करीब 500 साल पहले लियोनार्डो दा विंची ने “सल्वाटोर मुंडी” पेंटिंग बनाई. पेंटिंग में ईसा मसीह की तस्वीर थी. कुछ लोग इसे लियोनार्डो दा विंची की आखिरी पेंटिंग कहते हैं, तो कुछ मोनालिसा का पुरुष रूप. कई दशकों तक यह पेंटिंग लापता रही. लेकिन 15 नंवबर 2017 में जब यह पेंटिंग नीलामी के बाजार में आई तो सारे रिकॉर्ड ध्वस्त हो गए. पेंटिंग खरीदने के लिए आखिरी होड़ चार लोगों में थी. तीन टेलिफोन और वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिये बोली लगा रहे थे और एक शख्स नीलामी में खुद मौजूद था. लगातार ऊंची होती बोली के बीच एक आवाज आई 45 करोड़ डॉलर. बस, इसके बाद सन्नाटा पसर गया. इटली में जन्मी महान प्रतिभा द्वारा बनाई गई ईसा मसीह की पेंटिंग करीब 29.25 अरब रुपये में नीलाम हुई. नीलामी घर क्रिस्टीज ने खरीदार की पहचान नहीं बतायी है. खबर के बाहर आते ही पेंटिंग्स का कारोबार करने वालों और कई अमीर लोगों के जबड़े खुले से रह गए. लोगों को काफी देर तक यह स्वप्न सी बात लगती रही.
क्रिस्टीज के मुताबिक लियोनार्डो दा विंची ने सन 1500 के आस पास यह पेंटिंग बनाई. इसमें ईसा मसीह को नीली पोशाक में दिखाया गया है. ऐसा लगता है जैसे ईसा मसीह पेंटिंग देखने वाले को ही देख रहे हैं. इस पेंटिंग का इतिहास बड़ा उलझा सा है. कभी यह फ्रांस के राजा लुई 12वें के पास थी. फिर यह इंग्लैंड के राजपरिवार तक पहुंची. इसके बाद काफी समय तक इसका कोई अता पता नहीं चला. सन 1958 में एक इंग्लिश कलेक्टर ने इसे 45 पाउंड में बेच दिया. पेंटिंग इसके बाद फिर लापता हो गई और 2005 में इसे अमेरिका के आर्ट डीलर्स ने 10,000 डॉलर से भी कम दाम में खरीदा.
कई लोगों ने इसे फर्जी पेंटिंग भी करार दिया. लेकिन छह साल की गहन जांच के बाद 2011 में विशेषज्ञों ने दावा किया है कि यह लियोनार्डो दा विंची की असली पेंटिंग हैं. मोनालिसा और द लास्ट सपर जैसी मशहूर पेंटिंग्स बनाने वाले दा विंची की आज दुनिया भर में 20 से भी कम ओरिजनल पेंटिंग्स बची हैं.
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