मंगोलिया के रहने वाले चंगेज़ ख़ान की मौत के बाद आठ सदियां बीत चुकी हैं. इसे लेकर तमाम मिशन चलाए गए, लेकिन उसकी क़ब्र का पता नहीं चला. नेशनल जियोग्राफ़िक ने तो सैटेलाइट के ज़रिए उसकी क़ब्र तलाशने की कोशिश की थी. इसे वैली ऑफ़ ख़ान प्रोजेक्ट का नाम दिया गया था.
इतिहास में कई राज़ ऐसे हैं, जिन्हें जानने के लिए आज भी पूरी दुनिया तिलमिला रही है. मंगोलिया, एक ऐसा देश जो इंगलैंड से करीब सात गुना बड़ा है, पर यहां की सड़कें सिर्फ़ 2 प्रतिशत ही बनी हैं. आस-पास के कुछ द्वीपों की आबादी मिला दें, तो यहां के लोग कम पड़ जाएंगे. लेकिन जिस मंगोलिया की आज ये हालत है, वहां के शासक से किसी ज़माने में दुनिया डरती थी. चंगेज़ खान मंगोलिया का ऐसा योद्धा था, जिसने एक घोड़े पर पूरी दुनया जीत ली थी. 13वीं शताब्दी का ये योद्धा पूरी दुनिया में अपनी रणनीति और जंग के लिए जाना जाता है. एक वक़्त था जब प्रशांत महासागर और कैस्पियन सागर के बीच में आने वाली हर चीज़ पर चंगेज़ का ही कब्ज़ा था.
करीब 800 साल पहले मर चुके इस मंगोलियाई योद्धा की असली कहानी इसके मरने के बाद शुरु हुई. इस योद्धा की कब्र पिछली आठ सदियों से एक राज़ बनी हुई है. कोई नहीं जानता कि चंगेज़ को कहां दफ़नाया गया था. दुनिया का इसे खोजने का अपना मकसद है और मंगोलिया के लोगों का इस राज़ को राज़ बनाए रखने का अपना मकसद.
कहते हैं कि चंगेज़ के मरने के बाद उसे एक गोपनीय जगह दफ़ना दिया गया था. उसकी कब्र कोई खोज न पाए इसलिए जब उसकी लाश ले जाई जा रही थी, तब जो भी रास्ते में आया उसे मार दिया गया. उस कब्र के ऊपर 1000 घोड़े दौड़ाए गए थे, ताकि कोई निशान न मिले.
क्यों मंगोलिया के लोग नहीं चाहते कि ये राज़ खुले?
कहते हैं कि चंगेज़ खान नहीं चाहता था कि उसकी लाश किसी के हाथ लगे या किसी को पता चले कि वो कहां दफ़नाया गया है. ये महज़ कहावत है या सच, लेकिन यहां के लोग यही मानते हैं. कई लोगों का मानाना है कि चंगेज़ की कब्र का अगर किसी को पता चल गया तो, दुनिया तबाह हो जाएगी. चंगेज़ की कब्र के राज़ को 14वीं शताब्दी के तुर्क-मंगोलियाई राजा तैमूर लंग की कब्र से जोड़ा जाता है, जिसे सोवियत पुरातत्वविदों ने 1941 में खोदा था और इसके फ़ौरन बाद दूसरा विश्वयुद्ध शुरू हो गया था.
कब्र को खाजने की कोशिश?
साल 1990 में पहली बार जापान और मंगोलियाई सरकार ने मिलकर Gurvan Gol नाम का प्रोजेक्ट चलाया था, जिसमें चंगेज़ के जन्मस्थान Khentii Province के पास उसकी कब्र खोजने का कार्य शुरू हुआ. उसी साल मंगोलियाई डेमोक्रेटिक क्रांति हुई और प्रोजेक्ट को बंद कर दिया गया. लोग नहीं चाहते थे कि ये राज़ दुनिया के सामने आए.
चंगेज़ की कब्र की कहानी Vs रिसर्च
चंगेज़ की कब्र खोजने के लिए कुछ अटकालों और बाकी रिसर्च का सहारा लिया जा रहा है. पर दुविधा ये है कि अटकलें और रिसर्च आपस में मेल नहीं खा रहीं. मंगोलिया की Ulaanbaatar State University के प्रोफ़ेसर Dr Diimaajav Erdenebaatar, पुरातत्व विभाग के प्रमुख हैं. वो साल 2001 से मंगोल के दूसरे राजा Xiongnu की कब्र की रिसर्च कर रहे हैं. कहते हैं कि चंगेज़, Xiongnu का ही वंशज है. Xiongnu की कब्र करीब 2000 साल पुरानी है. रिसर्चर्स इसके ज़रिए ये पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि चंगेज़ की क्रब कैसी होगी. Xiongnu की कब्र ज़मीन के 20 फ़ीट अंदर है और उसके आस-पास चौकोर पत्थर रखे थे. इसके अलावा उसकी कब्र में कई कीमती चीज़ें रखी थीं, जो उसके शासन को बयां कर रही थीं. जैसे रोम के कांच के बने पदार्थ, कीमती धातु के सिक्के, चीनी रथ, सोना चांदी आदि. कहा जाता है कि मंगोलियाई सैनिकों ने चंगेज़ को Khentii का पहाड़ ‘Burkhan Khaldun’ में कहीं दफ़नाया था, लेकिन जो 1000 घोड़े दोड़ाने की बात हुई थी, उस हिसाब से उसे कहीं प्लेन जगह पर दफ़नाया गया होगा, जैसे Xiongnu को दफ़नाया गया था.
क्यों ये राज़, राज़ बना है और विदेशियों को क्यों है इसे जानने की बेचैनी?
इस कब्र को खोजने का कारण पुरातात्विक अध्ययन के अलावा यहां छुपा खजाना भी हो सकता है. कहावते हैं कि चंगेज़ की लाश के साथ मंगोलिया का काफ़ी खज़ाना भी दफ़नाया गया था. शायद यही कारण है कि वहां के लोग इस राज़ को खुलने नहीं देना चाहते.
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