जिला मुख्यालय से करीब 35 किलोमीटर दूर महम में ‘स्वर्ग का झरना’ है।
रोहतक/महम.जिला मुख्यालय से करीब 35 किलोमीटर दूर महम में ‘स्वर्ग का झरना’ है। 360 वर्ष पहले बनी मुगलकाल की इस धरोहर से रहस्यमयी किस्से-कहानियां भी जुड़ी हैं। लोग इसे ज्ञानी चोर की बावड़ी भी कहते हैं। शहरवासी इस पुरानी व खूबसूरत कृति को देखने के लिए महम जा सकते हैं।
पिछले चार वर्ष से इसे संरक्षित कर बचाने का प्रयास किया जा रहा है। बावड़ी में लगे फारसी भाषा के एक अभिलेख के अनुसार इस स्वर्ग के झरने का निर्माण उस समय के मुगल राजा शाहजहां के सूबेदार सैदू कलाल ने 1658-59 ईसवीं में करवाया था। सदियों पहले इसे पानी के स्त्रोत के लिए बनाया गया था।
किवदंती है कि राबिन हुड की तर्ज पर इलाके का मशहूर ठग ज्ञानी चोर रात को अमीरों को लूटता था और दिन के समय लूटे गए उस पैसे से गरीबों की मदद करता था। वह छुपने के लिए इस बावड़ी में आता था। यहां सुरंगों के जाल में उसे कोई पकड़ नहीं पाता था। लोगों का कहना है कि यहां बड़ा खजाना छिपा हुअा है।
101 सीढ़ियों में से 32 ही बची : इसमें एक कुआं है, जिस तक पहुंचने के लिए 101 सीढ़ियां उतरनी पड़ती हैं, लेकिन फिलहाल 32 ही बची हैं, बाकी जर्जर हो चुकी हैं। कहा जाता है कि अंग्रेजी सेना के किसी अफसर को भाषा का अनुवाद समझ नहीं आया तो उसने लगाए गए पत्थर पर तीन गोलियां मार दी, जिसके निशान अब भी देखे जा सकते हैं। कहने को तो ये बावड़ी पुरातत्व विभाग के अधीन है, लेकिन वक्त के थपेड़ों ने इसे कमजोर कर दिया है। वर्ष 1995 में आई भीषण बाढ़ ने बावड़ी के एक बड़े हिस्से को बर्बाद कर दिया था। बावड़ी की लंबी चौड़ी दीवार के एक हिस्से का मलबा वर्षों से इसके अंदर पड़ा हुआ है।
सुविधाएं मिले तो तिलियार के साथ-साथ बावड़ी भी बन सकती है पिकनिक प्वाइंट
शहरवासियों के लिए केवल तिलियार ही नहीं, महम की बावड़ी भी छुट्टी मनाने के लिए एक बेहतर ऑप्शन हो सकती है। प्रशासन इसे और संवारकर और यहां पर सुविधा व सुरक्षा बढ़ाकर पहल कर सकता है।
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