क्या इसका सबूत हैं कि हजारों साल पहले भारत साइंस के क्षेत्र में काफी आगे निकल चुका था। या ये सिर्फ कोरी कल्पना है। आज हमें वेस्ट हर क्षेत्र में चुनौतियां दे रहा है तो हम क्यों नहीं अपने उसी प्राचीन विज्ञान का इस्तेमाल करते। कहां खो गया हमारा साइंस? कोई कहता है बाहरी हमलावरों ने सारी किताबें जला दीं। कोई कहता है अंग्रेजों ने सब तबाह कर दिया। लेकिन अब हम आपको जो बताने जा रहे हैं वो इस सवाल का जवाब दे सकता है।
सम्राटअशोक के दौर में खो गया साइंस..
– साल 270 BC। ईसा के जन्म से भी पहले भारत में सम्राट अशोक का राज था।
– कलिंग युद्ध में हिंसा देख अशोक ने अहिंसा का रास्ता चुना। वो चाहते थे कोई तब के विज्ञान का इस्तेमाल हिंसा के लिए न करे।
– कहा जाता है कि इसलिए अशोक ने उस जमाने के सारे ज्ञान-विज्ञान को नौ किताबों में जमा किया।
– फिर नौ लोगों को आदेश दिया कि वो किताबें लेकर गुमनाम हो जाएं और मरने से पहले अगली पीढ़ी के किसी भरोसेमंद व्यक्ति को सौंप दें।
– इस विशेष सीरीज अशोका द सीक्रेट में हम आपको एक-एक कर बताएंगे इन नौ किताबों में किस तरह का विज्ञान हो सकता है। और इसके सबूत क्या हैं?
ग्रैविटी
माना जाता है कि इनमें से एक किताब ग्रैविटी पर थी। तब के भारतीय ग्रैविटी के बारे में पूरी जानकारी रखते थे। और इसी समझ के आधार पर उन्होंने पूरे वैमानिका शास्त्र की रचना की थी। कोई ताज्जुब नहीं हमारी माइथोलॉजी में विमानों का जिक्र है। फिर चाहे पुष्पक विमान हो या फिर एक जगह से दूसरी जगह उड़ कर जाने की बात। पहले विमान बनाने के लिए आज दुनिया राइट बंधुओं को याद करती है लेकिन इस बात के काफी सबूत हैं कि इससे आठ साल पहले महाराष्ट्र के शिवकर बापूजी तलपड़े ने विमान उड़ाया था। वो भी मर्करी ईंधन से। मर्करी को ईंधन बनाने की तकनीक दुनिया ने हाल-फिलहाल सीखी है। शिवकर तलपड़े पर अभी हाल ही में एक फिल्म हवाईजादा भी बनी चुकी है।
क्या है प्राचीन भारत की विमान तकनीक…
विमान दो शब्दों से मिल कर बना है। वि शब्द का अर्थ स्काय यानी आकाश से है। वहीं, मान शब्द का मतलब मेजर नापतौल से है। इसका अर्थ है कि आकाश को नापने वाला। इस विमान पर कई तरह की कहानियां प्रचलित हैं। विशेषज्ञ बताते हैं कि रामायणकाल में भी विज्ञान आज के विज्ञान से आगे था। इंटरनेट पर विमान शास्त्र और इस काल के कई अस्त्रों-शस्त्रों की जानकारियां और उससे जुड़े कई तथ्य साझे किए गए हैं।
पुष्पक विमान
रावण का वध करने के बाद राम और सीता पुष्पक विमान से अयोध्या वापस लौटे थे। यह विमान रावण का सौतेले भाई कुबेर का था। जिसे रावण ने बल पूर्वक छिना लिया था। इसे रावण के एयरपोर्ट हैंगर से उड़ाया जाता था। रावण केबाद भगवान राम ने उसके छोटे भाई विभीषण को लंका का राजा बना दिया था।
कई शोध में मिली जानकारी के मुताबिक, रावण के पास के पास पुष्पक विमान के अलावा भी कई तरह के एयरक्राफ्ट थे। इन विमानों का इस्तेमाल लंका के अलग-अलग हिस्सों में जाने के अलावा राज्य के बाहर भी जाता था। इस बात की पुष्टि वाल्मिकी रामायण का यह श्लोक भी करता है। लंका जीतने के बाद राम ने पुष्पक विमान में उड़ते हुए लक्ष्मण से यह बात कही थी…
– कई विमानों के साथ, धरती पर लंका चमक रही है. – यदि यह विष्णु जी का वैकुंठधाम होता तो यह पूरी तरह से सफेद बादलों से घिरा होता।
रावण की लंका में छह एयरपोर्ट
– वेरागन्टोटा (श्रीलंका के महीयांगना में): वेरागन्टोटा एक सिंहली भाषा का शब्द है, जिसका अर्थ होता है एयरक्राफ्ट की लैंडिंग कराने वाली जगह। – थोटूपोला कांडा (होटोन प्लेन्स): थोटूपोला का अर्थ पोर्ट से है। ऐसी स्थान, जहां से कोई भी व्यक्ति अपनी यात्रा शुरू करता हो। कांडा का मतलब है पहाड़। थोटूपोला कांडा समुद्र तल से 6 हजार फीट की ऊंचाई पर एक समतल जमीन थी। माना जाता है कि यहां से सिर्फ ट्रांसपोर्ट जहाज ही हवा में उड़ाए जाते थे। – वारियापोला (मेतेले): वारियापोला के कई शब्दों में तोड़ने पर वथा-रि-या-पोला बनता है। इसका अर्थ है, ऐसा स्थान जहां से एयरक्राफ्ट को टेकऑफ और लैंडिंग दोनों की सुविधा हो। वर्तमान में यहां मेतेले राजपक्षा इंटरनेशनल एयरपोर्ट मौजूद हैं। – गुरुलुपोथा (महीयानगाना): सिंहली भाषा के इस शब्द को पक्षियों के हिस्से कहा जाता है। इस एयरपोर्ट एयरक्राफ्ट हैंगर या फिर रिपेयर सेंटर हुआ करता था। – दक्षिणी तटरेखा पर उसानगोडा – वारियापोला (कुरुनेगेला)
वैमानिका शास्त्र (महर्षि भारद्वाज की किताब से)
इस शास्त्र से संबंधित कहानियां रामायण और कई पौराणिक दस्तावेजों में मिलती हैं, लेकिन महर्षि भारद्वाज लिखी गई वैमानिकी शास्त्र सबसे ज्यादा प्रमाणिक किताब मानी जाती है। यह पूरी किताब निबंध के तौर पर लिखी गई। इसमें रामायण काल के दौर के करीब 120 विमानों का उल्लेख किया गया। साथ ही इन्हें अलग-अलग समय और जमीन से उड़ाने के बारे में भी बताया गया। इसके अलावा इसमें इस्तेमाल होने वाले फ्यूल, एयरोनॉटिक्स, हवाई जहाज, धातु-विज्ञान, परिचालन का भी जिक्र किया गया।
जिस टेक्नोलॉजी यानी एंटी ग्रैविटी का जिक्र 2500 साल पहले किया गया है। उस पर आज वेस्ट में प्रयोग हो रहे हैं।
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