सियाचिन ग्लेशियर की ऊंचाई और तेज ठंड, जहां तापमान ज़ीरो से 50 डिग्री नीचे चला जाता है, ऐसे में भारतीय सैनिक वहां मुस्तैदी से खड़े हैं। सियाचीन दुनिया का सबसे ऊंचाई पर स्थित युद्धस्थल है।
हालही में ग्लेशियर पर पाकिस्तानी फाइटर जेट उड़ने और इंडियन एयर स्पेस के उलंघन के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ गया है।हालांकि नई दिल्ली से इस बात को नकारा गया है कि स्थिति संवेदनशील है। आज हम आपको जां;;;बाज सिपाही ओम प्रकाश की कहानी बता रहे हैं, जिन्हें ओपी बाबा के नाम से जाना जाता है, ऐसा माना जाता है कि ये यहाँ तैनात भारतीय सैनिकों की रक्षा करते हैं।
ये किवदंती है
ओम प्रकाश नामक एक सैनिक ने 19 80 के दशक के अंत में सियाचिन में मालाउन पोस्ट पर अकेले दुश्मनों को हराया, जब कि अन्य सैनिकों को हैडक्वाटर बुला लिया गया था। अब वह सैनिक कौन था और उसके साथ क्या हुआ, यह एक रहस्य है। आर्मी को इस सैनिक के बारे में कुछ नहीं पता।
दिखाई देता है कोई सैनिक
तब से, सियाचीन में तैनात सैनिक मानते हैं कि कोई भली आत्मा उत्तर की बर्फीली सीमाओं पर कठिन परिस्थितियों में डटे रहने वाले इन सैनिकों को देखती है।
चेतावनी देकर अलर्ट करते हैं
ऐसा माना जाता है कि वह सैनिकों की दुश्मन के आक्रमण से रक्षा करता है और उन्हें सपने में दिखकर चेतावनी देता है। सैनिकों का मानना है कि वह एक सैनिक की तरह सियाचीन के असहनीय मौसम में रक्षा करता है।
औपचारिक रिपोर्ट दी जाती है
उसके बारे में यह कहानी सियाचीन में इतनी ज़्यादा मानी जाती है कि कमांडिंग ऑफिसर ग्लेशियर पर सोल्जर पार्टी की शुरुआत से पहले ‘ओपी बाबा’ को एक औपचारिक रिपोर्ट भेजता है।
मानते है ओपी बाबा को
सभी सैनिक मिशन पर जाने से पहले और मिशन पूरा करने के बाद यहाँ आते हैं और उनके प्रति आदर प्रकट करते हैं।
2003 से बनाया मंदिर
साल 2003 में, उनका मंदिर एक श्रद्धालु मंदिर में बदल दिया गया है और श्रद्धालु ओपी बाबा को रिपोर्टिंग करने के बाद अन्य देवताओं की पूजा करते हैं।
सियाचीन ग्लेशियर की सुरक्षा
भारतीय सेना 1984 से सियाचीन ग्लेशियर की सुरक्षा कर रही है।
3 महीने की ट्रेनिंग
सैनिकों को सियाचीन बेस कैंप में 3 महीने की ट्रेनिंग दी जाती है।
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