पद्मनाभस्वामी मंदिर के ख़ज़ाने का रहस्य
केरल की राजधानी तिरुवनंतपुरम स्थित प्राचीन हिन्दू वैदिक मंदिर पद्मनाभस्वामी हाल के वर्षों में अंतरराष्ट्रीय चर्चाओं के केंद्रबिंदु में रहा है। सन 2011 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर गठित अधिकारियों के पांच सदस्यीय पैनल ने इस मंदिर के नीचे बने कुल छह प्राचीन तहखानों में से पांच तहखानों को खोल दिया जो सदियों से बंद थे। हालांकि, इनमें से एक तहखाने (तहखाना संख्या बी) का दरवाजा अबतक नहीं खोला जा सका है। सुप्रीम कोर्ट ने भी इस तहखाने को खोलने पर फिलहाल रोक लगा दिया है। तो आइए जानते हैं क्या है तहखाना नंबर बी का रहस्य ?
पूरी दुनिया के आश्चर्य का ठिकाना उस वक्त नहीं रहा जब केरल के श्रीपद्मनाभस्वामी मंदिर के नीचे बने पांच तहखानों के अंदर से तकरीबन 22 सौ करोड़ डॉलर का खजाना प्राप्त हुआ। इनमें बहुमूल्य हीरे-जवाहरातों के अलावा सोने के अकूत भंडार और प्राचीन मूर्तियां भी निकलीं साथ ही हर दरवाजे के पार अधिकारियों के पैनल को प्राचीन स्मृतिचिह्नों के अंबार भी मिलते गये। मगर जब अधिकारियों का ये दल आखिरी चेंबर यानी चेंबर बी तक पहुंचा तो लाख मशक्कत के बावजूद भी उस दरवाजे को खोल पाने में वे कामयाब नहीं हो सका।
तीन हफ्ते बाद ही याचिकाकर्ता की मौत
पद्मनाभस्वामी मंदिर के नीचे बने पहले पांच तहखानों को खोलने के तीन हफ्ते बाद ही टीपी सुंदरराजन यानी वो व्यक्ति जिन्होंने अदालत में उन दरवाजों को खुलवाने की याचिका दाखिल की थी, पहले बीमार पड़े और फिर उनकी मौत हो गई। अस्पताल के रिकार्ड के अनुसार उनकी मौत हार्ट अटैक से हुई। अगले ही महीने मंदिर के भक्तों की एक संस्था ने ये चेतावनी जारी कर दी कि अगर किसी ने उस आखिरी कक्ष को खोलने की कोशिश भी की तो उसका अंजाम बहुत बुरा हो सकता है।
इसके बाद त्रावणकोर के राजवंश और ख्यातिलब्ध ज्योतिषों के बीच ‘देव प्रश्नम्’ (चर्चा) हुई। इस चर्चा में ज्योतिषों ने अपनी गणना के बाद यह कहकर सबको चौंका दिया कि अगर तहखाना नंबर ‘बी’ को खोलने का प्रयास किया गया तो सिर्फ केरल ही नहीं पूरी दुनिया में भीषण तबाही आ सकती है।
तीन दरवाजों से बंद है चेम्बर बी !
जोसफ कैम्पबेल आर्काइव से जुड़े शोधकर्ता जोनाथन यंग के अनुसार वहां तीन दरवाजे हैं, पहला दरवाजा छड़ों से बना लोहे का दरवाजा है। दूसरा लकड़ी से बना एक भारी दरवाजा है और फिर आखिरी दरवाजा लोहे से बना एक बड़ा ही मजबूत दरवाजा है जो बंद है और उसे खोला नहीं जा सकता। चेंबर बी में लिखी चेतावनियों के बीच नाग सांपों के चित्र भी बने हुए हैं जिनकी डरावनी आकृतियां ये चेतावनी देती हैं कि अगर इन दरवाजों को खोला गया तो अंजाम बहुत बुरा होगा।
अष्टनाग बंधन से बंद हैं दरवाजे !
अमेरिका स्थित क्लेयरमाउंट लिंकन युनिवर्सिटी में हिन्दू स्टडी के प्रोफेसर दीपक सिमखाड़ा के अनुसार आखिरी दरवाजे पर ताले भी नहीं लगे हैं, उसमें कोई कुंडी तक नहीं है, कहा जाता है कि उसे एक मंत्र से बंद किया गया है जिसे ‘अष्टनाग बंधन मंत्र’ कहा जाता है। प्रोफेसर के अनुसार वो सटीक मंत्र क्या है ये कोई नहीं जानता।
दिव्य विग्रह के ठीक नीचे है तहखाना
सूत्रों के अनुसार श्रीपद्मनाभस्वामी मंदिर में अनंतशायी भगवान विष्णु के विशाल विग्रह के ठीक नीचे ही स्थित तहखाना नंबर ‘बी’।
“मैं जानता हूं वहां क्या है”
ये मंदिर त्रावणकोर के प्राचीन चेर वंशीय राजाओं की सम्पत्ति है और इस मंदिर में रखे गये खजाने पर भी इसी वंश का अधिकार है। हालांकि, इस वंश के राजाओं ने खुद को हमेशा श्रीपद्मनाभस्वामी का दास मानकर ही यहां शासन किया है। मई, सन 2012 में एक ब्रिटिश अखबार को साक्षात्कार देते हुए त्रावणकोर राजवंश के सबसे बुजुर्ग सदस्य उत्तरादम तिरुनल मार्तन्ड वर्मा (2013 में निधन) ने कहा था, ‘मैं जानता हूं उस बंद तहखाने के पीछे क्या है, लेकिन ये जरूरी नहीं कि दुनिया भी इसे जाने।’
क्या अंदर बंद है कोई शापित वस्तु ?
मशहूर किताब ‘दि सिंक्रॉनिसिटी की’ के ऑथर डेविड विलकॉक के अनुसार उस कमरे के अंदर जो कुछ भी है वो शायद किसी अनोखे शाप से ग्रस्त है। अगर कोई उसके भीतर दाखिल होने की कोशिश भी करता है तो उसकी किस्मत फूट जाती है, वो बीमार हो जाता है और जान भी जा सकती है।
हो सकता है भारी अनिष्ट !
सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर जब श्रीपद्मनाभस्वामी मंदिर के नीचे बने तहखानों को खोलने की कवायद चल रही थी तब गोवर्द्धनपीठ के शंकराचार्य स्वामी अधोक्षानन्द ने यह कहकर सबको चौंका दिया था कि मंदिर के नीचे स्थित तहखाना नंबर बी का दरवाजा खुलते ही पूरी दुनिया में अनिष्ट होने का खतरा है।
तो पहले खुल चुका है ये तहखाना !
मंदिर के पुराने रिकार्ड की मानें तो इस मंदिर के नीचे बने उक्त तहखाने को खोलने का प्रयास 139 साल पहले भी हो चुका है। वहीं सूत्रों की मानें तो सन 1930 के दशक में भी सभी तहखानों को खोलने की कोशिश की गई थी। तब एहतियात के तौर पर मंदिर के बाहर एंबुलेंस भी बुलाई गई थी। सिर्फ इतना ही नहीं त्रावणकोर राजपरिवार से जुड़े सूत्रों की मानें तो राजवंश के किसी सदस्य को दिव्य स्वप्न आने के बाद इस दरवाजे को खोला जाता रहा है। कहा तो ये भी जाता है कि इस दरवाजे के भीतर से एक रास्ता सीधे समुद्र की तरफ जाता है।
क्या कहते हैं पूर्व सीएजी ?
भारत के पूर्व मुख्य नियंत्रक महालेखा परीक्षक (सीएजी) विनोद राय ने सुप्रीम कोर्ट में अपनी रिपोर्ट पेश करते हुए यह दावा किया था कि इस तहखाने को कई बार खोला जा चुका है और वहां ऐसी कोई रहस्यमयी वस्तु नहीं है।
विनोद राय की रिपोर्ट के अनुसार इस दरवाजे को दो बार सन 1990 में और पांच बार 2002 में खोला जा चुका है।
जर्नलिस्ट का दावा, यहां ‘दफ्न’ है परग्रही टेक्नालॉजी
और इसबीच एक एक आस्ट्रियन जर्नलिस्ट रेनहार्ट स्मुलर ने श्रीपद्मनाभस्वामी मंदिर को लेकर बड़ा रहस्योद्घाटन किया। स्मुलर के अनुसार यहां एक परग्रही (दूसरी दुनिया) टेक्नॉलॉजी बंद है। स्मुलर की मानें वो खुद इस तहखाने का भीतर से मुआयना कर चुका है और यहां एक 30 मीटर लंबा, 10 मीटर चौड़ा और 8 मीटर ऊंचा कैप्सूल है। इसके आस-पास 7 ममी (संरक्षित शव) रखे हुए हैं।
सोने चांदी से ज्यादा कीमती है ये खजाना !
दुनियाभर में मशहूर खजाना खोजी डेनियल डिलमैन की मानें तो मिस्र, यूनान, जेरुसलम और अमेरिका के साउथ वेस्ट में छिपे प्राचीन दुनिया के खजानों से भी ज्यादा कीमती है श्रीपद्मनाभस्वामी मंदिर के नीचे छिपा खजाना। वो खजाना जो श्रीपद्मनाभस्वामी मंदिर के तहखाना नंबर ‘बी’ के दरवाजों के उस पार है।
डिलमैन के अनुसार हमें अभी भी कई दफ्न खजानों को ढूंढना है। ये खजाने सिर्फ सोने-चांदी और हीरे-जवाहरातों के रूप में ही नहीं हैं बल्कि प्राचीन दुनिया के ज्ञान और जीवन के सार के रूप में भी छिपे हुए हैं। डिलमैन कहते हैं कि हो सकता है कि श्रीपद्मनाभस्वामी मंदिर के भीतर भी सोने-चांदी से परे कोई बहुमूल्य खजाना छिपा हुआ है जैसा कि पश्चिमी दुनिया में कवर्नेंट ऑफ आर्क को माना जाता है।
Related
RSS