भूसतह में पड़े उस छेद या दरार को ज्वालामुखी कहा जाता है जिसमें से विस्फोट के साथ प्रज्वलित गैसें, तरल लावा तथा तप्त शैल खण्ड निकलते हैं। ज्वालामुखियों से विस्फोट इतना भयंकर होता है कि उसकी आवाज़ हज़ारों किलोमीटर तक सुनाई पड़ती है।
ज्वालामुखी – शब्द
रोमन आग के देवता का नाम वल्कन है। भूमध्य सागर में एक वल्कनो नामक द्वीप है, जिसमें एक सक्रिय ज्वालामुखी है।कहते हैं कि वल्कन वहाँ पर देवताओं के लिए हथियार बनाते हैं। इसलिए ज्वालामुखी का अर्थ है – वल्कन की भट्टी।
कोई भी ज्वालामुखी स्थायी रूप से या सदैव सक्रिय नहीं रहता। इसी कारण ज्वालामुखियों को तीन श्रेणियों में विभाजित किया गया है जिनमें शामिल हैं जागृत, सुप्त तथा मृत।
जागृत ज्वालामुखी वे हैं जिनसे लावा, धुआं इत्यादि का निकलना जारी है। कोई भी ज्वालामुखी बहुत लम्बे समय तक सक्रिय नहीं रहता है, बल्कि कुछ समय के लिए विश्राम लेता है। विश्राम की अवधि कुछ दिनों से लेकर लाखों वर्षों तक हो सकती है। इसे सुप्त अवस्था कहा जाता है। यदि यह अवस्था बहुत अधिक समय तक हो तो इसे मृत मान लिया जाता है।
ज्वालामुखी क्यों फूटते हैं?
एक ज्वालामुखी के नीचे, चट्टानें इतनी गर्म हो जाती हैं कि वे पिघल जाती हैं। पिघली चट्टानों को मेग्मा कहा जाता है। गर्म मेग्मा बहुत दबाव उत्पन्न करता हुआ ऊपर की तरफ बढ़ता है और आखिर में यह पृथ्वी की दरारों के माध्यम से विस्फोटक तरीके से फूटता है।
कुछ अन्य प्रकार के ज्वालामुखी भी होते हैं
क्रायो वोलकैनों (या बर्फ ज्वालामुखी) जो अन्य ग्रहों पर पाए जाते हैं जैसे शनि, नेपच्यून, बृहस्पति और उसके चन्द्रमाओं पर।
मड ज्वालामुखी जो मिट्टी के घोल से गठित होते हैं, और इनमें से लावा या उच्च तापमान नहीं निकलता। सिडोरजो, इंडोनेशिया, में इस तरह का ज्वालामुखी है।
पनडुब्बी (Submarine Volcanoes) और ग्लैसियर के नीचे पाये जाने वाले ज्वालामुखी (Subglacial Volcanoes) पनडुब्बी ज्वालामुखी पानी के नीचे होते हैं। इन ज्वालामुखियों का ऊपरी भाग जब महासागर के ऊपर निकल आता है, तो वह द्वीप बन जाता है। ग्लैसियर के नीचे पाये जाने वाले ज्वालामुखी (Subglacial volcanoes) बर्फ की परत के नीचे विकसित होते हैं। पिघलती हुई बर्फ शिखर पर लावा को दबा देती है और ऊपर एक समतल पहाड़ रह जाता है।
सुपर वोल्कनो
यह बहुत अधिक विनाश की शक्ति रखते हैं। यह एक विशाल क्षेत्र में फैले होते हैं, और ये कई वर्षों के लिए धरती का तापमान शांत कर सकते हैं। इन बड़े विस्फोट से तापमान प्रभावित हो सकता है क्योंकि सल्फ्यूरिक एसिड की बूंदें सूरज को धुंधला कर देती हैं और पृथ्वी से निकलने वाली गर्मी को सोख लेती हैं। इस प्रकार पृथ्वी का वायुमंडल ठंडा हो जाता है। न्यूजीलैंड में झील टॉपो इसका एक उदाहरण है।
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