धरती चमत्कारों से खाली नहीं है. अब वो किसी इंसान से जुडी हो या प्रकृति से. आज हम आपको बतायेगे दुनिया के ऐसे पत्थरों के बारे में जो सिर्फ आपको हैरत में डाल देंगे. दुनिया के ऐसे पत्थर जो कही हवा में लटके है तो कोई पानी में तैरता है.
जमीन आसमान के बीच हवा में लटकता पत्थर
अजमेर शरीफ दरगाह तारागढ़ पहाड़ी की तलहटी में मौजूद है ये पत्थर. वैसे बता दें कि अजमेर की इस दरगाह को मुस्लिम लोगों के अलावा हिंदू भी मानते हैं. यहीं मौजूद है जमीन से 2 इंच ऊपर उठा हुआ ये पत्थर. वैज्ञानिक भी लगे हैं खोज में न तो ये अपनी जगह से कहीं हिलता है और न ही नीचे की ओर गिरता है. वो भी कुछ सेकेंड या मिनट नहीं. सालों से ये पत्थर जैसे के तैसे अपनी जगह पर टिका है.
ये पत्थर यहां के लोगों के लिए किसी अजूबे से कम नहीं है. सिर्फ यही नहीं दुनिया भर के वैज्ञानिक इस पत्थर के हवा में टिके होने का राज जानना चाहते हैं. फिर भी कोई राज हाथ नहीं लगा. यहां के लोगों के बीच इस पत्थर को लेकर एक पुरानी कहानी काफी प्रचलित है. लोग बताते हैं कि ये पत्थर किसी शख्स के ऊपर गिरने वाला था. उस शख्स ने ख्वाजा साहब को याद किया. इतने में ख्वाजा साहब ने नीचे आते-आते इस पत्थर को हवा में ही रोक दिया। लोगों का मानना है कि तब से ये पत्थर हवा में ही रुका हुआ है.
गोल्डन रॉक
यह गोल्डन रॉक म्यांमार में स्थित है. यहां पर एक बेहद ही बड़ा पत्थर 25 फीट ऊंचाई पर एक अन्य पत्थर पर अटका हुआ है. एक बार देखने पर आपको लगेगा कि यह पत्थ्यर मानों हवा में झूल रहा हो और कोई भी हवा का तेज झोंका इसे आसानी से नीचे की ओर गिरा देगा, लेकिन यहां पर आए बड़े-बड़े तूफान भी इस पत्थर को हिला नहीं पाएं हैं. इस पत्थर को गोल्डन रॉक के नाम से जाना जाता है. साथ ही इसे क्यैकटिको पगोडा भी कहा जाता है. बर्मा के बुद्ध धर्म के अनुयायियों का यह एक बड़ा तीर्थ स्थल है. हर वर्ष नवंबर महिने से मार्च के महिने तक इस जगह पर लाखों तीर्थ यात्री आते हैं. स्थानीय लोगों का मानना है कि जो भी एक वर्ष में तीन बार यहां पर आता है उसे आर्थिक संपन्नता प्राप्त होती है. लेकिन आज भी कोई इस बात को नहीं जान पाया है कि यह पत्थर आखिर कैसे एक छोटे से पत्थर पर टिका हुआ है.
रामसेतु
रामसेतु जिसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ‘एडेम्स ब्रिज’ के नाम से जाना जाता है. हिन्दू धार्मिक ग्रंथ रामायण के अनुसार यह एक ऐसा पुल है, जिसे भगवान विष्णु के सातवें एवं हिन्दू धर्म में विष्णु के अवतार श्रीराम की वानर सेना द्वारा भारत के दक्षिणी भाग रामेश्वरम पर बनाया गया था, जिसका दूसरा किनारा वास्तव में श्रीलंका के मन्नार तक जाकर जुड़ता है.
ऐसी मान्यता है कि इस पुल को बनाने के लिए जिन पत्थरों का इस्तेमाल किया गया था वह पत्थर पानी में फेंकने के बाद समुद्र में नहीं डूबे. बल्कि पानी की सतह पर ही तैरते रहे. ऐसा क्या कारण था कि यह पत्थर पानी में नहीं डूबे? कुछ लोग इसे धार्मिक महत्व देते हुए ईश्वर का चमत्कार मानते हैं. हालही में एक अमेरिकी टीवी शो में दावा किया गया है कि रामसेतु के बारे में वैज्ञानिक जांच से पता चलता है कि भगवान राम के श्रीलंका तक सेतु बनाने की हिंदू पौराणिक कथा सच हो सकती है. यह शो साइंस चैनल पर “एनशिएंट लैंड ब्रिज” प्रसारित गया. शो में अमेरिकी पुरातत्वविदों के हवाले से कहा गया है कि भारत और श्रीलंका के बीच 48 किलोमीटर लंबी एक रेखा चट्टानों से बनी है और ये चट्टानें सात हजार साल पुरानी हैं जबकि जिस बालू पर ये चट्टानें टिकी हैं, वह चार हजार साल पुराना है.
लेपाक्षी मन्दिर का हवा में लटका खंभा
आंध्रप्रदेश के लेपाक्षी मन्दिर में. लेपाक्षी मन्दिर को ‘हैंगिंग टेम्पल’ भी कहा जाता है. यह विशाल मन्दिर 70 पत्थर के खम्भों पर टिका हुआ है, जिसमें से एक खम्भा हवा में लटका हुआ है. इस मन्दिर के लेपाक्षी नाम के पीछे एक रोचक कहानी है. भगवान श्री राम अपने वनवास के दौरान लक्ष्मण और माता सीता के साथ यहां आए थे. ले पाक्षी एक तेलुगु शब्द है, जिसका मतलब होता है ‘उठो पक्षी’. बाद में इस स्थान पर भगवान शिव, विष्णु और वीरभद्र के लिए मन्दिर बनाये गये.
इतिहासकारों के अनुसार, इस मन्दिर को 1583 में विजयनगर साम्राज्य के राजा की सेवा में काम करने वाले दो भाइयों विरुपन्ना और वीरन्नाने ने बनाया था. प्राचीन ग्रंथों के मुताबिक, इस चमत्कारिक मन्दिर को ऋषि अगस्तय ने बनवाया था. एक अंग्रेज इंजीनियर ने इस मन्दिर का रहस्य जानने के लिए इसे तोड़ने का प्रयास भी किया था. उस समय इस मन्दिर के खंभों के हवा में झूलने की खूब चर्चा हुई थी. यहां आने वाले भक्तों का मानना है कि इन झूलते हुए खम्भों के नीचे से कपड़ा निकालने से जीवन में सुख-समृद्धि आती है.
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