मिलिए भारतीय कॉमिक जगत के सुपर हीरो, सुपर कमांडो ध्रुव के इलस्ट्रेटर से
पूरे विश्व में संभवतः सबसे लोकप्रिय भारतीय कॉमिक्स किरदार है सुपर कमांडो ध्रुव. अगर आप 80-90 के दशक में पैदा हुए हैं तो आपको याद होगा कि कॉमिक्स के प्रति बच्चों-किशोरों में क्या हद की दीवानगी हुआ करती थी. सुपर कमांडो ध्रुव हममें से ज्यादातर का पसंदीदा हीरो था. इस लेख में जानिए सुपर कमांडो ध्रुव के रचनाकार अनुपम सिन्हा और उनकी रोचक जीवन यात्रा के बारे में.
अनुपम सिन्हा का प्रारंभिक जीवन :
अनुपम सिन्हा जी का जन्म सन 1962 में कानपुर में हुआ. अनुपम जी के पिता अवधेश कुमार सिन्हा’ एक सरकारी अफसर थे और माता लीलावती सिन्हा एक गृहणी थी. पांच भाई-बहनों में अनुपम अकेले पुत्र थे. सभी मध्यमवर्गीय परिवारों की तरह अनुपम के माता-पिता भी उनके इस गैर-पारम्परिक करियर क्षेत्र को लेकर आशंकित थे. ये तो अनुपम की कम उम्र में प्राप्त सफलताएँ ही थीं जिन्होंने उनके माता-पिता को आश्वस्त किया.
– अनुपम सिन्हा ने सन 1975 में अपने करियर की शुरुआत की. जिस उम्र में बच्चे कॉमिक्स पढना शुरू करते थे, उस उम्र में अनुपम सिन्हा जी ने लिखना और कार्टून बनाना शुरू कर दिया था. मात्र 13 साल की उम्र में अनुपम कानपुर में ‘दीवाना तेज’ नाम की एक मैगजीन में कार्टूनिस्ट थे. 4 साल तक वहां काम करने के बाद उन्होंने डायमंड कॉमिक्स के लिए काम करना शुरू किया. इस तरह अनुपम ने कॉमिक्स जगत में एंट्री की.
– डायमंड कॉमिक्स के साथ काम करते हुए उन्होंने ताउजी और जादू का डंडा, फौलादी सिंह जैसे कॉमिक्स किरदारों पर काम किया. डायमंड कॉमिक्स के बाद अनुपम ने एस. चंद एंड कंपनी की ‘चित्र भारती कथामाला’ के लिए डिटेक्टिव कपिल, मानस पुत्र, स्पेस स्टार जैसे कॉमिक्स चरित्र की रचना की जोकि उनके स्व-निर्मित पहले कैरेक्टर थे.
– ये जानकर आप दंग रह जायेंगे कि अनुपम सिन्हा जी का सुप्रसिद्ध (BITS Pilani) बिट्स पिलानी इंजीनियरिंग कॉलेज में B.Tech की पढाई के लिए एडमिशन हो गया था. पर कॉमिक्स को लेकर अनुपम जी का जोश और जूनून इस हद तक था कि उन्होंने अपनी इंजीनियरिंग की पढाई को भी किनारे कर दिया. इंजीनियरिंग के बजाय अनुपम जी ने काम के साथ-साथ कानपुर के क्राइस्ट चर्च कॉलेज से B.SC की पढाई करना स्वीकार किया.
अनुपम सिन्हा और राज कॉमिक्स :
सन 1987 का साल अनुपम सिन्हा के लिए बड़ा मोड़ लेकर आया जब उन्होंने राज कॉमिक्स से जुड़े. राज कॉमिक्स के लिए काम करते हुए उन्होंने सुप्रसिद्ध कॉमिक्स स्टार ‘सुपर कमांडो ध्रुव’ की रचना की. इसके अलावा सन 1995 से अनुपम सिन्हा ‘नागराज‘ कॉमिक्स सीरीज का भी चित्रण कर रहे हैं.
नागराज एक अन्य प्रसिद्ध कॉमिक्स करैक्टर है जिसके निर्माता हैं राज कॉमिक्स के सह-संथापक ‘संजय गुप्ता’. नागराज कॉमिक्स सीरीज के शुरुआती 50 कॉमिक्स का चित्रण ‘प्रताप मलिक’ ने किया था. सन 1995 में प्रताप मलिक की मृत्यु के बाद अनुपम सिन्हा ने उनके काम को आगे बढाया.
हाल ही में अनुपम जी ने अपना पहला उपन्यास द वर्चुअल्स प्रकाशित किया है जोकि काफी पसंद किया जा रहा है. अपने घर में ही स्थित स्टूडियो में आज भी अनुपम हर दिन 16-18 घंटे अपने कॉमिक्स के लिए चित्रण और लेखन करते हैं. 1980 के दशक में ही वो बायोटेक्नोलॉजी और क्लोनिंग जैसे विषयों को अपनी कहानियों में सम्मिलित कर रहे थे, जिससे उनकी दूरदर्शिता और कल्पनाशीलता का पता चलता है.
आजकल अनुपम सिन्हा जी आजकल दिल्ली के रोहिणी इलाके में अपने पत्नी जॉली और दो पुत्रियों भव्या और कोंपल के साथ रहते हैं. अनुपम सिन्हा जी ‘अनुपम सिन्हा अकादमी ऑफ़ आर्ट’ नाम से ऑनलाइन इंस्टिट्यूट भी चलाते हैं जिसके जरिये वो लोगों को कॉमिक्स आर्ट की ट्रेनिंग देते हैं.
सुपर कमांडो ध्रुव कौन है ? :
अब जानते हैं ध्रुव के बारे में. ध्रुव का पूरा नाम ध्रुव मेहरा है. ध्रुव के माता-पिता सर्कस में काम करने वाले कलाबाज थे जिनकी एक आग दुर्घटना में मृत्यु हो गयी थी. ध्रुव को उसके माता-पिता की मृत्यु के केस पर काम करने वाला इंस्पेक्टर राजन मेहरा गोद ले लेता है.. इंस्पेक्टर की लड़की को ध्रुव अपनी बहन मानता है और दोनों भाई-बहन के हंसी-मजाक, नोंक-झोंक भी कहानियों के बीच में आती रहती है.
ध्रुव के माता-पिता की मृत्यु एक साजिश की वजह से हुई थी, यह जानने के बाद ध्रुव अपने माता-पिता की मौत का बदला लेने के लिए सुपर कमांडो बन जाता है. राजनगर के सबसे बड़े क्रिमिनल ग्रैंड मास्टर रोबो की लड़की ‘नताशा ‘ से ध्रुव प्रेम करता है. ध्रुव से मिलने के बाद नताशा भी ध्रुव की फैन बन जाती है और उसके ग्रुप में शामिल हो जाती है.
सुपर कमांडो ध्रुव का निर्माण और लोकप्रियता :
अनुपम जी ने जब सुपर कमांडो ध्रुव की परिकल्पना की तो उनका मिशन साफ था. किरदार पूर तरह से सभ्य, भारतीय संस्कारों का सम्मान करने वाला और बहादुर होगा. अनुपम जी ने यह ध्यान दिया कि ध्रुव के बाल सलीके से हों और शर्ट के बटन बंद रहें. संभवतः ध्रुव अकेला ऐसा कॉमिक स्टार है जोकि पारिवारिक है. ध्रुव बाकियों की तरह नकाब के पीछे छुपने वाला सुपरहीरो नहीं है.
बाकी सुपर हीरो तरह ध्रुव के शरीर में कोई अप्राकृतिक शक्ति नहीं है. सुपर कमांडो ध्रुव अपने दिमाग से, अपनी बहादुरी और दिलेरी, जासूसी, साइंटिफिक ज्ञान, लगभग सभी प्रकार के जानवरों से संवाद कर सकने की क्षमता जैसे गुणों की मदद से कठिनाइयों और क्राइम विलन का सामना करता है. जरुरत पड़ने पर उसकी ब्रेसलेट से एक रस्सी, ब्लेड निकलते है और कमर बेल्ट से स्मोक बम. ध्रुव अपनी खास बाइक से चलता है और उसके जूतों में स्केट्स भी फिट हैं.
सुपर कमांडो ध्रुव सीरीज की पहली कॉमिक्स ‘प्रतिशोध की ज्वाला‘ सन 1987 में प्रकाशित हुई.
सन 2011 में सुपर कमांडो ध्रुव कॉमिक्स सीरीज ने अंतर्राष्ट्रीय खबरों में भी सुर्खियाँ बटोरी. इस साल द बोस्टन ग्लोब नामक अमेरिकी अख़बार ने सात अलग-अलग देशों के सुपरहीरो का तुलनात्मक अध्ययन किया और सुपर कमांडो ध्रुव को सबसे परफेक्ट सुपर हीरो का ख़िताब दिया. द बोस्टन ग्लोब के लेखक क्रिस राईट ने ध्रुव को 10 में से सर्वाधिक 8 नंबर दिए और कहा कि “ध्रुव एक परफेक्ट कैरेक्टर है जिसमें कमी निकालना मुश्किल है “
– इंडियन कॉमिक्स का चहेता सुपर हीरो अपने जन्म के 29 साल बाद आज भी उतना ही सफल है. जहाँ बदलते समय की मार से कईयों कॉमिक्स बिज़नस बंद हुए, अपने जबर्दस्त फैन बेस और लोकप्रियता की वजह से ध्रुव कॉमिक्स सीरीज सभी रुकावटों को पार करती गयी.
– ऑनलाइन दुनिया के ज़माने में अब ध्रुव की कॉमिक्स को इन्टरनेट पर पढ़ा जा रहा है और सराहा जा रहा है. जब भी हम अपने बचपन के दिन की मस्तियों, गर्मी की छुट्टियों को याद करेंगे तो वो किताबों में छुपाकर, दोस्तों से मांगकर, किराये पे लेकर कॉमिक्स पढना हमेशा याद आयेगा.
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