किसी देश की सेना यूं ही नहीं हर मोर्चे को संभाल लेती. इसके लिए करनी पड़ती कड़ी ट्रेनिंग. सेना भर्ती होने के कई कठिनाइयों से गुजरना पड़ता है. जिसमे से है एक है विश्वस्तरीय परीक्षण कोबरा गोल्ड अभ्यास. आज हम आपको एशिया के सबसे खतरनाक और कष्टदायक सेना ट्रेनिंग के बारे में बताने जा रहे है.
कोबरा गोल्ड एशिया में होने वाले सबसे बड़े फौजी अभ्यास में से एक है. हर साल इसमें अमेरिका, थाईलैंड और अन्य देशों के कमांडोज शामिल होते हैं. थाईलैंड के तटीय इलाकों में होने वाले इस अभ्यास में 10 दिनों तक कमांडोज विषम परिस्थितियों में खुद को जीवित रखने की ट्रेनिंग करते हैं.
इस साल 37वीं बार इस सैन्य अभ्यास को आयोजित किया गया है. इसमें शामिल हुए अमेरिकी, थाई और साउथ कोरियाई सैनिकों ने सांप का खून पिया और बिच्छू तक खाए. यह अभ्यास ‘जंगल सर्वाइवल प्रोग्राम’ का हिस्सा है.
थाईलैंड के चोन्बुरी प्रांत में स्थित एक नेवी बेस पर इस अभ्यास का आयोजन किया जाता है. कमांडोज ने कोबरा का सिर काटकर उसका खून पीते है. इसके अलावा, उसके शरीर को खाने में इस्तेमाल किया. ट्रेनिंग में थाईलैंड के मिलिट्री ट्रेनर्स भी मौजूद रहते है.
इस अभ्यास में सैनिकों को बताया कि बिच्छुओं और सांपों को खाने से पहले उनमें से विषैली थैलियों को कैसे हटाया जाए. सैनिकों को जंगल में खाने लायक पौधों की पहचान करने और पीने के लिए पानी ढूंढने की ट्रेनिंग भी दी गई. ट्रेनिंग के दौरान थाई अफसरों ने बताया कि जंगलों में जीने के लिए सबसे ज्यादा जरूरी यह जानना है कि क्या खाना है और क्या नहीं?
एक अमेरिकी सार्जेंट क्रिस्टोफर फिफी के मुताबिक सांप का खून पीने का यह उनका पहला अनुभव है. अमेरिका में सैनिक अमूमन ऐसा नहीं करते. इस बार कोबरा गोल्ड एक्सरसाइज में करीब 6800 अमेरिकी सैनिक शामिल हुए. पिछली बार के मुकाबले यह संख्या करीब दोगुनी है.
यह अभ्यास अमेरिका-थाईलैंड के बीच बेहतर होते रिश्तों का भी सबूत है. 2014 में यहां सैन्य तख्तापलट के बाद लोकतंत्र की बहाली में अमेरिका ने अहम भूमिका निभाई. अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के सत्ता में आने के बाद से दोनों देशों के रिश्ते और ज्यादा प्रगाढ़ हुए हैं. थाईलैंड में मानवाधिकारों के कथित उल्लंघनों पर ट्रंप ने नर्म रुख बरता है. अमेरिका का थाईलैंड के साथ सामरिक रिश्ता उसके लिए बेहद अहम है.
नॉर्थ कोरिया के साथ बढ़ते तनाव के मद्देनजर यह रिश्ता और महत्वपूर्ण हो जाता है. सैनिक इस ट्रेनिंग में भले ही अमानवीय तरीके अपना रहे हों, लेकिन सरकारों का कहना है कि किसी आपातकाल की स्थिति में खुद को बेहतर ढंग से तैयार करने और आपसी रिश्तों को मजबूत करने की दिशा में यह एक्सरसाइज बेहद महत्वपूर्ण है.
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