देश की सबसे रहस्यमयी झील में भरे सैंकड़ों मानव कंकालों के राज से पर्दा उठ गया है। नर कंकालों के डीएनए टेस्ट से वैज्ञानिकों ने बड़ा खुलासा किया है।
सम्राट सिकंदर के भारत आने के पहले भी ग्रीक देश के लोग उत्तराखंड आते रहे हैं। चमोली जिले में नंदा देवी चोटी के नीचे हिम झील में पड़े सैकड़ों नर कंकालों की डीएनए जांच से यह पता चला है। इस नए राज से पर्दा हटने के बाद विज्ञानी अब नए शोधों की तैयारी में जुट गए हैं।
पहले यह अंदाजा लगाया गया कि हो सकता है कि यह सिकंदर की सेना की टुकड़ी रही हो लेकिन रूप कुंड की यह घटना सिकंदर से ढाई सौ साल पहले की है। इसके साथ ही नर कंकालों के पास से युद्ध में इस्तेमाल किए जाने वाले कोई हथियार नहीं मिले। यह माना जा रहा है कि ये ग्रीक देश के लोग यहां घूमने के लिए आए हों।
समुद्र तल से 16 हजार 499 फीट ऊंचाई पर स्थित रूप कुंड के नर कंकालों के 100 सैंपल की एक बार फिर जांच की गई। इनकी माइट्रोकोंड्रियल, ऑटो सुमल डीएनए और वाई क्रोमोसोमल डीएनए जांच कराई गई। इस जांच में यह तय हो गया है कि रूप कुंड के नर कंकालों में ग्रीक लोगों के भी कंकाल हैं।
इसके साथ ही यहां स्थानीय लोगों के भी नरकंकाल पाए गए हैं। शोध टीम ने आसपास के क्षेत्र के आठ सौ लोगों की डीएनए जांच भी की है। यह पाया गया कि रूप कुंड में स्थानीय और विदेशी दो नर कंकाल समूह हैं।
इस तथ्य ने विज्ञानियों को चौंका दिया है। बीरबल इंस्टीट्यूट आफ पेलियो साइंसेस के विज्ञानी डॉ. नीरज राय ने एंथ्रोपोलॉजिकल सर्वे आफ इंडिया में आयोजित कार्यशाला में इस संबंध में अपनी शोध प्रस्तुति दी।
डॉ. नीरज राय ने बताया कि सैंपल की डीएनए जांच से ग्रीक का मिलान हो रहा है। ग्रीक के अलावा स्थानीय लोगों के नर कंकाल भी हैं। इसमें अभी और शोध की जरूरत है। शोध से अभी इसकी और परतें खुलेंगी।
उन्होंने बताया कि सिकंदर 1000 ईसवी में यहां आया और ये नरकंकाल 850 ईसवी के हैं। दोनों घटनाओं में ढाई सौ साल का गैप है। रूप कुंड राज की और परतें खोलने के लिए एंथ्रोपोलोजिकल सर्वे आफ इंडिया के रीजनल आफिस भी नए प्रोजेक्ट शुरू करने की योजना बना रहा है।
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