समंदर और झील की लहरों पर तैरती हुई नौकाओं और जहाज़ों को देखना तो आम बात है. लेकिन ज़रा सोचिए क्या पूरी-पूरी एक बस्ती समंदर की हिचकोले खाती हुई लहरों पर बसाई जा सकती है. समंदर की लहरों पर बस्ती को बसाने की बात नामुमकिन सी भले ही लगती है लेकिन ये हकीकत है.
हम आपको रूबरू कराने जा रहे हैं समंदर पर बसा हुआ गाँव जो पिछले 1300 सालों से तैर रहा है. आइए जानते हैं समंदर पर बसा हुआ गाँव के बारे में.
समंदर पर बसा हुआ गाँव – समंदर पर तैरती हुई बस्ती
चीन के दक्षिण पूर्व क्षेत्र में स्थित है दुनिया की एकमात्र समंदर पर तैरती हुई बस्ती. पिछले 1300 सालों से पानी पर तैरने वाली इस बस्ती में आज भी करीब 7000 लोग रहते हैं. ये बस्ती समुद्री मछुवारो की है जो टांका कहलाते है. उनकी यह बस्ती फुजियान राज्य के दक्षिण पूर्व की निंगडे सिटी के पास समुद्र में तैर रही है.
समंदर पर चलता है मछुवारों का राज
बताया जाता है कि चीन में 700 ईसवी में तांग राजवंश का शासन था. उस समय टांका जनजाति समूह के लोग युद्ध से बचने के लिए समुद्र में अपनी नावों में रहने लगे थे.
तब से इन्हें ‘जिप्सीज ऑन द सी’ कहा जाने लगा और वो कभी-कभार ही जमीन पर आते हैं. आज भी इस समंदर में करीब 7000 मछुआरों के परिवार अपने परंपरागत नावों के मकान में रह रहे हैं.
ये लोग ज़मीन पर रहने से करते हैं इंकार
चीन में कई सदियों पहले टांका कम्युनिटी के लोग वहां के शासकों के उत्पीडऩ से इतने नाराज हुए कि उन्होंने समुद्र पर ही रहना तय किया था. तब से लेकर आज तक ये लोग न तो धरती पर रहने को तैयार हैं और न ही आधुनिक जीवन अपनाने को तैयार हैं.
टांका जनजाति के लोगों का पूरा जीवन पानी के घरों और मछलियों के शिकार में ही बीत जाता है. ज़मीन पर जाने से बचने के लिए इन लोगों ने न सिर्फ तैरने वाले घरों का निर्माण किया बल्कि लकड़ी के बड़े-बडे प्लेटफर्म भी तैयार किए हैं.
तैरते हुए हाउसबोट पर ही होती है शादियां
समंदर में तैरते हुए घरों में रहनेवाले इन मछुआरों के बारे में कहा जाता है कि ये लोग समंदर के किनारे पर जाना पसंद नहीं करते हैं और न ही समुद्री किनारे पर बसे लोगों के साथ विवाह जैसे रिश्ते बनाना पसंद करते हैं. ये लोग समंदर में अपनी तैरती हुई बोटों पर ही शादी-ब्याह जैसे समारोह का आयोजन करते हैं.
ये था समंदर पर बसा हुआ गाँव – गौरतलब है कि सरकार द्वारा प्रोत्साहन मिलने के बाद भी ये लोग समंदर की अपनी छोटी सी इस दुनिया से निकलकर ज़मीन पर बसनेवाली आधुनिक दुनिया का हिस्सा नहीं बनना चाहते हैं.
तभी तो इस आधुनिक युग में इन लोगों को समंदर पर बने पारंपरिक और पानी में तैरते हुए घरों में ही रहना पसंद है.
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