो हमें १-२ सदियां लगेंगी एक टाइप १ सिविलाइज़ेशन बनने में ,
ये सब जाननें के बाद आप लोगों के मस्तिष्क में कई सवाल गूंज रहे होंगे।
क्या इस वक़्त , इतने बड़े ब्रह्माण्ड में एक भी टाइप ५ सिविलाइज़ेशन नहीं है ?
और अगर है तो क्या उन्हें पुरे ब्रह्माण्ड के साथ साथ मानव जाति के अस्तित्व की जानकारी नहीं होगी ?
या फिर जिन्हें हम ईश्वर अल्लाह और गॉड के नाम में पूजतें हैं ,क्या वह टाइप ५ सिविलाइज़ेशन के उन्नत जीव हैं ?
क्या समानांतर आयाम या पैरेलल यूनिवर्स ही धार्मिक ग्रंथों में वर्णित स्वर्ग-नर्क या जन्नत-दोज़ख या हेवन और हेल हैं ?
अगर आप ये वीडियो अंत तक देख पाएं है तो ये सवाल आपके ज़ेहन-आपके अंतरमन में ज़रूर गूंज रहा होगा। इस सवाल को जितना हो सके फैलायें, शेयर करें और हमारी मानव सभ्यता को समझाएं , की अगर हम युद्ध और प्राकृतिक सम्पदा के गैर ज़िम्मेदाराना इस्तेमाल को रोक सकें। तो एक दिन हम भी इन Most Advanced Civilization Of Universe में गिने जाएंगे और तब शायद हम ईश्वर को समझ पाएंगे। फिर मिलेंगे दोस्तों , तब तक “सही पकड़ें हैं “की पूरी टीम की तरफ से शुभ रात्रि ,शब्बा खैर गुड नाईट।
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