आखिर क्या वजह है जिसके चलते यह शहर कई सालों से एक विवादित जगह बना हुआ है, और इस शहर में होने वाली छोटी से छोटी घटना भी इंटरनेशनल न्यूज़ बन जाती है.
आइये जानते है येरुशलम से जुड़ी कुछ ख़ास बातें
येरुशलम दुनिया के 3 बड़े धर्मों इस्लाम, इसाई और यहूदियों का पवित्र शहर माना जाता है. इन तीन धर्मों को मानने वालों की आबादी दुनिया की टोटल आबादी का 54% है. यह शहर पिछले लगभग 3 हज़ार सालों से विवादों से घिरा हुआ है. इस्लाम, यहूदी, इसाई धर्म की शुरुआत इसी शहर में हुई थी.
तीनों ही धर्म हज़रत इब्राहिम अलाहिस्लाम से जोड़ते है. येरुशलम को अरबी में अल क़ुद्स के नाम से भी जाना जाता है. यही नहीं इस शहर पर कई बार कब्ज़ा किया गया. इसे बर्बाद करने की साजिश भी की गयी, और फिर से बसाया गया. यह शहर इस्लाम, ईसाई और यहूदी धर्मों के बीच विवादों और संघर्ष की वजह तो है ही, लेकिन इस शहर का इतिहास इन्हें आपस में जोड़ता भी है.
येरुशलम में सभी पवित्र जगह पूर्वी शहर में है. इसके चारों ओर एक किलानुमा सुरक्षा दीवार है जिसके आसपास दुनिया के सबसे पवित्र स्थल है.
सबसे पहले बात करते है मुसलमानों की
मुसलमानों का इलाका चारों इलाकों में से सबसे बड़ा है और यहीं पर डोम ऑफ द रॉक (Dome of the rock) और मस्जिद अल अक्सा है यह एक पठार पर है. मस्जिद अल हरम और मस्जिद अल नबवी शरीफ के बाद मस्जिद अल अक्सा ही इस्लाम की तीसरी सबसे पवित्र जगह मानी जाती है. पैगंबर(स.अ.व.) ने मक्का शहर से यहाँ का सफर एक रात में पूरा किया था और इसी मस्जिद में पहले के सभी पैगंबरों को नमाज़ पढाई थी. यहाँ से कुछ की दूरी पर Dome of the rock है, यहाँ एक पवित्र पत्थर भी है. पैगंबर(स.अ.व.) ने यहीं से जन्नत का सफ़र भी तय किया था. हर दिन यहाँ मुसलमान हज़ारों की तादाद में आते है.
अब बात करते है ईसाईयों की
ईसाईयों के दो इलाके है- अर्मेनियन लोग भी ईसाई ही होते है, सबसे पुराना इलाका अर्मेनियंस का ही है. ईसाई इलाके में The church of the Holy Sepulchre है, यह चर्च दुनिया भर के ईसाईयों का मुख्य केद्र है. ईसाईयों का मानना है कि ईसा मसिह को यहीं सूली पर लटकाया गया था.
अब जानते है यहूदियों के बारे में
पवित्र दीवार यहूदी इलाके में वेस्ट वॉल(west wall) है, यह वॉल ऑफ द माउंट(wall of the Mount) का बचा हुआ हिस्सा है. माना जाता है कि कभी यहूदियों की सबसे पवित्र जगह और सबसे पवित्र मंदिर भी यहीं पर हुआ करता था. यहूदियों का मानना है कि दुनिया की शुरुआत भी यहीं से ही हुई थी.
येरुशलम के आधे हिस्से पर इजराइल का कब्ज़ा है, जबकि इसके पूर्वी हिस्से पर पहले जॉर्डन का कब्ज़ा था, लेकिन 1967 की जंग के बाद से इजराइल ने पूर्वी हिस्से पर अपना कब्ज़ा कर लिया था, जिसका दुनिया भर के ज्यादातर देश समर्थन नहीं करते है.
फिलिस्तीनी लोग पूर्वी येरुशलम को अपनी राजधानी बनाने की मांग करते आये है. येरुशलम की 1/3 आबादी फिलिस्तीनी मूल की है, जो यहाँ सदियों से रह रहे है. इस शहर के पूर्वी हिस्से पर इजराइल ज़बरदस्ती अपनी बस्तियों को बसा रहा है, इसका विरोध अंतर्राष्ट्रीय कानून भी करता आया है, लेकिन इजराइल इस बात को नकारता आया है.
इजराइल में दूतावास रखने वाले दुनिया के सभी दूतावास तैल अवीव शहर में है. लेकिन कुछ दिनों पहले ही अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने येरुशलम को इजराइल की राजधानी बनाने का फैसला लिया था.
इस वजह से इस शहर के मौजूदा हालात बेहद्द गंभीर और खराब चल रहे है. यही नहीं ट्रम्प के फैसले के बाद से दुनिया के कई देशों ने ट्रम्प के फैसले को गलत बताया है, और अपनी नाराज़गी ज़ाहिर की है. दुनिया भर के देशों में विरोध प्रदर्शन जारी है. वहीँ इजराइल प्रदर्शनकारियों पर गंभीर वार भी कर रहा है, जिसके चलते कई लोगों ने अपनी जान गवा दी है.
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