Astronaut Requirement : उड़ान ऐसी भरो कि सामने वालों की नजरें भी कम पड़ जाए, कुछ ऐसे ही मजबूत हौसले और ऊंची सोच रखते हैं अंतिरक्ष की सैर करने वाले जांबाज अंतरिक्ष यात्री. हम में से हर व्यक्ति अंतरिक्ष के सफर को एंडवेन्चर्स की नजर से देखते हैं, यही कारण है कि अगर हमें कभी अंतरिक्ष की सैर करने का ऑफर मिले तो हम इसे अपनी खुशकिस्मति मानेंगे. क्यों ऐसा ही है न ?
मगर जब आपका वास्तविक में अंतरिक्ष यात्रा की विषम परिस्थितयों से पाला पड़ेगा तो आप शायद ही फिर कभी अंतरिक्ष की सैर करने का सपना पालोगे.
अंतरिक्ष यात्री बनने के लिए होने चाहिए ये सभी गुण
अंतरिक्ष यात्री बनने के लिए आपको तुरंत फैसला लेना होता है.
आपके शरीर का स्वास्थ्य शत प्रतिशत स्वस्थ्य होना चाहिए.
आपके अंदर दबाव में काम करने की आदत और मजबूत हौसले भी होने चाहिए.
इन गुणों को द राइट स्टफ के नाम से जाना जाता है.
यह रखी गई हैं शर्तें
आम तौर से अंतरिक्ष यात्री एयरफ़ोर्स के बेहतरीन पायलट होते हैं.
आपको बता दें कि 1950 में नासा ने भी अपना पहला अंतरिक्ष यात्री एयरफ़ोर्स के पायलट को ही चुना था. यही काम सोवियत संघ ने भी किया था.
फर्क़ सिर्फ़ इतना था कि सोवियत संघ ने इस क्षेत्र में महिलाओं को भी शामिल कर लिया था. साथ ही उसने लंबाई की बंदिश भी लगा दी. यानी किसी भी अंतरिक्ष यात्री की लंबाई 5.6 इंच से ज़्यादा नहीं हो सकती थी.
करीब 60 साल से रिसर्च के लिए इंसान अंतरिक्ष में जा रहे हैं. लेकिन वहां जाने के लिए शर्तें आज भी वही हैं
अंतरिक्ष का हाल अंतरिक्ष यात्री की जुबानी
बीबीसी पर छपि खबर के अनुसार अंतरिक्ष यात्री ल्यूका परमितानो इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन में क़रीब साढ़े पांच महीने रहे. वो कहते हैं कि जैसे-जैसे दिन गुज़रते जाते हैं, आपकी टांगें ख़ुद आपको ही कमज़ोर और पतली महसूस होने लगती हैं. चेहरा गोल होने लगता है. जिसे वापस धरती पर आने के बाद भी नॉर्मल होने में काफ़ी समय लग जाता है.
अंतरिक्ष में आक्सीजन बिल्कुल भी नहीं होती है, हमें सीमित मात्रा में बनावटी आक्सीजन ले जानी होती है, उसी से महीनों गुजारने पड़ते हैं. भरपूर मात्रा में आक्सीजन न मिलने पर घुटन सी होती है, लेकिन फिर भी हम मौत को हराते हैं. उन्होंने बताया कि अंतरिक्ष में बहुत लंबे समय तक टिक पाना कोई आसान काम नहीं है.
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