अमेरिकी वैज्ञानिकों को एक ऐसे ग्रह का पता चला है जो धरती से काफी मिलता जुलता है. जीवन की संभावनाएं जगाने वाला यह ग्रह सूर्य जैसे ही एक सूदूर तारे के चारों ओर परिक्रमा कर रहा है.
धरती से आकार में करीब 60 फीसदी बड़ा यह ग्रह उससे करीब 1,400 प्रकाशवर्ष दूर स्थित साइग्नस नाम के एक तारा समूह में स्थित है. खगोलविदों ने नासा के केपलर के स्पेस टेलिस्कोप से इसकी खोज की है. यह ग्रह एक ऐसे तारे के चारों ओर चक्कर लगाता दिखा है जो आकार और तापमान में धरती के सूर्य जैसा ही है लेकिन उम्र से उससे भी बड़ा. अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी के एमीज रिसर्च सेंटर के खगोलविद जोन जेन्किंस ने बताया, “मेरे विचार में, हमें धरती के समान एक ग्रह जैसी सबसे नजदीकी चीज मिली है.”
इस ग्रह का नाम केपलर-452बी रखा गया है और यह जिस सूर्य जैसे तारे के चारों ओर घूम रहा है वह करीब 6 अरब साल पुराना है. हमारी धरती के सूर्य की उम्र लगभग 4.6 अरब साल आंकी गई है. जेन्किंस कहते हैं, “यह जानना एक अद्भुत अनुभव है कि कि इस ग्रह ने 6 अरब साल इस तारे के आसपास हैबिटेबल जोन में बिताए हैं.” हैबिटेबल जोन किसी तारे के चारों ओर के उस क्षेत्र को माना जाता है जिसमें परिक्रमा कर रहे ग्रह पर जीवन के आधार पानी के द्रव्य रूप में होने की संभावना हो. इस ग्रह पर जीवन होने की संभावना पर जेन्किंस कहते हैं, “उसकी सतह या सागरों में जीवन की उत्पत्ति के लिए इतना समय और अवसर काफी होना चाहिए, अगर यहां (धरती) की तरह वहां जीवन के लिए बाकी जरूरी सामग्री और परिस्थिति भी मिले.”
केपलर-452बी की अपने सूर्य से दूरी लगभग उतनी ही है जितनी धरती की हमारे सूर्य से. वह अपने सूर्य का एक चक्कर 385 दिनों में लगाता है जबकि धरती को 365 दिन लगते हैं. केंद्रीय तारे से इतनी दूरी पर ग्रह का तापमान पानी के लिक्विड रूप में रखने लायक माना जा रहा है. पहले भी वैज्ञानिक कुछ और धरती जैसे ग्रहों की पहचान कर चुके हैं लेकिन उनके तारों का तापमान और आकार इससे कम पाया गया. नासा ने 2009 में केपलर टेलिस्कोप को इसी मकसद से भेजा था कि धरती के सबसे नकदीकी तारों का पता लगा सके. केपलर को ऐसे ग्रहों का पता लगाना था कि क्या आकाशगंगा में धरती जैसे ग्रह होना आम है.
वैज्ञानिकों का मानना है कि अर्थ 2.0 कहा जा रहा यह नया ग्रह धरती की ही तरह चट्टानी हो सकता है. यह धारणा सांख्यिकीय गणनाओं और कंप्यूटर मॉडलिंग पर आधारित है और इसका अभी कोई सीधा साक्ष्य नहीं मिला है. ‘दि एस्ट्रोनॉमिकल जर्नल’ में प्रकाशित इस रिसर्च में कहा गया है कि यह ग्रह धरती से पांच गुना भारी और दोगुने गुरुत्व बल वाला ग्रह हो सकता है. वैझानिकों को लगता है कि इसका अपना वायुमंडल, बादलों वाला आकाश और सक्रिय ज्वालामुखी हो सकते हैं. इसके वायुमंडल के बारे में पता लगाने के लिए केपलर से भी अधिक संवेदनशील स्पेस टेलिस्कोप की जरूरत होगी. केपलर टेलिस्कोप से अब तक 1,000 से भी ज्यादा ग्रहों की पहचान की जा चुकी है और 4,700 ग्रह जैसी चीजें इस कतार में हैं. इस लंबी सूची में ऐसे 11 अन्य ग्रह हैं जो धरती जैसे हो सकते हैं.
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