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कर्क रेखा जहाँ परछाई छोड़ देती है साथ

कर्क रेखा जहाँ परछाई छोड़ देती है साथ

फिल्म मेरा साया का गाना तो आपने लता मंगेशकर कि आवाज में “तू जहा-जहा चलेगा मेरा साया साथ होगा तो सूना ही होगा. लेकिन क्या आप जानते है दुनिया में एक ऐसी भी जगह है जहा आपका साया आपका साथ छोड़ देगा. जी हाँ और ये जगह मध्य प्रदेश विदिशा जिले के सलामतपुर और दीवानगंज के बीच में है. जहां से कर्क रेखा गुजरती है. वैसे तो भारत में कर्क रेखा 8 राज्यों (गुजरात, राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखण्ड, पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा तथा मिज़ोरम) से होकर गुज़रती है.

कर्क रेखा पर खड़े होने पर गायब रहती है परछाई

कर्क रेखा के बारे में एसएटीआई के प्रो. संदीप जैन बताते हैं कि कर्क रेखा पर आपकी परछाई गायब हो जाती है. मंगलवार 21 जून को ग्रीष्म संक्रांति पर सूर्य कर्क रेखा स्थल के पास सूर्य ठीक आपके सिर के ऊपर होगा. कर्क रेखा पृथ्वी के 23.5 डिग्री अक्षांश पर स्थित है। पृथ्वी का घूर्णन अक्ष पृथ्वी के सूर्य के परिचालन पथ के प्लेन से 23.5 डिग्री झुका हुआ है. उपर्युक्त वजह से कर्क रेखा जो 23.5 डिग्री उत्तर के अक्षांश पर स्थित है, उसके पास 21 जून को प्रत्येक वर्ष सूर्य की किरणें बिलकुल सीधी पड़ती हैं। इस घटना को ग्रीष्म संक्रांति अथवा समर सोलिस्टिक भी कहते हैं. 21 जून को यदि कर्क रेखा पर एक खंभा खड़ा किया जाए तो उसकी छाया कर्क रेखा पर बनी रहेगी लेकिन दोपहर 2 बजे यह छाया गायब हो जाएगी. क्योंकि सूर्य उस समय बिलकुल सीधा होगा.

पर्यटकों कि लगती है भीड़ 

मध्य प्रदेश के स्टेट हाईवे नंबर 18 से गुजरने वाले पर्यटक कर्क रेखा स्थल पर कुछ पल ठहर कर इसके महत्व के बारे में जानकारी भी हासिल करते हैं.। गर्मी के सीजन में इस स्थान पर तापमान 41 से 46 डिग्री सेल्सियस के बीच रहता है. विदिशा-भोपाल रोड पर जिस स्थान पर कर्क रेखा स्थल है वहां पर न तो कोई हरियाली है और न ही कोई बस्ती अथवा गांव. आसपास सन्नाटा ही पसरा रहता है.
मप्र पर्यटन विकास निगम ने जब से कर्क रेखा स्थल पर रोड के दोनों ओर स्मारक बनाकर सौंदर्यीकरण कार्य करवा दिया है तब से यहां से गुजरने वाले लोग अपने वाहन यहां रोककर उत्सुकतावश इस स्थान को जरूर देखते हैं और फोटो खिंचवाकर इस स्थान को यादगार बनाने की कोशिश करते हैं.

2000 साल पहले कर्क रेखा नाम पड़ा

ग्लोब पर पश्चिम से पूर्व की ओर खींची गई कल्पनिक रेखा हैं जिसकी लंबाई 36788 किमी है. जो  सूर्य की किरणें के सीधी होने पर गर्मी अधिक होती है. परंतु कर्क रेखा पर स्थित सभी स्थानों पर यह बात लागू नहीं होती है. जहां हरियाली ज्यादा होती है, वहां के तापमान में कमी रहती है. हवाई मार्ग से पृथ्वी के चक्कर लगाने के लिए जो मानक तय हैं, उसके अनुसार कम से कम कर्क रेखा की लंबाई के बराबर दूरी तय करना आवश्यक है. इसके अलावा उड़ान का प्रथम बिंदु और अंतिम बिंदु एक ही होना चाहिए. कर्क रेखा नाम 2000 साल पूर्व पड़ा था. उस समय पृथ्वी से देखने पर सूर्य का पथ कर्क राशि की ओर था.

भारत में कर्क रेखा उज्जैन शहर से निकलती है. इस कारण ही जयपुर के महाराजा जयसिंह द्वितीय ने यहां वेधशाला बनवाई इसे जंतर मंतर कहते हैं. यह खगोल-शास्त्र के अध्ययन के लिए है. इस कारण ही यह स्थान काल-गणना के लिए एकदम सटीक माना जाता है. यहां से अधिकतर हिन्दू पंचांग निकलते हैं.

 

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