इतिहास हमेशा कुछ न कुछ सिखाता है पर उसमे अनगिनत रहस्य समाये होते है जिसे इंसान हर कदम पर सुलझाने की कोशिश करता है। कुछ रहस्य नये होते है और कुछ सदियों पुराने! भारतीय इतिहास में ऐसी कई कहानियाँ मौजूद है, जिसमे ढेरों राज़ छिपे है, जिन्हें जानने के लिये वैज्ञानिक और इतिहासकार हमेशा से प्रयत्न करतेआ रहे है।
आईये ऐसी ही कुछ कहानियों से रूबरू होते है। अगर आप इन्हें सुलझा सकते है तो कमेंट बॉक्स में जरूर लिखे। क्या पता इन अनसुलझे प्रश्नों का उत्तर आप ही में से किसी के पास हो!
1. गुमनाम सिंधु घाटी सभ्यता
सिंधु घाटी सभ्यता भारत की सबसे प्राचीन संस्कृति है। मिस्र (इजिपशियन) और मेसोपोटामियन सभ्यता से भी सिंधु घाटी सभ्यता बहूत पुरानी, बड़ी, रहस्यमय और अनेक अनसुलझे सवालो से भरी पड़ी है। जिन लोगो ने इस सभ्यता की शुरुआत की उनके बारे में पुख्ता सबूत अभी तक नहीं मिले। इतना ही नहीं, उनके द्वारा इस्तेमाल किये गये 4000 साल पुराने सिंधु चित्रमय लिपि को भी आजतक कोई समझ नहीं पाया। उस जमाने की संस्कृति और उससे संबधित असंख्य रहस्य धरती की गोद में समा गये इसलिये इस सभ्यता को समझना मुश्किल है। सभ्यता को लेकर बहुत सारे सिद्धांत दिये गये है पर कोई भी निर्णायक नहीं है।
2. चरामा की एलियन नुमा शैल चित्र
छत्तीसगढ़ के बस्तर आदिवासी इलाके में चरामा गाँव के पास पुरातन गुफाए मिली है जहा के पत्थरो पे दुसरे ग्रह के लोगो जैसे दिखने वाले चित्र पाये गये। गुफाओ की खोज करने वाले पुरातत्ववादी जे. आर. भगत कहते है कि चित्रो में चेहरे अलग तरह से दिखते है और कुछ चित्र उड़न तश्तरी के भी है।इससे जुडी हुयी एक कहानी गांववाले बताते है जिसमे रोहेला नामक लोग उड़न तश्तरी से यहाँ आते है और गांववालो का अपहरण करते है। छत्तीसगढ़ पुरातत्व विभाग ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन और अमेरिका की अंतरिक्ष एजेंसी नासा (NASA) को इस मुहीम में मदद करने की मांग की है।
3. बिहार की सोन भंडार गुफाएं
बिहार की सोन भंडार गुफाएं एक बड़े पत्थर से बनायीं हुयी है और कहा जाता है कि ये गुफाएं मगधन राजा बिम्बिसार के ज़माने की है। लोगो का मानना है कि बिम्बिसार राजा अपने खजाने को छुपाने के लिये इन गुफाओ का इस्तेमाल करता था। सोन भंडार का मतलब है ‘सोने का खजाना’। जब बिम्बिसार को उसके पुत्र अजातशत्रु ने कारागार में डाल दिया तब उसके आदेश से उसकी बीवी ने राज्य का खजाना इस गुफाओ में छिपाया था। यहा पर मिली हुयी संखलिपि में लिखित शिलालेख है जिनसे शायद इस खजाने तक पहुँचने की चाबी मौजूद है। अंग्रेजो ने खजाने को हासिल करने के लिये दरवाजो पर तोप के गोले बरसाये थे जिनके निशान आज भी दिखते है पर उन्हें कुछ भी नहीं मिला था।
4. नौ अपरिचित व्यक्ति
भारत के ‘नौ अपरिचित व्यक्ति’दुनिया भर के सबसे बड़े रहस्यों में से एक माने जाते है। जानकारों का मानना है कि इसवी सन पूर्व 273 में जब कलिंगा का युद्ध हुआ था जिसमे 100,000 लोगो की जाने गयी थी, उसके बाद सम्राट अशोक ने इन नौ व्यक्तियों का गुट बनाया था। नौ में से हर एक व्यक्ति को एक विषय पर बहुत सारा ज्ञान था, जिसमे पर्यटन, विज्ञान और युद्ध कौशल जैसे विषय शामिल थे। उन सभी 9 लोगो के बारे में पूरी जानकारी नहीं है पर ऐसा मानना है कि आज भी उनके वंशज मौजूद है।
5. मीर ओस्मान अली का खजाना
हैदराबाद के असफ जाह शासन के सातवे और आखरी निज़ाम मीर ओस्मान अली खान अपने गहनो और खजाने के संग्रह के लिये प्रसिद्ध थे। सन 1937 में टाइम मैगज़ीन ने उन्हें दुनिया के सबसे अमीर आदमी का सम्मान दिया। उनके द्वारा संग्रहित की गयी सभी गहनों और खजाने को उनके मृत्यु के बाद भी कोई ढूंड नहीं पाया था। लोगो का कहना है कि सारा खजाना हैदराबाद के कोठी पैलेस में छुपा है जहा निजाम रहते थे।
6. लामा तेनझीन की 500 साल पुरानी ममी
हिमालय में स्पिटी के पास घुइन नामक एक छोटासा क़स्बा है जहा पुराने ज़माने में प्रचलित, खुद की ममी बनाने की संस्कृति देखने को मिलती है ।यहा पर एक छोटे से कमरे में 500 साल की ममी रखी गयी है जिसे कांच से सरंक्षित किया गया है। पंद्रहवी शताब्दी के महंत सांघा तेनझीन की ये ममी है, जिसकी त्वचा और सर के बाल आज भी साबुत है। ये ममी सबसे पहली प्राकृतिक ममी है।
7. जयगढ़ किले का शाही खजाना
जयगढ़ का जैवाना किला दुनिया के सबसे बड़े पहियों वाली तोपो के लिये प्रसिद्द तो है पर साथ साथ साजिश और खजानों की कहानियो के लिये भी प्रसिद्ध है। ऐसा कहा जाता है कि अफगानिस्तान की जंग जीतने के बाद अकबर के रक्षा मंत्री मान सिंग ने युद्ध में जीता हुआ खजाना इसी किले में छुपा के रखा था। सन 1977 में तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी ने किले में खजाना और पानी की टंकिया ढूंढने के लिये एक मुहीम चलायी। पर इसमे कुछ भी नहीं पाया गया। इस मुहीम की पूरी कहानी महारानी गायत्री देवी द्वारा लिखी गयी ‘A Princess Remembers’ नामक किताब में पढने को मिलता है।
8. नानासाहेब का लापता होना
नानासाहेब 1857 के विद्रोह के नेता थे जिन्होंने ब्रिटिश शासन को ललकारा था। विद्रोह के बाद नानासाहेबअचानक एक दिन गायब हो गए। इतिहास में किसीको पता नहीं है कि उनके द्वारा लूटा हुआ खजाना कहा है। कहानी ये भी है कि वो खजाने के साथ नेपाल चले गये और ब्रिटिशो के हाथ नहीं लगे। ब्रिटिश काल से नानासाहेब और उनका खजाना एक रहस्य बना हुआ है।
9. कुलधरा- भूतो से पीड़ित गाँव
जैसलमेर के पश्चिम दिशा में 20 किमी के बाद भूतो से पीड़ित कुलधारा गाँव है जहा 100 साल पहले पालीवाल ब्राह्मण रहते थे। लगबग 1500 लोग एक ही रात में इस गाँव को छोड़कर निकल गये। किसी को खबर नहीं थी कि वो कहा और क्यों गये पर लोगो का मानना है कि दुष्ट शासक सलीम सिंग और उसके लगाये गये लगान की वजह से लोग गाँव छोड़कर चले गए, और जाते जाते गाँव को एक श्राप भी देकर गये। उस घटना के बाद जिसने भी गाँव में रहने का निश्चय किया उसकी मौत हो गयी इसी वजह से ये गाँव आजतक नहीं बसा।
10. चपाती आंदोलन
1857 के विद्रोह के दौरान चपाती आंदोलन शुरू किया गया था, जिसके बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है इसलिये आजतक यह एक रहस्य बना हुआ है। कुछ अध्ययन द्वारा ये बताया गया है कि कोलेरा से प्रभावित लोगो को चपाती पहूचाना इसका उद्देश था पर इस आंदोलन का असली मकसद आज भी किसीको नहीं पता। इतिहासकारो का मानना है कि इस आंदोलन से 1857 में ब्रिटिश राज में खलबली मची थी।
11. नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की मृत्यु
नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की मृत्यु के बारे में असंख्य कहानियाँ प्रचलित है, जो आज भी एक रहस्य बना हुआ है। कोई नहीं जानता कि तायपेई से टोकियो जाने वाले विमान में उनके साथ क्या हुआ। आजाद भारत का ये एक अनसुलझा सवाल है। उनके गायब होने के बाद ऐसा कहा जाता है कि वो भारत वापस आये थे और उत्तर भारत में साधू के वेश में रहते थे। इस बात का सबूत नहीं है पर ऐसा माना जाता है कि उत्तर प्रदेश के फैजाबाद में रहने वाले साधू गुमनामी बाबा ही सुभाष चन्द्र बोस थे।
12. लालबहादुर शास्त्री की असामयिक मौत
भारत के प्रधानमंत्री बनने के महज 2 साल बाद दुसरे देश में लाल बहादुर शास्त्री की अचानक मौत होना देश के लिये एक दुर्भाग्य था और सबसे बड़ा रहस्य भी। सन 1966 में ताशकन्त देश में दिल का दौरा पड़ने से उनकी मौत हुयी। नीले धब्बे और कटने के निशान उनके शरीर पर थे पर न तो उनका पोस्ट मार्टम किया गया और न ही उनकी मौत से जुड़े कोई दस्तावेज़ सरकार को दिये गये। इसलिये उनकी मौत पर हमेशा एक प्रश्नचिन्ह बना रहा।
13. शांतीदेवी का पुनर्जन्म
एक बच्ची का दिल्ली में पुनर्जन्म हुआ जिसका नाम शांतिदेवी था। शांतिदेवी ने अपने घरवालो को उसके पहले जन्म के घर और घरवालो की जानकारी दी। महात्मा गाँधी द्वारा स्थापन की गयी एक कमिटी ने शांतिदेवी द्वारा दी गयी जानकारी को टटोला और रिकॉर्ड किया।
14. एक योगी कुछ खाये-पिये बिना जी रहा है
अहमदाबाद से 200 किमी दूर अम्बाजी गाँव में चुनरीवाला माताजी नाम से मशहूर एक कमजोर बुर्जुर्ग तपस्वी रहते है। इनका असली नाम प्रल्हाद जानी है। इनका कहना है कि 11 साल की उम्र से वो देवी अम्बा के भक्त बने और अध्यात्म से जुडे। वे कहते है कि देवी ने उन्हें आशीर्वाद देकर अमृत दिया जिसे वो तालू के छेद से शरीर में पहुँचता रहता है। सन 2003 में 21 लोगो की मेडिकल रिसर्च टीम ने इस योगी पर विडियो द्वारा नज़र रखी पर कुछ निष्कर्ष नहीं निकला। योगी का कहना है कि सन 1940 से वो कुछ भी खाए पिए बगैर जी रहे है।
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