अगर आपसे इंटरनेट की बात की जाये तो आप तुरंत ही कहेंगे कि आप इंटरनेट को अच्छे से जानते हैं। तमाम वेबसाइट जैसे गूगल, फेसबुक, यूट्यूूब और इसके अलावा लाखों ऐसी वेबसाइट जिन्हें अाप और आपके साथ दुनिया भर के लोग हर रोज इस्तेमाल करते हैं; का नाम लेंगे। लेकिन अगर हम कहें दुनिया भर के लोग इंटरनेट का जो हिस्सा आप और अन्य लोग इस्तेमाल करते हैं वह केवल पूरे इंटरनेट का 5 फीसद ही है तो शायद आपमें से कई लोग यकीन नहीं मानेगें। सीधे शब्दों में कहें तो आप इंटरनेट के जिस हिस्से तक पहुॅच रखते हैं वह केवल 5 प्रतिशत ही है, अब सवाल यह पैदा होता है कि बाकी 95% इंटरनेट कौन प्रयोग करता है और वह कहां हैं तो आईये हम बताते हैं आपको सारे प्रश्नों के उत्तर –
क्या है डार्क वेब :
इंटरनेट का एक स्वरूप हम देखते हैं जिसमें गूगल, याहू, फेसबुक, ट्विटर और अन्य अनगिनत वेबसाइटें होती है जिसे हर कोई खोल सकता है। लेकिन इंटरनेट में एक दुनिया और बसी है, जिसे ‘डीप वेब’ कहते हैं। डार्क वेब यानी इंटरनेट की इस काली दुनिया में कई ग़ैरकानूनी बाज़ार सजते हैं। कई ऐसी मादक, ख़तरनाक चीज़ें ख़रीदी-बेची जाती हैं, जिन्हें बेचना या ख़रीदना जुर्म माना जाता है। लेकिन डार्क वेब में यह सारे गैरकानूनी काम धड़ल्ले से और बिना रोक-टोक होता है। यहाँ खरीददारी करने के लिए वर्चुअल करेंसी जैसे बिटकॉइन का इस्तेमाल होता है।
क्या क्या बिकता है डार्क वेब पर :
डार्क वेब पर अत्याधुनिक हथियारों से लेकर ड्रग्स, वेश्यावृत्ति, पोर्नोग्राफी, आपके बैंक डिटेल्स, क्रेडिट-डेबिट कार्ड डिटेल्स, हत्या की सुपारी, अपरहण आदि के कॉन्ट्रैक्ट तक लिए जाते हैं। इसके अलावा वहां प्रोफेशनल हैकर, किलर आदि भी हायर किये जा सकते हैं। डार्क वेब की काली दुनिया खतरों से भरी पड़ी है जहाँ जाना खतरे से खाली नहीं।
कैसे एक्सेस होता है डार्क वेब :
टॉर ब्रोउजर के ज़रिए डार्क वेब को एक्सेस किया जा सकता है। पूर्व में इसे रक्षा सेवाओं के लिए प्रयोग किया जाता था, लेकिन जैसा ज़्यादातर तक़नीकों के साथ होता है, इसे वो लोग भी इस्तेमाल करने लगे जिन्हें यहां नहीं होना चाहिए था। अब साइबर अपराधी तमाम ग़ैरकानूनी गतिविधियों के लिए इसका धड़ल्ले से इस्तेमाल करने लगे हैं।
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